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sachinverma9038
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bhai sachin pasi

सामाजिक कार्यकर्ता पासी समाज

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bhai sachin pasi

भारतीय पासी समाज- एक खोज

मेरे लेख का शीर्षक है भारतीय पासी समाज ।आपके मन में विचार आएगा क्या भारत के बाहर भी पासी है जो मैंने भारीतय पासी समाज लिखा है।तो जी हां पासी के नाम पर भारत के बाहर कोई समाज तो नही है  पर पासी नाम कुछ देशो में प्रचलित है।इंटरनेट पर सर्च करने पर पता चलता है की अमेरिका में कुछ लोग पासी नाम लिखते है और पासी नाम किंग या रॉयल के नाम से जाना जाता है पासी नाम लड़को का रखा जाता है।पासी नाम काफी कम लोग उपयोग करते है पर  कुछ लोग अमेरिका में पासी नाम रखते है यह सच है।और वंहा भी पासी नाम का मतलब किंग ही होता है।जब इस बारे कुछ और सर्च किया तो पाया पासी नाम का ओरिजीन अलग अलग साईट पर अलग अलग  दी हुई है कुछ अमेरिका बता रहे है कुछ ग्रीस और कुछ ऑस्ट्रेलिया भी भी बता रहे है  पर सबसे  दमदार पॉइंट है ग्रीस का जो डिटेल में बताता की है की इस शब्द का जन्म कैसे हुआ ।इनका कहना है इंगलिश का पासी शब्द बना है BAISL से और बेसिल शब्द बना BASILUS से। 

BASILEUS  शब्द प्राचीन ग्रीस  में यौद्धा या राजा या  रॉयल फॅमिली  के लिये उपयोग होता था।BASILEUS शब्द  से बना है BASILऔर उससे बना है PASI और यह शब्द रॉयल या शाही या किंग से जुड़ा है इस तरह की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। पर पासी का किसी भी साईट किसी भी देश में  भारत से जुड़ा नही दिखाया गया है कम सर कम मुझे तो नहीं मिला। मुझे लगता है शायद  इसलिये क्योंकि भारत में पासी नाम नही है बल्कि एक जाती है ।पर एक समानता दिखती है की भारतीय पासी समाज के लोग भी अपने को रॉयल खानदान से जोड़ कर देखते है कारण  10वि शताबदी के के आस पास कई सौ सालो तक उत्तर भारत के एक बड़े भू भाग पर पासी राजाओ ने राज्य किया था उन राजाओ में महाराजा बिजली पासी, महाराजा सातन पासी महारजा लाखन पासी महारजा सुहेल देव  पासी जैसे बहुत से पराक्रमी राजाओ ने राज किया था।

 

इंटरनेट पर खोज के दौरान कई देशो में पासी शब्द का उपयोग मिला  हालांकि यंहा भी पासी का क्या मतलब है कोई एक राय नही बन पाई है अलग अलग साईट पर अलग अलग जानकारी दी हुई है पर एक बात जो सभी जगहो पर कॉमन दिखी वह है की दुनिया में भी बाकि जगहों पर पासी का मतलब रॉयल किंग या यौद्धा ही माना जा रहा है जैसा की हमारे देश में अब पासी समाज अपने इतिहास को जानने के बाद जोड़ रहा है।जब आजादी के बाद इस समाज के लोग पढ़ लिख कर आगे आये तो उन्होंने पासी इतिहास के बारे में खोजबीन की तो पासी समाज के राजा महाराजाओ के बारे में पता चला और इन राजा महाराजाओ के बारे आज कई किताबे लिखी गई है।

 

पासी समाज का इतिहास आज भी पुरे उत्तर भारत में अपनी छाप छोड़ी हुई है जैसे उत्तर भारत की राजधानी लखनऊ शहर के निर्माता महाराजा लाखन पासी थे। लखनऊ शहर के बीचो बीच महारजा बिजली पासी किले के विशाल अवशेष प्राप्त हुए है जो उत्तर परदेश सरकार द्वारा संरक्षित है।वीरांगना उदा देवी पासी जो जिन्हीने आजादी की लड़ाई में कई अंग्रेजो को मारा था आज उनकी प्रतिमा लखनऊ में लगाई गई है।बहुत कुछ है जिसके बारे में पासी समाज के इतिहासकारो ने पासी इतिहास के बारे में किताबो में लिखा है। पर मैं यंहा बात कर रहा हु उन कुछ अनछुए पहलुओ पर जो इंटरनेट पर खोज के दौरान मिले।पासीघाट के नाम से हमारे देश में ही एक एअरपोर्ट पोर्ट है हमारे देश में अरुणाचल परदेश में जिसके बारे में जानकारी पासी समाज के अधिकतर लोगो को नहीं है।

पासी सीटी के नाम से एक पूरा शहर है फिललिपिन् देश में हालांकि पासी नाम के बारे में ज्यादा जानकारी नही मिली पर आप सर्च करंगे पासी सिटी तो फ़िलिपीन देश के एक शहर के बारे में इस पासी सिटी के बारे में पता चलता है। विकिपड़िया पर खोज करते समय पासी शब्द की जानकारी ढुढते समय यह जानकारी मिलती है की पासी शब्द की उत्पति संस्कृत के दो शब्दों से मिल कर बना है पा+आसी  जिसमे पा का मतलब होता है संस्कृत में पंजा और आसी का मतलब होता है तलवार तो इस तरह से पासी का मतलब निकल कर आता है तलवार हाथ में लेना वाला या तलवार बाज या एक यौद्धा का प्रतीक। 

 

इस बात की तकसिद् न सिर्फ पासी राजा महाराजाओ के इतिहास से होती है बल्कि पासी राजाओ का राजपाट खत्म होने के बाद भी इन्होंने बहुत से राजाओ की सेनाओ में अपनी सेवाएं दी यह एक अच्छे लड़ाके होते थे इसिलिय राजाओ के अंगरक्षक सदस्यों में होते थे।अंग्रेजो से भी  लड़ने में इस समाज ने जमकर लोहा लिया इसीलिए अंग्रेजो ने इस समाज पर कण्ट्रोल करने के लिये इस समाज पर जरायम एक्ट लगा दिया था। जिसका बाद के वर्षो में इस समाज पर बहुत बुरा असर पड़ा और यह पासी समाज मुख्य धारा से बहुत पिछड़ गया। आज भारत में पासी समाज कई उपजातियो और सरनेम में बांट गया है आज भारत के पासी समाज के अधिकतर लोग नाम के आगे  पासी,सरोज,रावत,कैथवास लगाते है।पसियो की जाती और उपजाति बहुत सारी है उसे जानने के लिये आपको पासी इतिहासकारो की किताबो को पढ़ना पढ़ेगा।

 

आज भारतीय पासी समाज अपने को अलग थलग पाता है वह घोषित रूप से तो शुद्र में आता है पर वह अपने आपको इतिहास के पासी राजा महाराजाओ के आधार पर खुद को क्षत्रिय मानता है।यह मानने का बड़ा कारण है की हमारे देश में और अधिकतर उत्तर भारत में हिन्दू धर्म की सभी जातिया हिन्दू समाज के किसी न कीसी कार्य में सपोर्ट करती है जैसे धोबी कपडा धोने के लिये,नाइ बाल काटने के लिये,लोहार ,बढ़ई आदि आदि, ब्राह्मण शिक्षा और पूजा पाठ के लिये, और क्षत्रिय राजपाट ,युद्ध और बल के लिये। इसमें पासी समाज कान्हा फिट होता है । पासी समाज  अपने आपको जो नजदीक पाता है वह है क्षत्रिय।इसिलिय आज का पासी समाज का युवा आज अपने इतिहास को जानना चाहता है।

 

इसी दिशा में मैंने कुछ खोज बीन की और जो कुछ नई जानकारियां मुझे मिली जो वह इस लेख के जरिये आप लोगो के सामने प्रस्तुत है। आप लोगो के सुझाव आमन्त्रित है या कोई त्रुटि हो तो जरूरत बताये।

भाई सचिन पासी

©bhai sachin pasi भारतीय पासी समाज- एक खोज

भारतीय पासी समाज- एक खोज #पौराणिककथा

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bhai sachin pasi

महाराजा बिजली पासी





                                                     महाराजा बिजली पासी 

महाराजा बिजली पासी बारहवीं शताब्दी पासी राजाओं के साम्राज्य के लिए बहुत अशुभ साबित हुई। इसी शताब्दी के अन्तिम वर्षों में अवध के सबसे शक्तिशाली पासी महाराजा बिजली वीरगति को प्राप्त हुए थे। सन् 1194 ई. में इससे पहले राजा लाखन पासी भी वीरगति को प्राप्त हुए। महाराजा बिजली पासी की माता का नाम बिजना था, इसीलिए उन्होंने सर्वप्रथम अपनी माता की स्मृति में बिजनागढ की स्थापना की थी जो कालांतर में बिजनौरगढ़ के नाम से संबोधित किया जाने लगा।बिजली पासी के कार्य शेत्र में विस्तार हो जाने के कारण बिजनागढ में गढ़ी का समिति स्थान पर्याप्त न होने के कारण बिजली पासी ने अपने मातहत एक सरदार को बिजनागढ को सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी पिता की याद में बिजनौर गढ़ से उत्तर तीन किलोमीटर की दूरी पर पिता नटवा के नाम पर नटवागढ़ की स्थापना की।यह किला काफी भव्य और सुरक्षित था। बिजली पासी की लोकप्रियता बढ़ने लगी और अब तक वह राजा की उपाधि धारण कर चुके थे। नटवागढ़ भी कार्य संचालन की द्रिष्टि से पर्याप्त नहीं था, उसके उत्तर तीन किलोमीटर एक विशाल किले का निर्माण कराया जिसका नाम महाराजा बिजली पासी किला पड़ा। जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं, अब राजा बिजली पासी महाराजा बिजली पासी के नाम से विभूषित हो चुके थे। यह किला लखनऊ जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर सदर तहसील लखनऊ के अंतर्गत दक्षिण की ओर बंगला बाजार के आगे सड़क के दाहिनी ओर आज भी महाराजा बिजली पासी के साम्राज्य के मूक गवाह के रूप में विद्यमान है। महाराजा ने कुल 12 किले राज्य विस्तार के कारण बनवाये थे। 1- नटवागढ़ 2- बिजनौरगढ़ 3- महाराजा बिजली पासी किला 4- माती 5- परवर पश्चिम 6- कल्ली पश्चिम किलों के भग्नावशेष आज भी मौजूद हैं। 7- पुराना किला 8- औरावां किला 9- दादूपुर किला 10- भटगांव किला 11- ऐनकिला 12- पिपरसेंड किला। उत्तर में पुराना किला, दक्षिणी में नींवाढक जंगल सीमा सुरक्षा के रूप में कार्य करता था। इसके मध्य में महाराजा बिजली पासी का केन्द्रीय किला सुरक्षित था। महाराजा बिजली पासी के अंतर्गत 94,829 एकड़ भूमि अथवा 184 वर्ग मील का भू-भाग सम्मिलित था, इस क्षेत्र की भूमि उपजाऊ थी, धान, गेहूं, चना, मटर, ज्वार। बाजरा आदि की खेती होती थी। महाराजा बिजली पासी की प्रगति से कन्नौज का राजा जयचंद्र चिन्तित रहने लगा क्योंकि महाराजा बिजली पासी पराक्रमी उत्साही और महत्वकांक्षी थे। बिजली पासी के सैन्य बल एवं वीर योद्धाओं का वर्णन सुनकर जयचंद्र भयभीत रहता था। लेकिन अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए जयचंद्र की भी इच्छा रहती थी। जयचंद ने सबसे पहले महाराजा सातन पासी के किले पर आक्रमण कर दिया, इस आक्रमण में घमासान युद्ध हुआ और जयचंद की सेनाओं को भागना पड़ा। इस अपमान जनक पराजय से जयचंद का मनोबल टूट गया था। किंतु बाद में जयचंद ने कुटिलता पूर्वक एक चाल चली और महोबा के शूरवीर आल्हा ऊदल को भारी खजाना एवं राज्य देने के प्रलोभन देकर बिजनौरगढ़ एवं महाराजा बिजली पासी के किले पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया। आल्हा ऊदल कन्नौज की सेनायें लेकर अवध आये और उनका पहला पड़ाव लक्ष्मण टीला था। इसके बाद पहाड़ नगर टिकरिया गये। बिजनौरगढ़ से 10 किलोमीटर दक्षिण की ओर सरवन टीलें पर उन्होंने डेरा डाला। यहां से उन्होंने अपने गुप्तचरों द्वारा बिजली पासी किले से संबंधित सूचनाएं एकत्र की। जिस समय महाराजा बिजली पासी अपने पड़ोसी मित्र राजा काकोरगढ़ के किले में आवश्यक कार्य से गये हुए थे। उसी समय मौका पाकर आल्हा ऊदल ने अपना एक दूत इस संदेश के साथ भेजा कि राजा हमें अधिक धनराशि देकर हमारी अधीनता स्वीकार करें। यह सूचना तेजी से संदेश वाहक ने महाराजा बिजली पासी को काकोरगढ़ किले में दी उसी समय सातन पट्टी के राजा सातन पासी भी किसी विचार विमर्श के लिए काकोरगढ़ आये थे। संदेश पाकर महाराजा बिजली पासी घबराये नही। बल्कि धैर्य से उसका मुंह तोड जवाब भिजवाया कि महाराजा बिजली पासी न तो किसी राज्य के अधीन रहकर राज्य करते हैं और न ही किसी को अपनी आय का एक अंश भी देने को तैयार हैं। जब आल्हा ऊदल का दूत यह संदेश लेकर पहुंचा उसे सुनकर आल्हा ऊदल झुंझलाकर आग बबूला हो गये और अपनी सेनाएं गांजर में उतार दी। यह खुला मैदान था, यहां पेड़ पौधे नही थे। इस स्थान पर मुकाबला आमने सामने हुआ। यह मैदान इतिहास में गांजर भांगर के नाम से मशहूर है। यह युद्ध तीन महीना तेरह दिन तक चला। इस युद्ध में सातन कोट के राजा सातन पासी ने भी पूरी भागीदारी की थी। युद्ध बड़ा भयानक था। इसमें अनेक वीर योद्धाओं का नरसंहार हुआ। गांजर भूमि पर तलवार और खून ही खून था इसलिए इसे लौह गांजर भी कहा जाता है। वर्तमान में इस स्थान पर गंजरिया फार्म है। इस घमासान युद्ध में पराक्रमी पासी राजा महाराजा बिजली पासी बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह युद्ध सन् 1194 ई. में हुअा था। यह समाचार जब पड़ोसी राज्य देवगढ़ के राजा देवमाती को मिला तो वह अपनी फौजों के साथ आल्हा ऊदल पर भूखे शेर की भांति झपट पड़ा। इस युद्ध की भयंकर गर्जन और ललकार सुनकर आल्हा ऊदल भयभीत होकर कन्नौज की ओर भाग खड़े हुए। परन्तु आल्हा ऊदल के साले जोगा भोगा राजा सातन ने खदेड़ कर मौत के घाट उतार दिया और पड़ोसी राज्य से सच्ची मित्रता तथा पासी समाज के शौर्य का परिचय दिया। महाराजा बिजली पासी के किले के अलावा उनके अधीन 11 किलों का वर्णन इतिहास में बहुत ही सतही ढंग से किया गया 
भाई सचिन पासी

©bhai sachin pasi महाराजा बिजली पासी

महाराजा बिजली पासी #पौराणिककथा

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bhai sachin pasi

पासी समाज को जो भी भाई आगे बढ़ाना चाहते हैं अपने राजा महाराजाओं के किले बचाना चाहते हैं तो एक साथ मिलकर काम करें अलग अलग संगठन बनाकर नहीं अलग संगठन बनाने से सिर्फ आप अध्यक्ष बनेंगे अगर अपने समाज का सही से नेतृत्व करेंगे तो आप एक मजबूत समाज का निर्माण करेंगे निर्माण करने के लिए अध्यक्ष बनना जरूरी नहीं काम करना जरूरी है क्योंकि आज हमारे समाज में अध्यक्ष बनने की होड़ लगी है इसीलिए ज्यादा संगठन बन रहे हैं ज्यादा संगठन बनाने से हम समाज को बांटने का काम कर रहे हैं समाज को जोड़ने का काम नहीं कर रहे इसीलिए पासी समाज और टूटता  जा रहा है अलग-अलग विचार अलग-अलग संगठन एक विचार एक संगठन तभी होगा हमारे समाज का संपूर्ण विकास इसीलिए कहता हूं अध्यक्ष बनने पर जोर मत दो काम करने पर जोर दो तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा 🙏🙏🙏🙏 मैं अपने समाज का एक मामूली सा सेवक हूं अगर आप सब का साथ मिला आप सब के विचार और मेरे विचार मिले निरंतर में अपने पासी समाज के लिए काम करता रहूंगा भाई सचिन पासी

©Sachin Verma सच हमेशा कड़वा होता है।

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सच हमेशा कड़वा होता है। #Light #विचार


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