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pavaneeshsingh2534
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Pavaneesh Singh

एक सायर की की सायरी से एक अनोखा लगाव है। मोहब्त, धोका के धागों से में सायरी बुनता हु 12वी क्लास की सायरी। #दिल्ली

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Pavaneesh Singh

वो दिन बहुत शुकून से गुज़रते थे
जब साथ मिलकर रसायन विज्ञान के ट्यूशन जाते थे
वो 12वी की नवावगिरी हुआ करती थी
कितने राज मेने इस अँधरे मन में बसा लिए
कभी रोज तुम्हारी तसवीर देखता हूं तो आसुंओ से राज निकलते है #raaz
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Pavaneesh Singh

बचपन और गिल्ली डंडा  वो गांव की इतवार की छुट्टी
बन्द होती थी हमारी डंडे से मुट्ठी
गिल्ली की काट देते कुट्टी
लगी रहती हमपे मैदान की मिट्टी
बचपन की ये यादे आती रहती याद चिट्टी #GilliDanda
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Pavaneesh Singh

आतंकवाद हमे ना पता था पाकिस्तान अलग होने के वाद
भारत में फैलाएगा आतंकवाद
इसपे होगा घमासान विवाद
भारत को कराना होगा इससे अवाद #आतंकवाद
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Pavaneesh Singh

जाने उस दिन रोये कितनी वार
जब तुम चले गये थे याद शहर से बहार
कितनी खाई थी खातिर तुम्हारे 12वी में मार
वो वचपन की सुबह का इतबार
हम आज भी तुम्हारा ही  इंतज़ार
कोई नही आया आया ज़िन्दगी मे हमार
है कबूतर बता दे उनको ये समाचार आशिकी के दिन

आशिकी के दिन

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Pavaneesh Singh

अबकी आशिकी से कहा मिलता है शुकुन
हरदम ये रूह रहती है बेचैन 
चाहती हैं 12 वी बाली आशिकी का चैन
जब थे  आशिक़ी में सीता रहमान
दोनों धर्मो के बीच था घमासान
रुह हुई थी बड़ी परेशान

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Pavaneesh Singh

Natural Morning 19 वी सदी में था बचपन हमारा 
मोबाइल,इंटनेट का नही था दूर दूर किनारा
शक्तिमान देखने मे जाता था इतवार सारा
जून की छुट्टीयो में नानी बुलाती  यहभी घर तुम्हारा
बागो में घूमते आम खाते बचपन था प्यारा में मानता हूं जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है बचपन खतरे में होता जा रहा है आजकल सारे बच्चे कुछ खेलते नही है ना नानी के घर जाते है मोबाइल में लगे रहते है

में मानता हूं जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है बचपन खतरे में होता जा रहा है आजकल सारे बच्चे कुछ खेलते नही है ना नानी के घर जाते है मोबाइल में लगे रहते है

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Pavaneesh Singh

Natural Morning  19 वी सदी में था बचपन हमारा 
मोबाइल,इंटनेट का नही था दूर दूर किनारा
शक्तिमान देखने मे जाता था इतवार सारा
जून की छुट्टीयो में नानी बुलाती  यहभी घर तुम्हारा
बागो में घूमते आम खाते बचपन था प्यारा

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Pavaneesh Singh

सफ़र मंजिलो के सफर में जब चौराहो से मुलाकात होती है।तो एक रास्ता खुद ही चुनना पड़ता है वो तो मुक्कदर पर निर्भर हैं कि रास्ता मंजिल पर जाता है या नही


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