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snehasharma5043
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#Sneha Sharma

लिखने पढ़ने का शौक है ।

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#Sneha Sharma

अतीत की  बातें और यादें,
कड़वी थी या मिट्ठी सब व्यतीत हो गई।
वर्तमान जो  है वही  है सच , 
जो बीत गई वो रात  हो गई ।
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधी लेई ।
बुजुर्गो ने है ये बात कही,
हर सुबह का सूर्य लेकर ,
आता है रोशनी इक नई।
भविष्य तो अंधा कुआं है,
ना दिखें कुछ मिलेगी हर बात नई।। 
स्नेह शर्मा
स्वरचित

©#Sneha Sharma
  #Parchhai
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#Sneha Sharma

  शहर हो या गांव हर कहीं 
होते हैं धूम मस्ती  ढेरों जतन।
हां यही तो है इक विवाह का घर,
सब धर्मों की साक्षी में जहां होते लगन।
मगर जब देश की खातिर ड्यूटी पर,
जाते हैं उनके सैनिक साजन।
खिड़की की सलाखों  से
प्यार से झांकते हैं ये कजरारे  नयन।
गोरी कलाई में सजी हरी चूड़ियां पहन,
करती है विदा उन्हें नवेली दुल्हन ।
मुड़कर  देख लेने को इक बार,
मजबूर करती है, चूड़ियों की खनखन। 
ठिठक जाते है कुछ पल को,
उनके आगे  बढ़ते कदम।
याद आता है मगर मातृभूमि और
तिंरगे की रक्षा का  हर वचन।
चल पड़ते हैं फिर वो सीमा की तरफ
  ले मजबूत इरादे और कठोर मन।।
स्वरचित
स्नेह शर्मा

©#Sneha Sharma
  #paani
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#Sneha Sharma

एक कलम कार हूं  कलाकार हूं,
कलम को बना कूंची चलाया है।
विरह,शौर्य,श्रंगार शब्दों के रंग भर,
कागज पर उन्हें सजाया  है।
आज उसी कलमकार ने,
कलम का जादू चलाया है।
कलमकार महिला ने पुरुष पर ,
लिखने का बीड़ा उठाया है। 
जो भाई,पति और पिता होता है,
सबकी खातिर उसने भी कुछ खोया है।
अपना सब त्यागकर घर के,
हर सदस्य की सोचता है,
हो कैसी भी परिस्थितियां,
ना वो कभी घबराया है।
मगर जब बेटी की हो विदाई, 
तो छुपकर सबसे अधिक रोया है।  
ना रहे गर  वो खालीपन महसूस होता है,
क्यों कि वो ही पूरे घर का सरमाया  है।।
स्नेह शर्मा

©#Sneha Sharma
  #Friendship
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#Sneha Sharma


28.7.2023
#विषय, दर्द दिल का
दिया दर्द जो तुमने जो दिल को ,
नहीं दवा जहां में कोई उस मर्ज की।
पहुंच गए तुम अपने मुकाम पर ,
नहीं जरूरत तुम्हें किसी मंजिल की।
छोड़ दिया मौत के कगार पर हमको ,
नहीं तमन्ना हमें  भी अब जीने की।
दिल के कोरे कागज पर लहू से
जो मैंने लिख दिया नाम तुम्हारा ।
दो लफ्ज प्रेम में बंध गया जीवन सारा
था राज यही बस जीने मरने का हमारा।।
स्वरचित
स्नेह शर्मा

©#Sneha Sharma
  #chai
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#Sneha Sharma


फूल 
नारी को नर ने देखो,
क्या से क्या बना दिया।
देवी थीं कभी माना जिसे,
उसे दारू बना दिया।
उठी हवस जो दिल में,
लगा लब से नशा किया।
बेरूखी से फिर वहीं,
खाली जाम सा लुढ़का दिया।
गिरे जो अश्क आंखों से,
सिगरेट की आग से बुझा दिया।
जिस्म था जो उसे मानो,
ऐस्ट्रे की राख बना दिया।
खोला जो मुंह कभी उसने ,
समाज का ताला लगा दिया।
 जो किया विरोध प्रदर्शन
 तो सरेआम निर्वस्त्र किया ।
कैसा फूल है ये देखो जो,
मसला जाकर भी मुस्कुरा दिया। 
    तन की सुंदरता को तो सबने देखा 
 नारीमन की वेदना को किसने देखा।।
  
स्वरचित 
                 स्नेहशर्मा ।

©#Sneha Sharma
  #TiTLi
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#Sneha Sharma

कृपा सिंधु 
डोल रही ये जीवन नैया,
संकटमोचन  कृपा बरसा देना।
मूरख हूं अज्ञानी हूं मैं,
तुम ही कोई राह दिखला देना।
नश्वर शरीर के इस मन को,
भक्ति की पतवार थमा देना।
भव सागर से हे कृपा सिंधु,
बस तुम ही पार लगा देना।।
स्नेह शर्मा
स्वरचित

©#Sneha Sharma
  #UskeSaath
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#Sneha Sharma

#

पेड़ 


हरी भरी हो वादियां, 
 संग सुंदर हो आशियाना। 
हो पूरा सपना हर किसी का,
 लो संकल्प हर जगह पेड़ लगाना।।
स्नेह शर्मा
स्वरचित

©#Sneha Sharma
  #maaPapa
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#Sneha Sharma

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#Sneha Sharma



 लो घिर आई काली घटा
 फिर सावन का महिना आ गया।
मिले थे कभी दो अजनबी,
वो बरसात का दिन याद दिला गया।
गैर था वो इस लिए, 
तन्हाई की आग में झुलसा गया।
गर था कोई अपना ,
फिर बेवफाई का इल्ज़ाम क्यों दे गया।
खुद बा-वफा होता तो
भला अश्क किसी को फिर क्यों दे गया।।
स्नेह शर्मा 
स्वरचित 

स्नेह शर्मा

©#Sneha Sharma
  #safar
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#Sneha Sharma

प्यार की प्यास
चातक का प्रेम  तो देखो,
 दीवाना स्वाति बूंदों का जीवन भर।
 जल में रहे पर ना पिए एक बूंद,
 मर जाए भले ना मिले स्वाति जल।
 चोंच खोल कर करें प्रतिक्षा हर पल,
 कहते हैं इसे ही प्यार में पाग

©#Sneha Sharma
  #Chess
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