Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser9452284036
  • 204Stories
  • 268Followers
  • 923Love
    0Views

अंदाज़ ए बयाँ...

Actor Director Writer

  • Popular
  • Latest
  • Video
3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

जब जानवर कोई इंसान को मारे,
कहते हैं दुनिया में वैहशी उसे सारे,
एक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है,
चुप क्यूँ है संसार ??? 😞😞😢 #RIPHUMANITY
3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

जो लोग सिग्नल पर एक मिनट नहीं रुक सकते,
 वो सोशल मीडिया पर समाज और देश की प्रगति की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, 
इनसे कहो आप सुधर जाओ, देश सुधर ही गया समझो। जो लोग सिग्नल पर एक मिनट नहीं रुक सकते,
 वो सोशल मीडिया पर समाज और देश की प्रगति की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, 
इनसे कहो आप सुधर जाओ, देश सुधर ही गया समझो।

जो लोग सिग्नल पर एक मिनट नहीं रुक सकते, वो सोशल मीडिया पर समाज और देश की प्रगति की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, इनसे कहो आप सुधर जाओ, देश सुधर ही गया समझो।

11 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

ये बरसात नहीं बुझा पाएगी आग मेरे दिल की,
जो ख़ुद रो पड़ी है मेरे छालों को देखकर।
ग़म इस बात का नहीं कि वो बेवफ़ा रही,
हैरत हमें हुई उसके सवालों को देखकर।

गुज़रा हुआ दौर, बस गुज़रता ही जाएगा,
मुट्ठी में दबी रेत सा फिसलता ही जाएगा,
जो मुझसे ना कह पाई मेरे चेहरे की सिलवटें,
दर्पन कभी कहेगा उसके गालों को देखकर।

ये खाली खाली सी ज़िंदगी खाली ही रह जाएगी,
आँखों में अमावस यादों में दिवाली रह जाएगी,
चाहनेवाले समझ जाएंगें महफ़िल के राज़ को,
ग़ैर बुनेंगें कहानी बिखरे प्यालों को देखकर।

रविकुमार ये बरसात नहीं बुझा पाएगी आग मेरे दिल की,
जो ख़ुद रो पड़ी है मेरे छालों को देखकर।
ग़म इस बात का नहीं कि वो बेवफ़ा रही,
हैरत हमें हुई उसके सवालों को देखकर।
गुज़रा हुआ दौर, बस गुज़रता ही जाएगा,
मुट्ठी में दबी रेत सा फिसलता ही जाएगा,
जो मुझसे ना कह पाई मेरे चेहरे की सिलवटें,
दर्पन कभी कहेगा उसके गालों को देखकर।

ये बरसात नहीं बुझा पाएगी आग मेरे दिल की, जो ख़ुद रो पड़ी है मेरे छालों को देखकर। ग़म इस बात का नहीं कि वो बेवफ़ा रही, हैरत हमें हुई उसके सवालों को देखकर। गुज़रा हुआ दौर, बस गुज़रता ही जाएगा, मुट्ठी में दबी रेत सा फिसलता ही जाएगा, जो मुझसे ना कह पाई मेरे चेहरे की सिलवटें, दर्पन कभी कहेगा उसके गालों को देखकर।

8 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

India in 5 Words अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए,
भले धर्म कर्म हो अलग अलग, हमें छाँट नहीं कोई पाए ।
मनसूबे अब दुश्मन के आबाद नहीं होने पाए,
सपना अखंड भारत का बर्बाद नहीं होने पाए ।
जो रक्त मिला इस माटी में उसे कुछ तो हमपर नाज़ हो,
"भगत" जो देखे धरती पर निराश नहीं होने पाए ।
अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए ...
रविकुमार अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए,
भले धर्म कर्म हो अलग अलग, हमें छाँट नहीं कोई पाए ।
मनसूबे अब दुश्मन के आबाद नहीं होने पाए,
सपना अखंड भारत का बर्बाद नहीं होने पाए ।
जो रक्त मिला इस माटी में उसे कुछ तो हमपर नाज़ हो,
भगत जो देखे धरती पर निराश नहीं होने पाए ।
अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए ...
रविकुमार

अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए, भले धर्म कर्म हो अलग अलग, हमें छाँट नहीं कोई पाए । मनसूबे अब दुश्मन के आबाद नहीं होने पाए, सपना अखंड भारत का बर्बाद नहीं होने पाए । जो रक्त मिला इस माटी में उसे कुछ तो हमपर नाज़ हो, भगत जो देखे धरती पर निराश नहीं होने पाए । अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए ... रविकुमार

11 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

चलो, 
ये तो अच्छा हुआ,
 कि तुम मुझे अच्छे से पहचानते हो, 
वरना मैं तो ढूँढ़ ही रहा था पहचान अपनी...
रविकुमार चलो, 
ये तो अच्छा हुआ,
कि तुम मुझे अच्छे से पहचानते हो, 
वरना मैं तो ढूँढ़ ही रहा था पहचान अपनी...
रविकुमार

चलो, ये तो अच्छा हुआ, कि तुम मुझे अच्छे से पहचानते हो, वरना मैं तो ढूँढ़ ही रहा था पहचान अपनी... रविकुमार

7 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

टाट पर बैठा ग़रीब,
बड़ी उम्मीद से तख़्त को ताके जाता है,
और ख़ुदा के कर्म से ग़र ख़ुद वहाँ पहुँच जाएं, 
तो ग़रीबों को नज़रंदाज़ करना, उसका भी हुन्नर बन जाता है।
रविकुमार #Politics

9 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है ?
नींद ही टूटी है तेरी, ख़्वाब नहीं बदला है ?
रख दे ताक पर रस्मों रिवाज़ को,
फ़िर हवा दे सीने में बुझती आग को,
कहानी ही बदली है तेरी, क़िरदार नहीं बदला है,
ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है।
जो ना मिला तुझे, वो तेरा था ही नहीं,
रिश्तों की गाँठे खोलने की अब वजह ही नहीं,
काया बदली है तेरी, रक्त नहीं बदला है,
ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है।

रविकुमार ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है ?
नींद ही टूटी है तेरी, ख़्वाब नहीं बदला है ?
रख दे ताक पर रस्मों रिवाज़ को,
फ़िर हवा दे सीने में बुझती आग को,
कहानी ही बदली है तेरी, क़िरदार नहीं बदला है,
ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है।
जो ना मिला तुझे, वो तेरा था ही नहीं,
रिश्तों की गाँठे खोलने की अब वजह ही नहीं,

ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है ? नींद ही टूटी है तेरी, ख़्वाब नहीं बदला है ? रख दे ताक पर रस्मों रिवाज़ को, फ़िर हवा दे सीने में बुझती आग को, कहानी ही बदली है तेरी, क़िरदार नहीं बदला है, ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है। जो ना मिला तुझे, वो तेरा था ही नहीं, रिश्तों की गाँठे खोलने की अब वजह ही नहीं,

11 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

रखो इरादों में दम भरकर,
ये सफ़र बड़ा पेचीदा है।
हर मोड़ पर नक़ाबपोश हैं,
और दिल अपना सीधा है।
रविकुमार रखो इरादों में दम भरकर,
ये सफ़र बड़ा पेचीदा है।
हर मोड़ पर नक़ाबपोश हैं,
और दिल अपना सीधा है।
रविकुमार

रखो इरादों में दम भरकर, ये सफ़र बड़ा पेचीदा है। हर मोड़ पर नक़ाबपोश हैं, और दिल अपना सीधा है। रविकुमार

10 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

आग लगाने को चिराग़ जला रक्खा है,
शरीर जलता नहीं, दिल जला रक्खा है,
नए रिश्ते बनाने से पहले सोच लेना दोस्त,
पुरानों ने तो मज़ाक बना रक्खा है।
रविकुमार आग लगाने को चिराग़ जला रक्खा है,
शरीर जलता नहीं, दिल जला रक्खा है,
नए रिश्ते बनाने से पहले सोच लेना दोस्त,
पुरानों ने तो मज़ाक बना रक्खा है।
रविकुमार

आग लगाने को चिराग़ जला रक्खा है, शरीर जलता नहीं, दिल जला रक्खा है, नए रिश्ते बनाने से पहले सोच लेना दोस्त, पुरानों ने तो मज़ाक बना रक्खा है। रविकुमार

8 Love

3dbc19924f81788b28bd3fa551c309de

अंदाज़ ए बयाँ...

Power and Politics 
तख़्त पर तानकर चादर वो सोते रहे,
हम मामूली थे, सो बेबस रोते रहे।
काश मौत हमारी भी ख़ुद की ख़ुशी होती,
हम फ़िज़ूल मरते रहे, गलियों में चर्चे होते रहे।
रविकुमार तख़्त पर तानकर चादर वो सोते रहे,
हम मामूली थे, सो बेबस रोते रहे।
काश मौत हमारी भी ख़ुद की ख़ुशी होती,
हम फ़िज़ूल मरते रहे, गलियों में चर्चे होते रहे।
रविकुमार

तख़्त पर तानकर चादर वो सोते रहे, हम मामूली थे, सो बेबस रोते रहे। काश मौत हमारी भी ख़ुद की ख़ुशी होती, हम फ़िज़ूल मरते रहे, गलियों में चर्चे होते रहे। रविकुमार

8 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile