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Mahadev Son

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Mahadev Son

जब कोई दूसरा तकलीफ में...
 कर्मों की सज़ा!

जब खुद तकलीफ में....
प्रभु इच्छा!

|वह रे इंसान ||

©Mahadev Son जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा!

जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा!

|वह रे इंसान ||

जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान || #Bhakti

12 Love

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Mahadev Son

ॐ नमो महाकाली रूपम,
शक्ति तु ज्योति स्वरूपम
शुम्भ निशुम्भ को मारा,
रक्तबीज को संहारा

दुष्टों को संहारने वाली,
भक्तों के दुःख हरने वाली,
सन्त गुणी जन सब पूजते,
पूजा की तिथि विधि ना जानू,

मंत्र तंत्र को मैं ना जानू,
मैया बस पढ़ुं चालीसा 
जीवन में माँ करना उजाला,
बीच भंवर में फंसी है नैया,

आकर लाज बचाना,
सद्-बुद्धि का दान ही देना,
ॐ नमो माँ काली शक्ति स्वरूपम
मैया प्यारी, दया करो महाकाली

©Mahadev Son ॐ नमो महाकाली रूपम,
शक्ति तु ज्योति स्वरूपम
शुम्भ निशुम्भ को मारा,
रक्तबीज को संहारा

दुष्टों को संहारने वाली,
भक्तों के दुःख हरने वाली,
सन्त गुणी जन सब पूजते,

ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्त गुणी जन सब पूजते, #Bhakti

12 Love

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Mahadev Son

White  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते...

मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि
मुश्किल या मालूम ही नहीं....


       मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार।    
           जीवन की अंतिम परिणति है। 

मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के
संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है!

आत्मा को जीवन, मृत्यु और
पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से
मुक्त करता है!

©Mahadev Son  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन #Bhakti

13 Love

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Mahadev Son

मनोरंजन के लिए न सौदा कर संस्कारों का
भटक दर बदर न मिटा धरोहर पूर्वजों की  

जन्म हुआ जहाँ तेरे कर्मों के हिसाब से 
सोच जब यहाँ बनी कुंडली क्या वहाँ न होगी

बस थाम कुल का हाथ हो जायेगा बेड़ापार
माँ बाप से पहचान प्रमाण रगो बहता खून उनका 

कुल वंश का नाम रोशन करेगा पाला तुझको 
मुक्ति दिलएगा वंश उनका कर्म करेगा ऐसा

खुद तो भटक रहा न भटका अपनी पीढ़ी को
खोला जायेगा जब बहीखाता तेरा फिर से....

©Mahadev Son मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का
भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर 

जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा
दूसरे देश जाता जब आया कहाँ से पूछा जाता 

जब यहाँ कुंडली बनी तेरी फिर वहाँ न बनी होगी
वहम तेरा सोच ज़रा नकल तो कहीं से हुईं होगी

मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा दूसरे देश जाता जब आया कहाँ से पूछा जाता जब यहाँ कुंडली बनी तेरी फिर वहाँ न बनी होगी वहम तेरा सोच ज़रा नकल तो कहीं से हुईं होगी #Bhakti

11 Love

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Mahadev Son

झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ
यह नहीं की हाजिरी लग गई या
मुराद हो जायेगी पूरी तेरी 

जिस दर पे झुक जाये सिर तेरा 
खुद ब खुद आशीर्वाद भी वहाँ
अपने आप मिल जाता

©Mahadev Son झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ यह नहीं की 
हाजिरी लग गई या मुराद पूरी हो जायेगी

दर कहते उसको जिस दर पे झुक जाये सिर खुद ब खुद तेरा आशीर्वाद भी वहाँ अपने आप मिल जाता

झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ यह नहीं की हाजिरी लग गई या मुराद पूरी हो जायेगी दर कहते उसको जिस दर पे झुक जाये सिर खुद ब खुद तेरा आशीर्वाद भी वहाँ अपने आप मिल जाता #Bhakti

12 Love

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Mahadev Son

गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में 

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया 

सौगंध तुझको तेरे लाल की और न
देरकर बस आजा अब न दे सज़ा
न रुला अब और तरसा....

©Mahadev Son गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में 

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया

गर बिछड़ जाये लाल उसका क्षण भर के लिये माँ कमली कमली ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया #Bhakti

13 Love

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Mahadev Son

ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है

आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का

डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल

सपनों में सही बस तू ले चल अब 
उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है

©Mahadev Son ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है

आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का

डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल

सपनों में सही बस तू ले चल अब 
उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है

ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल सपनों में सही बस तू ले चल अब उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है #Bhakti

11 Love

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Mahadev Son

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायण नमोऽस्तु ते

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते

रोगनशेषानपहंसि तुष्टा।
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां।
त्वमाश्रिता हृयश्रयतां प्रयान्ति

सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्

सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते

©Mahadev Son #navratri

chant 9 times daily

#navratri chant 9 times daily #Bhakti

12 Love

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Mahadev Son

तेरी शान निराली है माँ मन का
अँधिआरा दूर कर रोशन करो माँ 
 
छुड़ा के सब मोह माया के बंधन,
चरणों के पास अपने बुलाओ माँ 

खाली झोली बनके सवाली आया माँ 
कष्ट हरती सबके फिर बारी देरी क्यों  

पूत कपूत तो सुने माता न होती कुमाता 
बस सिवा न तेरे कोई न इस जहाँ में माँ 

श्रद्धा के फूल लाया चरणों से लगाओ माँ 
विगड़ी बनादो पत रखियो सदा मेरी माँ

©Mahadev Son तेरी शान निराली है माँ मन का
अँधिआरा दूर कर रोशन करो माँ 
 
छुड़ा के सब मोह माया के बंधन,
चरणों के पास अपने बुलाओ माँ 

खाली झोली बनके सवाली आया माँ 
कष्ट हरती सबके फिर बारी देरी क्यों  

पूत कपूत तो सुने माता न होती कुमाता 
बस सिवा न तेरे कोई न इस जहाँ में माँ 

श्रद्धा के फूल लाया चरणों से लगाओ माँ 
विगड़ी बनादो पत रखियो सदा मेरी माँ

तेरी शान निराली है माँ मन का अँधिआरा दूर कर रोशन करो माँ छुड़ा के सब मोह माया के बंधन, चरणों के पास अपने बुलाओ माँ खाली झोली बनके सवाली आया माँ कष्ट हरती सबके फिर बारी देरी क्यों पूत कपूत तो सुने माता न होती कुमाता बस सिवा न तेरे कोई न इस जहाँ में माँ श्रद्धा के फूल लाया चरणों से लगाओ माँ विगड़ी बनादो पत रखियो सदा मेरी माँ #Bhakti

13 Love

3228470f4758819ef7f65d56003e3bd2

Mahadev Son

नमामि दुर्गे, नमामि काली,
नमामि देवी महेश्वरी,नमामि साक्षात,
परब्रम्ह परमेश्वरी,नमामि माता सुरेश्वरी ।

या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता!

सभी को नव वर्ष व नवरात्रि की 
हर्दिक शुभकामनाएं

©Mahadev Son या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता

नव वर्ष व नव रात्रि की हर्दिक शुभकामनायें

या देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता नव वर्ष व नव रात्रि की हर्दिक शुभकामनायें #wishes

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