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arunjuyal7156
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अरुण प्रकाश जुयाल

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अरुण प्रकाश जुयाल

तुम लौटोगी एक दिन मुख पर  मौन लेकर
अपने दूर जाने का सार लेकर 
मुझे पुर्ण रूप से संतुष्ट करने का प्रयास लेकर
हमारे जीवन की शाम लेकर
मुझे पता हैं तुम लौटोगे एक दिन
मेरी इसी कल्पना का विध्वंश लेकर..

                                     ...जुयाल

©Arun Juyal #sadak जुयाल

#sadak जुयाल #कविता

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अरुण प्रकाश जुयाल

अधूरा प्रेम प्रेमी को 
और अधूरी कहानी पाठक को 
अशांत कर देता हैं

                               _    जुयाल

©Arun Juyal #worldmusicday
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अरुण प्रकाश जुयाल

माँये छीन लेती हैं 
अपने प्रदेश जाते बेटों  से उनके  हक के आँसू
अपना ह्रदय कठोर कर ।
और पकडा देती हैं उनके कन्धों में  जिमेदारियो का थैला 
ओ भी सोख लेते हैं माँ के अधिकार के आँसू 
और चल पड़ते हैं शहरों कि ओर ।
ये थैले दिखते तो हलके हैं 
लेकिन इनमें होती हैं अस्यंख्य जिम्मेदारियां 
और शहरी सामाज से लड़ने का आक्रोश ।
हमारा समाज विकसित हुआ तो मात्र इतना
कि उसने पूछ ली ससुराल जाने से पूर्व स्त्रियों कि इच्छा ।
समाज नही देख पाया तो बस 
शहरों को जाते युवाओं का बस्ता ।.........



                                               _  अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #lonely
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अरुण प्रकाश जुयाल

आरोपी आरोपण कर रहा 
  स्वयं के कर्म पर ।
स्वयं के  दुष्कर्म छुपाने के लिए 
तर्क का कुतर्क कर ।
यदि कुछ चीजें करने का मन न हो।                 
तो उसे नही बिगाड़ना चाहिए कुतर्क कर।           
              यदि हातौ के बस में ना हो चीज़ें तो
                उसे छोड देना चाहिए समयचक्र पर ।
               
                                                           अरुण प्रकाश

©Arun Juyal #UskeSaath
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अरुण प्रकाश जुयाल

हमारे पूज्य गुरुजी स्व.श्री गणेश प्रसाद नैथनी जी जिनका एक कार दुर्घटना में निधन हो गया था। लेकीन कहते हैं ना कि व्यक्ति चले जाते हैं और उनकी यादे रह जती  है। उनकी भी एक सुनदर याद मुझे कविता के रूप में अपने घर कि पुरानी किताब में मिली जिसे अपके सामने चित्रित कर के रख रहा हूँ जो पहाड के लोगू कि दुसरे लोगू पर बढती निर्भरता को दर्शाती हैं
डुटयाल
मि स्वचनू छौं
                   कन्न्क्वे चल्दू मेरु गढवाल 
                  अगर नी रैन्दा यख डुटयाल
सासुन बोली आवा गढवाल 
अपड़ कुडी पुंगड़ी संभाल 
ब्वरिन बोली करल ड़ुटयाल
                 गौ कु राशन पाणि  कु भरदू 
                ब्य्यो कु कन्ड़ा भारा कु सरदू
              कु करदू बन्दरू खुणे ख्याल
अगर नि रैन्दा यख ड़ुटयाल।
              छन्युनू मा बस्दा बाघ ओर स्यल
            अगर नि रैन्दा यख डुटयाल
गढवाल बनी जलू एक दिन नेपाल 
            अगर रैला यख डुटयाल•••••

            रूपांतरित _अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #kita जुयाल

#Kita जुयाल #कविता

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अरुण प्रकाश जुयाल

एक दिन कि छुट्टी दे जिन्दगी
हमने कब से अपने शहर कि शाम नही देखी

                                        Arun juyal

©Arun Juyal #Nightlight
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अरुण प्रकाश जुयाल

तुमारी मौन्ता एक दिन क्रांती लायेगी
उन सबके हृदयों में 
जिनके लिए तुमे बोलना था 
सर्व सामर्थ्य होने पर भी तुम मौन रहे
इसलिए तुमे इतिहास हमेशा लिखेगा 
कुरु सभा का भीष्म...
                                   -अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #Likho
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अरुण प्रकाश जुयाल

उदास बैठी है आजकल कलम 
घरों के कोनों में 
क्युंकि आधुनिकी ने छीन ली उससे 
                       लेखकों के हथौ कि थपकियाँ      
    
                                                                अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #BookLife
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अरुण प्रकाश जुयाल

हमने देखा है ठेकेदारों को 
उनकी पीठ पर राज करते हुए 
जो तोड़ देते हैं एक हथोड़े कि चोट से
कठोर पत्थरों कि पीठ को
हम देखते हैं उन महिलाओं के कन्धे पे 
ममत्व का बोझ 
हम देखते हैं उन्के पिता के हथौ मे
सड़को पर लगे रोडीयौ के छालों का संघर्ष 
हम देखते हैं 
आँचल के एक चीर  पर झूलते हुए 
उनके मासूम  शिशुऔ को
ये सड़के यूँही काली नही होती 
किसी ने तो किया होगा तप्ती धूप से संघर्ष 
और इन पत्थरौ ने पिया होगा उसके संघर्ष का रस
हम देखते हैं पर हम कराना नही चाहते 
उन्हें सड़क से उठाकर कोरे पन्नौ का सफर
क्यूंकि हमने भर ली हैं अपने कलमों में 
पराधीन्ता ( उच्च वर्ग) कि स्याही । 
  
                                                           अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #lamp
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अरुण प्रकाश जुयाल

रचना लिखता हूं  उस रचयिता कि 
जिसने संसार को रचा
कवियों का कवि होगा  
जिसने संसार को रचा होगा 

                                   अरुण प्रकाश जुयाल

©Arun Juyal #Nature
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