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rishiprataprishi5586
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Rishi Pratap Rishi

Advocate/writer

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Rishi Pratap Rishi

सफल होने के लिए कठोर परिश्रम के साथ साथ अच्छे संस्कार एवं अच्छे लोगों का साथ भी बहुत जरूरी है,ताकि सुंदर विचारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।हमारा उद्देश्य जीवन मे कठिन समय का परीक्षण कर लोगों को परखना एवं उनको स्वयं की सुसंगत विचारधारा में ढालना है,जिससे हमारा सम्यक प्रयास समाज का आईना बन सके।सबसे बड़ा हथियार सम्यक विचारों की शिक्षा एवं जागरूक परिवेश है,जिसके प्रति सम्यक एवं असम्यक के संघठन की रूपरेखा का मंच एक होना चाहिए।

©Rishi Pratap Rishi #walkingalone
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Rishi Pratap Rishi

न द्वेष हो, न क्लेश हो
मन शांति का परिवेश हो,
विचलित कभी न पंथ पर
बुद्धत्व ही सन्देश हो!!!
मन मे शांति और अहिंसा का बोध कराने वाले तथागत गौतम बुद्ध के त्रिविध पावन पर्व बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर यशोधरा बुद्ध विहार बगौछा-हरदोई की ओर से सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं!!!भवतु सब्ब मंगलम की कामना के साथ एक बार पुनः----
बुद्धम शरणम गच्छामि!
धम्मम शरणंम गच्छामि!!
संघम शरणम गच्छामि!!!

©Rishi Pratap Rishi #zindagikerang
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Rishi Pratap Rishi

एक जैसे विचारों की समानता के लोग एक समूह में काम करने की चेष्टा करते है।वह सार्थक कार्यों में अपनी ऊर्जा को व्यय करना गर्व की बात समझते है।दूसरी ओर कुंठित मानसिकता के लोग समाज मे अपने विचारों की कुंठा के कारण सरल स्वभाव के लोगों ऐसे गन्दा करते है जैसे निर्मल बहते हुए जल में मिट्टी!ऐसे कुंठित मानसिकता से बचने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए।

©Rishi Pratap Rishi #Rose
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Rishi Pratap Rishi

मेरी गरिमा
अतीत के झरोखे यादों की मीठी तरंग छोड़ कर चले जाते है।शायद हम अपने अतीत को कभी भूल नही पाएंगे।जो एक बार बात करने के लिए हज़ार बार प्रयास करते थे,उनके प्रयास आज हम करके अपनी पीड़ा की वेदना किसी से जाहिर भी नही कर पा रहे हैं।समय का चक्र सबको सबक देता है,शायद हमको भी मिला।उनके जाने के बाद जिंदगी वीरान सी हो गयी।आज वापसी का समय है, लेकिन वो जज्बात गायब हो चुके है।जिनके मिलने से खुलेआम आलिंगन का आमंत्रण कभी छिपता नही था।आज मेरी औपचारिकता की पराकाष्ठा का भी अंत हो चुका है।हमने अपनी गलती मानकर तमाम कोशिश भी कर ली है।लेकिन मेरे लिए किसी के अंतर में आज भी विश्वास की डोर मजबूत नही हो पायी।नफरत का मंजर खत्म हो चुका है।लेकिन उस प्यार भरे आलिंगन का आज भी इंतजार है, न जाने कब वो घड़ी आएगी......???

©Rishi Pratap Rishi #Rose
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Rishi Pratap Rishi

तनाव पूर्ण जीवन मे किसी प्रकार के निर्णय नही लिए जा सकते।निर्णय लेने के लिए एकाग्र चित्त की जरूरत होती है।अधिक जिम्मेदारी की जीवनशैली तनाव का कारक है,जिसमे आत्मबल का हास् होना निश्चित है।जब आत्मबल की कमी हो तो व्यक्तित्व का अस्तित्व गिरता चला जाता है।जिसमे लोग खुद को असहाय और हीन समझने लगते है।जिम्मेदरियों के बोझ से हटकर संयमित दिनचर्या को अपनाकर हीनता को एक क्षण में खत्म कर एक श्रेष्ठ चरित्र के निर्माण से निर्णायक जीवनशैली को जिया जा सकता है।लेकिन लोग मन को अशांत कर पूरी उम्र भर उचित और अनुचित का निर्णय नही कर पाते।सरलता और शान्ति के द्वार पर सब निर्णय की बागडोर रहती है बस एक पल चिंतन की जरूरत है।

©Rishi Pratap Rishi #Rose
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Rishi Pratap Rishi

प्रकृति की गोद में इंसान बनने के लिए बुद्धि का विकास होना जरूरी है।बुद्धि के विकास के लिए शिक्षा का होना जरूरी है।शिक्षा के लिए जागरूक होना जरूरी है।जागरूक होने के लिए आडम्बर और अंधविश्वास को त्याग करना जरूरी है।मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए अच्छी संगत और अच्छे विचार की जरूरत है।शायद आज भी हम भ्रमित होकर अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग नही करते है,इसलिए शिक्षित होकर भी अज्ञानता के अंधकार में समाहित हो जाते है।जब तक मानसिक गुलामी की प्रकिया नही टूटेगी तब तक समाज को अंधविश्वास और आडम्बर के अंधकार से दूर नही किया जा सकता।

©Rishi Pratap Rishi #AdhureVakya
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Rishi Pratap Rishi

स्मृतियां कभी नही मरती,जज्बात मर जाते है।स्मृतियों का उजाला उन जज्बातों को स्मृतिपटल पर बार बार जीवन देने की कोशिश करता है,जो मर चुके है परंतु मरे हुए जज्बातों को पुनः जीवित नही किया जा सकता।जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे मन के संवेग बीती हुयी स्मृति को मरे हुए प्राणी की तरह कब्र में इस तरह दफना देते है जैसे इनसे कभी कोई सरोकार ही न रहा हो।उम्र का पड़ाव और शारीरिक संरचना भले ही वक्त के साथ बदल जाती है परंतु मचलते जज्बात उम्र के बंधन में कोई रोड़ा कभी पैदा नही करते।

©Rishi Pratap Rishi #5LinePoetry
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Rishi Pratap Rishi

दाम्पत्य जीवन मे बेजोड़ जीवन जीने से कही बेहतर है कि एकाकी जीवन को प्राथमिकता देना,जिसमे आप अपने नैतिक मूल्यों को कही अधिक समृद्धशाली बना पाएंगे।एक ऐसे जीवन को जीना जिसमे आप अपने नैतिक मूल्यों को खोते चले जाते है तो आप अपने समृद्धि एवं विवेकशीलता का हास् धीरे धीरे करते चले जायेंगे।तनावरहित जीवन एवं बन्धनमुक्त चेतना से अधिक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया जा सकता है।लेकिन एकाग्रता भंग करने वाले साथी के तीखे वचन हमारी दिनचर्या को प्रतिदिन मारकर निर्णायक क्षमता का हास् करने से नही चूकते।शायद इसका मुख्य कारण हम अपनी क्षमताओ को जीवंत रखने के लिए अपने विवेक को सम्यक चिंतन करने का समय ही नही दे पाते।यही जीवन की विडंबना है।

©Rishi Pratap Rishi
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Rishi Pratap Rishi

#5LinePoetry बच्चों के लिए हमारा आचरण ही सबसे बड़ा अनुकरणीय है।हमारे संस्कार ही हमारे सभ्य होने का सबसे बड़ा प्रतीक है।संयमित शैली और सम्यक विचारधारा ही हमारा बदलाव कर सकते है।प्रेम और ऊर्जा की प्रेरणा ही हमारे बच्चों को अधिक आनंदित कर नए मार्ग का सृजन कर सकती है।सृजन की भूमिका निभाना ही एक परिपक्व मानसिकता की निशानी है।जिसे कभी भी त्यागना नही चाहिए।कल्याणकारी और मार्गदर्शक का पन्थ किसी भी उम्र का गुलाम नही होता।विचारधारा ही क्रांति और सृजन का भाव जागृत करती रहती है।यही प्रेरणा उत्पन्न कर बच्चों को प्रेरक बनाने के लिए हमे सतत प्रयास करते रहना चाहिए।

©Rishi Pratap Rishi #5LinePoetry
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Rishi Pratap Rishi

आदि मनुष्य की आजीविका केवल भोजन के ऊपर निर्भर थी।उसका भोजन मुख्य रूप से जानवर थे।पका कर खाने के लिए प्रकृति द्वारा उसके मस्तिष्क को विकसित करने के लिए अवसर प्रदान किये गए।उसके जीवन मे स्थायित्व की सोच कृषि कार्य ने पैदा कर दी।समूह में रहकर उसके द्वारा समाजिक सोच का भाव उत्पन्न हुआ,लेकिन मत एवं पन्थ की भिन्नता के कारण सामाजिक रूप से भिन्नताओ के धर्मो का उदय हो गया।एक दूसरे से श्रेष्ठता की पराकाष्ठा के कारण मनुष्य मनुष्य का ही शत्रु हो गया।मानसिक विकास का उच्चतम मानक ही श्रेष्ठता की पहचान है,परन्तु ऐसी श्रेष्ठता किस काम की जिसमे मानवता का भाव ही न हो।

©Rishi Pratap Rishi #stay_home_stay_safe
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