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shivanithapliyal9953
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Shivani Thapliyal

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Shivani Thapliyal

White 
#हिंदी दिवस #
संस्कृत से हुआ जन्म मेरा, 
फिर आया नया रूप मेरा। 
कण कण से जोड़ कर पहचान मेरी,
अक्षर,शब्द, वाक्य तीनों से सौंदर्य मेरा।
शुरुआत हुई उत्साह उमंग से मेरी,
सजाया सवारा सभी ने भाषा मेरी। 
माना सभी को सगोत्र मैंने,
तभी आपसी गहरी पहचान मेरी। 
ज्ञान और व्याकरण की नदियां बनती, 
अग्रणी फिर सागर में बहती।
संस्कृति की पहचान हमारी, 
आदर और मान हमारा। 
लेखन और वाणी दोनों की,
शान  सुंदरता खुद से बनाती।
एहसास छोटा सा हमारा,
तभी तो है गौरव भाषा हमारी।
भारत की है आशा, 
है हिंदुस्तान की भाषा।
हिंदी

©Shivani Thapliyal #sad_quotes  poem
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Shivani Thapliyal

पॉली ( सिविल इंजीनियरिंग) students 
Before ⬇️(addmision के दोरान)
खुद का खोफ उनका कम नहीं,
सोचते खुद को C.M.।
after⬇️(3 year diploma)
NH में सड़क किनारे  धूल पत्थर से , चकाचूम चहरा ले कर घूम रहे।
🤣🤣🤣💟

©Shivani Thapliyal
  #Whatsapp
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Shivani Thapliyal

ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा  बदल गया,
मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे।

©Shivani Thapliyal #lovequote
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Shivani Thapliyal

ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा  बदल गया,
मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे।

©Shivani Thapliyal #lovequote
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Shivani Thapliyal

अनमोल उपहार अक्सर खोए होते,
जिन्दगी मौत का जीवन ख्वाब सा होता।
अपना ओर अपनो में फर्क सा ,
फकीर नहीं दो सैकेंड हसीन सा।
😞😞😞🌏

©Shivani Thapliyal #udaasi
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Shivani Thapliyal

*सड़क हादसा *
वो एक लबज की आवाज _______
माँ_____माँ _________माँ।
यकीन नहीं की  मुँह पर आवाज है,
लेकिन उस तरसती हालात में आवाज है।
ये आवाज कुछ उस घड़ी की है, 
जब अनहोनी  घड़ी सामने से गुजर गयी।
हैरान वहां पर हुई माँ मैं,
जब मैं खुद दूसरी माँ के गोद में समा गयी।
मुझे नहीं पता था माँ______,
एक माँ दूसरी माँ की  लाडली का अन्त करेगी।
वो मेरे ऊपर ही समा गया माँ____,
मेरा अन्त उसी के हाथो में था माँ।
मुझे नहीं पता था माँ___,
मेरी जिंदगी का  आज अन्त है माँ ।
उसने मेरा समय बदल दिया आज,
महसूस हुआ मैं चले गयी दूर।
 साँसे जैसी रूकी मेरी शरीर टूट गया माँ,
मैं अपनो से दूर हो गयी माँ।
गुजरे सभी मेरे सामने से माँ ,
ना तरसे वो  मासूम  पर ।
तरसती रही मैं पानी की बूंद के लिए, 
लेकिन वहां पूछने  वाला कोई नही था माँ।
मुझे नही पता था माँ_____

©Shivani Thapliyal #Nightlight
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Shivani Thapliyal

**जोशीमठ नजारा**
 यकीन नहीं देखकर आंसू नहीं थमते तुम पर, 
देखा तो वो घाटी का जीवन ऐसा तड़प रहा ।
पता नहीं क्यो मेरा शहर बिखर रहा,
दृष्टि सौंदर्य वहां का चकाचूम रहा।
पता नहीं था खेलेगी प्रकृति हमारे संग,
ना जाने कहां से क्या हो गया मेरा शहर।
वो नजारा मेरी घाटी का भयभीत था,
वो मनमोहित जैसी मेरी घाटी का नजारा।
धामो के संग मेरा शहर प्यारा,
प्यारी मेरी घाटी प्रसिद्ध जोशीमठ से।
वो देवो की भूमि संकट में छायी ,
सुखी चैन से कोई नहीं पनप सका ।
वो देवो और फूलो की घाटी यहाँ,
बुग्याल, पहाड़ो की धरोहर यहाँ।
वो गांवो की बस्तियों से सजा मेरा शहर, 
ना जाने कहाँ  क्यों चल पड़े वो गांव।
 जहां हम पढ़े भले थे देखा तो ,
आज नजारा नजर नहीं था मेरे शहर का।
20_01_2023

©Shivani Thapliyal city
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Shivani Thapliyal

#मेरू गौ कु खण्डन #
 यूं सोचदी  पैसा भी मिलया हमता,
पर समझ नी ओडू क्या कन।
यूं खाड़ छीन या समौड़ छीन ,
कख भटकड़ जिन्दगी भर हमुन।
जागा जमीन कख ची हमु  मूं,
 हम ता यनी छीन दीन राती गुजरना।
कख जाण कख नी जाण ओड़,
कख भटकोड़ जुकड़ी  हमुन अपड़ी।
सरकारा दिया पैसन हमारू काम नी होरू,
ना वेन जागा ओड़ी ना वेन कुड़ी बनरू।
हम  ता यूँ ही सोच्दी रेग्या क्या होलु हमारू,
हमुन क्या करी अपणी कुड़ी बढ़े ।
पाई पाई पैसा जमा करया छा हमुन,
ते कुड़ी बनोरो ज्यूं आज नसीब मा नी।
ते कुड़ी बाना अपणु शरीर भी मारी होलु,
द्वी बैई धंग से  नी खायी होलु।
सोची हमुन हमारा वंश ता होलु कुछ,
लेकिन स्यू तुका नसीब मा नी रे।
जूंगा बाना दिन रात कोरी यख ,
स्यू आज यख नी राया ।
तू पुंगरियोगा छोड़ नी दिखयोड़ा आज,
यनी छीन हम उजाड़ बड़या ।
ये बूडूयन खोड़ भी नी आखूँन,
देखी ता खोड़ चोक मा जमूयं।
तू कुड़ी का नेड़ नक्शा देखी ,
आँखा जन  छीन घूमड़ा ।
या यूं पैसुन खाड़ हमता,
सोचदी रै कब होलु गौ दगडी।

©Shivani Thapliyal गौ
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Shivani Thapliyal

*#फूल फूल मायी#*
आज देखी बार  त्योहार मा,
डेयी मोड़ खाली व्या छीन।
यन सुन पड़या डेयी  दवार ,
जन ये दिन त्योहार नी होलु।
भरी जुकरी उदास व्ये आजा दिन,
जब फूल डॉन वालु क्वै नी रे।
स्या आवाज कख जै होली ,
भरी भमड़ी लगी  सुड़नो ते।
●फूल फूल मायी दा चो देदे●
■दे दे मायी पाध चो दे दे ■
क गया बार त्योहार अब ,
पता भी नी चनु क्या क्यू भी ना जब। 
तरस ग्यै हम ना लोडू  झुण्ड देखरो,
सुन लगरू  जब गौ मा भी  आजा दिन। 
किले  भूल जाणा रीति-रिवाज हम,
 जब अफू तक सीमित वैग्या हम।
वू चौ की दाड़ी भी यनी रेगी आज,
तरस ग्यै  कैता दयो हम चौ का मुट्ठा आज।
फूल भी नी छीन रया गौ मा ,
ज्यूं छीन स्यू तरसणा छीन ।
क्यू लगोलू मैता अपणा यख,
क्यै का घोर मा सजलू मी आज।
देखी मैन देवता चौक मा आज ,
वख फूल नी छा घास जमी छै। 
पुंगरियो मा फ्योली का जगा कंडायी जमी ,
यकूल पणी गौ मनख्यू  का जगा ।
ज  दिखयोण छो लाल पीला फूल,
त दिखयोण लग्यू हरू घास। 
किले बिसरया हम आजो दिन,
क्या भलू लग्दू छो पेली आजो दिन।

©Shivani Thapliyal #lonelynight गढवाल
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Shivani Thapliyal

*#फूल फूल मायी#*
आज देखी बार  त्योहार मा,
डेयी मोड़ खाली व्या छीन।
यन सुन पड़या डेयी  दवार ,
जन ये दिन त्योहार नी होलु।
भरी जुकरी उदास व्ये आजा दिन,
जब फूल डॉन वालु क्वै नी रे।
स्या आवाज कख जै होली ,
भरी भमड़ी लगी  सुड़नो ते।
●फूल फूल मायी दा चो देदे●
■दे दे मायी पाध चो दे दे ■
क गया बार त्योहार अब ,
पता भी नी चनु क्या क्यू भी ना जब। 
तरस ग्यै हम ना लोडू  झुण्ड देखरो,
सुन लगरू  जब गौ मा भी  आजा दिन। 
किले  भूल जाणा रीति-रिवाज हम,
 जब अफू तक सीमित वैग्या हम।
वू चौ की दाड़ी भी यनी रेगी आज,
तरस ग्यै  कैता दयो हम चौ का मुट्ठा आज।
फूल भी नी छीन रया गौ मा ,
ज्यूं छीन स्यू तरसणा छीन ।
क्यू लगोलू मैता अपणा यख,
क्यै का घोर मा सजलू मी आज।
देखी मैन देवता चौक मा आज ,
वख फूल नी छा घास जमी छै। 
पुंगरियो मा फ्योली का जगा कंडायी जमी ,
यकूल पणी गौ मनख्यू  का जगा ।
ज  दिखयोण छो लाल पीला फूल,
त दिखयोण लग्यू हरू घास। 
किले बिसरया हम आजो दिन,
क्या भलू लग्दू छो पेली आजो दिन।

©Shivani Thapliyal
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