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devendrakumar7711
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Devendra kumar

कागज कलम और चंद अल्फाज़ जीने का जरिया है.. !! IG- deva_djadihar

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Devendra kumar

कोई सहारा दे मुझे ऐसी मुझमे आस क्यों है
मेरे पास मैं हूँ तो मुझे किसी की तलाश क्यों है

©Devendra kumar #selflove #beingselfish
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Devendra kumar

मोहब्बत की बातें किताबों तक रहने दो
जिम्मेदारियां है घर की, ऊपर से बहने दो

©Devendra kumar #udas
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Devendra kumar

ये कैसा सफर है मेरा
राह तो है हमराह नहीं
रास्ते तो है मंजिल नहीं
मै गुम हूँ या हूँ गुमशुदा
खुदसे मिलकर हूँ खुदसे जुदा
शाम भी वही चाँद भी वही
वो बेमतलब की बात भी वही
मै हूँ तुम हो औऱ है ख़ामोशी
मुकद्दर का लिखा भी वही
जो ना चाहा था मिला भी वही
आज जब निकल पड़ा हूँ खुदकी तलाश में
बेसुध होकर फिरता हूँ बनकर जिन्दा लाश मै
क्यों है क्या है किसलिए है वजूद मेरा
अधूरे जस्बात भी वही 
अनसुलझे ख्वाब भी वही

©Devendra kumar #Rose
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Devendra kumar

हवा कम पड़ रही है
दवा कम पड़ रही है
है मौत का साया चारो तरफ
अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रही है
किसी ने फैलाया हाँथ
तो किसी ने थामा हाँथ
मद्दत के इस सैलाब में दुआ कम पड़ रही है
किसी की चाह है जीने की
कोई मिन्नतें मांग रहा है थोड़ा औऱ जीने की
कही दो गज ज़मीन तो कही लकड़ियाँ कम पड़ रही है

©Devendra kumar #covidindia
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Devendra kumar

छलक गए जाम,
रकीब ने कुछ ऐसे पिलाया,
मदहोशी में झूम उठे हम,  
उसने नजर कुछ ऐसे मिलाया.

©Devendra kumar #Drops
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Devendra kumar

हम पीते गए वो पिलाते गए,
बादल मदहोशी के छाते गए,
बात गर होती शराब की तो होश में होते,
वो इश्क़ का जाम होठो से पिलाते गए

©Devendra kumar

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Devendra kumar

 #EveningBlush
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Devendra kumar

फीकी पड़ने लगी चाँद की चांदनी
रात के अँधेरे में उसने घूँघट जब उठा लिया
जाकर छुप गया चाँद बादलो में कही
शर्माकर उसने पलके जब उठा लिया
सितारे टिमटिमाते रहे उनके दीदार में
हवाओ ने भी अपना रुख मोड़ लिया
जुल्फों के साये तले गुज़ार दी सारी रात मैंने
थाम कर हाँथ धीरे से माथा उनका चुम लिया
हकीकत सा था सबकुछ मानो ख्वाब में मै जी रहा हूँ 
तोड़ कर सारी बंदिशे इश्क़ का जाम पी रहा हूँ 
सौप कर सबकुछ अपना
अब मैं खुदमें पराया सा लगता हूँ
बाकि अब रहा ना मुझमे कुछ मेरा
अब तो मैं भी तुझसा लगता हूँ
यूँ ही चलता रहे कारवां इश्क़ का बस ये
ख्वाइश है मेरी
तू रहे मुझमे साँसे बनकर मैं रहु तुझमे धड़कने बनकर बस ये
इल्तज़ा है मेरी
कुछ ऐसे छेड़ा मैंने राज़ दिल का, सुनकर उसने आहें भर लिया
शायद कुछ उसे भी कहना था
मेरे करीब आकर 
उसने भी मुझे चुम लिया

©Devendra kumar #reading
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Devendra kumar

अधूरी छोड़ दी मैंने
इश्क़ की सारी कहानियाँ
मुकम्मल इश्क़ ना मेरा हुआ
ना मैंने उनका होने दिया
इश्क़-ए-सितम कुछ ऐसा था
ना वो मेरे हुए ना मुझे किसी का होने दिया

©Devendra kumar #moonlight
#moon
#broken
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Devendra kumar

आबो हवा में खुशबू कुछ पुरानी सी है,
मौसम सुरूर में है फ़िज़ाए कुछ रूहानी सी है 
शायद लौट आया है वो शहर में,
पायल की आवाज़ कुछ जानी-पहचानी सी है

©Devendra kumar #EveningBlush
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