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mayurichavhan4564
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Mayuri Chavhan

Writer learner

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Mayuri Chavhan

do sher

#tears

do sher #tears

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Mayuri Chavhan

Noman shauq

#sitarmusic

Noman shauq #sitarmusic

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Mayuri Chavhan

ek din aisa ho....

#DelhiElections2020

ek din aisa ho.... #DelhiElections2020

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Mayuri Chavhan

❤️❤️

#BackToNormal

❤️❤️ #BackToNormal

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Mayuri Chavhan

kuch sher apni likhawat ke

#wisdomwords

kuch sher apni likhawat ke #wisdomwords

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Mayuri Chavhan

ग़ज़ल

#Smooth
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Mayuri Chavhan

ज़िंदा रहे तो ग़म-ए-हयात से डर लगता है,
ज़िंदगी को मौत से डर लगता है!

वो परिंदो को कभी रिहा नहीं करता,
ज़ालिम को इनायत से डर लगता है!

सितम पे सितम होते है दिन भर उसके,
फिर अकेले में रात से डर लगता है!

देखना वो ज़रूर कोई बहाना करेगा,
बेवफा को मुलाक़ात से डर लगता है!

ता-उम्र एक ख़ौफ़ में जीना पड़ता है,
बादशाह को बगावत से डर लगता है!

बंद आँखों में जन्नत बसती है 'मयूरी'
 आँख खुलते ही हर बात से डर लगता है!

©Mayuri Chavhan
  ghazal

#dryleaf

ghazal #dryleaf

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Mayuri Chavhan

ज़िंदा रहे तो ग़म-ए-हयात से डर लगता है,
ज़िंदगी को मौत से डर लगता है!

वो परिंदो को कभी रिहा नहीं करता,
ज़ालिम को इनायत से डर लगता है!

सितम पे सितम होते है दिन भर उसके,
फिर अकेले में रात से डर लगता है!

देखना वो ज़रूर कोई बहाना करेगा,
बेवफा को मुलाक़ात से डर लगता है!

ता-उम्र एक ख़ौफ़ में जीना पड़ता है,
बादशाह को बगावत से डर लगता है!

बंद आँखों में जन्नत बसती है 'मयूरी'
 आँख खुलते ही हर बात से डर लगता है!

©Mayuri Chavhan
  ghazal

#dryleaf

ghazal #dryleaf

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Mayuri Chavhan

ज़िंदा रहे तो ग़म-ए-हयात से डर लगता है,
ज़िंदगी को मौत से डर लगता है!

वो परिंदो को कभी रिहा नहीं करता,
ज़ालिम को इनायत से डर लगता है!

सितम पे सितम होते है दिन भर उसके,
फिर अकेले में रात से डर लगता है!

देखना वो ज़रूर कोई बहाना करेगा,
बेवफा को मुलाक़ात से डर लगता है!

ता-उम्र एक ख़ौफ़ में जीना पड़ता है,
बादशाह को बगावत से डर लगता है!

बंद आँखों में जन्नत बसती है 'मयूरी'
 आँख खुलते ही हर बात से डर लगता है!

©Mayuri Chavhan इक ग़ज़ल


#mayuri

इक ग़ज़ल #Mayuri

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Mayuri Chavhan

ज़िंदा रहे तो ग़म-ए-हयात से डर लगता है,
ज़िंदगी को मौत से डर लगता है!

वो परिंदो को कभी रिहा नहीं करता,
ज़ालिम को इनायत से डर लगता है!

सितम पे सितम होते है दिन भर उसके,
फिर अकेले में रात से डर लगता है!

देखना वो ज़रूर कोई बहाना करेगा,
बेवफा को मुलाक़ात से डर लगता है!

ता-उम्र एक ख़ौफ़ में जीना पड़ता है,
बादशाह को बगावत से डर लगता है!

बंद आँखों में जन्नत बसती है 'मयूरी'
 आँख खुलते ही हर बात से डर लगता है!

©Mayuri Chavhan
  ghazal

#dryleaf

ghazal #dryleaf

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