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sintutiwary3961
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि कवयिता काहिल हूँ मैं,फ़ितरत है नपुंसक समाज को आईना दिखाने कि इसलिए लोगों की नजर में इन्सान जाहिल हूँ मै।

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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

जय मां अम्बे जगदम्बे भवानी,
तु दुर्गा श्यामा जगत महारानी।। 

शैलपुत्री बृषांरूढ़ा यशस्विनीम्,
शुलधरां चन्द्रर्धकृतशेखराम शुभ फल प्रदायिनीम्।।

ब्रह्मचारिणी मां तु तपशचारिणी ।
तु उमा ज्योतिर्मयी विंध्यवासिनी ।।

चंद्रघंटा मां दसभुजी अस्त्र-शस्त्र विभुषित।
तेरे चणडध्वनी से अत्याचारी रहें प्रकंपित।।

कुष्मांडा मां तेरी कान्ती देदीप्यमान और भास्कर।
तेरी उपासना को रहें हम अहर्निश और अग्रसर।।

स्कंदमाता तु ममत्व स्वरुपिणी मां तु पद्मासिनि।
भक्तजनों की अदृश्य भाव से रक्षिणी।।

कालरात्रि काली खप्परधारी भयंकरी।
माता सब संन्तन की (करती कार्य) शुभंकरी।।

महागौरी तु शिवप्रिया पार्वती दुःख हर्ता।
सर्वशान्ति दात्री विश्व की कल्याणकर्ता।।

सिद्धिदात्री सर्वकामवसायिते।
अनिमा लघिमा मां नारि शक्ति नमस्तुते ।।
जय मां अम्बे जगदम्बे भवानी।।।

जो कोई नर सम्पूर्ण नवदुर्गा मंगल हैं गातें।
लांगुर के समान भक्ति और शक्ति हैं पातें।।

(सिन्टु सनातनी फक्कड़, "धनबाद ")

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #navratri #Hindi #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

माँ ममता का मानसरोवर, 
माँ का स्नैह अनंत गगन से भी अपार हैं,
माँ के लिए श्रद्धा जिसके हृदय में,
समझो वो दुनिया के सब विघ्नो से दूर,
समस्त पाप पुण्यो से पार हैं।

सभी माताओं को मातृत्व दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं सह प्रणाम
🙏🙏🙏🙏

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

राहें पथिक तू देखता किसकी, 
संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही।
श्यामतन सा बंधा यौवन तेरा,
धर हाथों में आलोक का हथौड़ा,
कर तिमिर राहों की अगवानी। 
आएंगी राहों में आपदाएं लाख चाहें, 
कातर हो पथिक राह तूम तज ना देना,
बन प्रतिरूप तितिक्षा का आततायीयों से जा भिड़ना, 
बसुधा को शमन प्रदान कर ही आना। 
राहें पथिक तू देखता किसकी, 
संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही। 

(श्यामतन-साँवला रंग, कृष्ण रुपी।बंधा- संयमपूर्ण। आलोक-प्रकाश। तिमिर- अंधकार। कातर-भयभीत। तज-छोड़ना। तितिक्षा-सहनशीलता। आततायीयों -उपद्रवकारी। बसुधा-पृथ्वी,धरती। शमन-शांति)

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

 तु साथी तु हमराही,
तु जीवन कि धारा, 
तु प्रीता है हमारा, 
तु सुख का अभिनंदन,
तु दुःखी मन में तिलक-चंदन,
ऐ मेरी प्यारी कविता सुन,
तु राग तु धुन,
तु प्रेम विरह में शब्द गहरे चुन।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

 रिश्तों में जो आशाएँ हो तो अच्छा,
गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा, 
आशाऔं भरी रिश्तों में रिश्ता स्वयं ही आशातीत,
जड़-चेतन क्या इन रिश्तों में मतलबी रिश्तें कयी प्रकार,
रिश्तों में जो हो आशाएँ,
निंस्वार्थ भाव से रिश्तों में प्रेम का जिसने भी गाया गाना,
श्री सुख-सागर का जीवन में गुंथ दिया उसने ताना बाना, 
बदल दिया रिश्तों में आशाऔं का धरकर रूप नाना, 
रंग दिया हृदय को स्वर्ण-पात से जिसने सुधि-विहाना (विहान), 
रिश्तों में आशाएँ हो तो अच्छा,
गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

सुना है तेरे शहर में भी एक चाँद निकलता हैं, 
लेकिन क्या पता है तुम्हें उसकी चाँदनी का चकोर भी हमसा ही कोई होता है,
दुर्मद जो हो तुम गुलशन में तेरे मधुमास की चंन्द्रमल्लीका का सौरभ चतुर्दिक फैलता हैं,
उसका मृदुवात भी हमारे मदिर स्मित-भास्वर से ही होता हैं,
तुझसे जो प्रेम था अविरल,
ये जो तेरे मन के कुलिस सार्थवाहों ने,
मेरे रजत-स्वप्नों का उन्मान लगाया, 
उर्ध्व तितिक्षा ने मेरे ये भी अंगीकार किया,
जब इस मुग्ध-प्रेम पर तुमनें खुद ही अन्चिन्हा अवार है चढ़ाया,
फिर तेरे प्रेम-विग्रह पर संशय कैसा, 
फिर तुझसे प्रतिकार क्या।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती।
मुग्ध-हुलास को में
मैं तिरोहित हो मन में बांट अगोरती,
अस्तगमित महिमा समाज की,
दुर्मद अवार चढ़ाये हुए हैं सब यहाँ, 
और कोपाकुल हो हमें ही है बस निहारती,
कराल है व्यथा हमारी,
मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। 
परिपाटी अजीब है इस कुदेश की,
नारियों पर ही केवल क्यों हैं लांक्षन लगती, 
बलि-कृति-कला कि स्वरुप नारी, 
फिर अनल के कोढ़ में ही क्यों हैं समाती,
मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

प्रेम क्या हैं। 

प्रेम शाश्वत हैं, क्षणिक नहीं। 
प्रेम सौम्य हैं,उग्र नहीं।
प्रेम श्लील हैं, अश्लील नहीं।
प्रेम में हास हैं, घृणा नहीं। 
प्रेम स्तुति हैं निंदा नहीं।
प्रेम सुमति हैं कुमति नहीं।
प्रेम संकल्प से होता हैं, विकल्प में नहीं।
प्रेम विस्तीर्ण मन हैं, संकीर्ण नहीं।
प्रेम मृदुल हृदय हैं, कठोर नहीं।
प्रेम में विश्वास हैं, अविश्वास नहीं। 
प्रेम चेतन हैं, जड़ नहीं। 
प्रेम स्वच्छंदतावादी हैं, परतंत्रतावादी नहीं। 
जिस प्रेम में परार्थ हैं वो प्रेम सार्थक हैं। 
और जिस प्रेम में स्वार्थ हैं वो प्रेम निरर्थक हैं।

।।फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी।।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

कल नंदलाला आएंगे,
उम्मीद हैं आपके मन भी भाएंगे,
जों बनी रुक्मिणी सी पाकर नटवर को भाव विभोर हों जाएंगेे,
चाहत हों गर राधा प्यारी सी, कृष्ण बन जन्मों साथ निभाएंगे,
और प्रेम में जों पी ज़हर मीरा सी, गौपाल अमृत बन गलें में समाएंगे,
और जों स्नेह हों पांचाली सा हृदय में, घिरते देख विपदा में गोविंद दोड़े चलें आएंगे,
और जों ना हों बहन सुभद्रा दुलारी सी बचपन में फ़िर भला माखन चोर अटखेलियां कैसे दिखाएंगे।
राधे-राधे 🙏🙏

जन्माष्टमी महोत्सव पर आपको और आपके परिवार को अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं।

©फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी #जन्माष्टमी_महोत्सव_कि_अग्रिम_शुभकामनाएं #फक्कड़ #Nojoto #nojotohindi
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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

ये पोस्ट मैं अपने पेज़ से इसलिए डाल रहा हूं, क्योंकि ये मेरी गुरु बहन मेरी दी आदरणीया सह सम्माननीया गीत दी ने मेरे कहने पर ख़ास मेरे लिए इस रचना का सृजन तथा‌ भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण किया हैं, इसे सुनते ही मेरी आंखें नम हो गई थी,ये रचना उन चंद रचनाओं में से एक हैं जो मेरे दिल के बेहद करीब हैं। ये एक भाई और एक शिष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बात हैं, क्योंकि गुरु दक्षिणा के तौर पर सभी गुरुओं को कुछ देंते हैं, लेकिन शिष्य को गुरू का स्नेहाशीष के तौर पर इतनी बेहतरीन दक्षिणा शायद प्रथम बार किसी शिष्य क

ये पोस्ट मैं अपने पेज़ से इसलिए डाल रहा हूं, क्योंकि ये मेरी गुरु बहन मेरी दी आदरणीया सह सम्माननीया गीत दी ने मेरे कहने पर ख़ास मेरे लिए इस रचना का सृजन तथा‌ भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण किया हैं, इसे सुनते ही मेरी आंखें नम हो गई थी,ये रचना उन चंद रचनाओं में से एक हैं जो मेरे दिल के बेहद करीब हैं। ये एक भाई और एक शिष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बात हैं, क्योंकि गुरु दक्षिणा के तौर पर सभी गुरुओं को कुछ देंते हैं, लेकिन शिष्य को गुरू का स्नेहाशीष के तौर पर इतनी बेहतरीन दक्षिणा शायद प्रथम बार किसी शिष्य क #nojotohindi #nojotoaap #फक्कड़

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