जो लोग सिग्नल पर एक मिनट नहीं रुक सकते,
वो सोशल मीडिया पर समाज और देश की प्रगति की बड़ी बड़ी बातें करते हैं,
इनसे कहो आप सुधर जाओ, देश सुधर ही गया समझो।
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अंदाज़ ए बयाँ...
ये बरसात नहीं बुझा पाएगी आग मेरे दिल की,
जो ख़ुद रो पड़ी है मेरे छालों को देखकर।
ग़म इस बात का नहीं कि वो बेवफ़ा रही,
हैरत हमें हुई उसके सवालों को देखकर।
गुज़रा हुआ दौर, बस गुज़रता ही जाएगा,
मुट्ठी में दबी रेत सा फिसलता ही जाएगा,
जो मुझसे ना कह पाई मेरे चेहरे की सिलवटें,
दर्पन कभी कहेगा उसके गालों को देखकर।
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अंदाज़ ए बयाँ...
अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए,
भले धर्म कर्म हो अलग अलग, हमें छाँट नहीं कोई पाए ।
मनसूबे अब दुश्मन के आबाद नहीं होने पाए,
सपना अखंड भारत का बर्बाद नहीं होने पाए ।
जो रक्त मिला इस माटी में उसे कुछ तो हमपर नाज़ हो,
भगत जो देखे धरती पर निराश नहीं होने पाए ।
अब याद रहे भारत भक्तों, हमें बाँट नहीं कोई पाए ...
रविकुमार
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अंदाज़ ए बयाँ...
चलो,
ये तो अच्छा हुआ,
कि तुम मुझे अच्छे से पहचानते हो,
वरना मैं तो ढूँढ़ ही रहा था पहचान अपनी...
रविकुमार
ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है ?
नींद ही टूटी है तेरी, ख़्वाब नहीं बदला है ?
रख दे ताक पर रस्मों रिवाज़ को,
फ़िर हवा दे सीने में बुझती आग को,
कहानी ही बदली है तेरी, क़िरदार नहीं बदला है,
ढूँढ़ ले ख़ुद को, अभी वक़्त नहीं बदला है।
जो ना मिला तुझे, वो तेरा था ही नहीं,
रिश्तों की गाँठे खोलने की अब वजह ही नहीं,
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अंदाज़ ए बयाँ...
रखो इरादों में दम भरकर,
ये सफ़र बड़ा पेचीदा है।
हर मोड़ पर नक़ाबपोश हैं,
और दिल अपना सीधा है।
रविकुमार
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अंदाज़ ए बयाँ...
आग लगाने को चिराग़ जला रक्खा है,
शरीर जलता नहीं, दिल जला रक्खा है,
नए रिश्ते बनाने से पहले सोच लेना दोस्त,
पुरानों ने तो मज़ाक बना रक्खा है।
रविकुमार
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अंदाज़ ए बयाँ...
तख़्त पर तानकर चादर वो सोते रहे,
हम मामूली थे, सो बेबस रोते रहे।
काश मौत हमारी भी ख़ुद की ख़ुशी होती,
हम फ़िज़ूल मरते रहे, गलियों में चर्चे होते रहे।
रविकुमार