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snigdharudra1716
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snigdha rudra

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snigdha rudra

अब सपने नहीं आते    
   आती हैं तो बस कुछ यादें
अब हिचकियाँ नहीं आती 
    आती हैं तो बस कुछ बातें
अब मिलने को वो पलक्षिण नहीं आते
     आती हैं तो बस गुजरें लम्हें...
कितना कुछ बदल गया
    हैं न?
बस एक तुम्हारे चले जाने से...
कुछ कागज पर लिख देना
    और दूसरे ही पल
मरोड़ कर गुस्से में फेंक देना
    हां ,यही करते थे हम...
पीछे मुड़कर देखना
    कही तुमने मुड़कर मुझ देखा या नहीं?
कितना कुछ सह लिया
    बस ,तुम्हारे जाने के बाद...
कुछ कहा था तुमनें   
    हौलें से
मेरे कान बजे थे या सचमुच
    कुछ कह ही दिया था तुमने?...
चिकोटी काटना
     फिर खुद ही मांफी मांगना
हां,कुछ तो बदला हैं
     एक तुम्हारे चले जाने से....
खिड़की से जो तुमने आवाज दी थी
       पलट कर मेरा फिर लौटना
शायद कुछ बातें अधूरी रह गई थी
    हां,हां,याद आया
आज भी वो बातें अधूरी ही हैं..
 बस ,अब पूरी कैसे होगीं
जो तुम नहीं हो
     सबकुछ बदल गया
सिर्फ एक तुम्हारे चले जाने से...।

दिल के अल्फाज़....रूद्रा की कलम से ✒

©snigdha rudra
  तेरे चले जाने से.....

तेरे चले जाने से..... #Poetry

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snigdha rudra

जीवन का यथार्थ यही है

न समझो कुछ भी अपना है
कुछ नही सब सपना है
आज मिला जो कल खोएगा
जीवन का यथार्थ यही है.... 

कल जीना है जीवन अपना
हर रोज़ सोचे  कल आएगा अपना
नही आता वो कल फिर जीवन में
बस इंतजार में रह जाए मनवा

जीवन का बस सार यही है
जीवन का यथार्थ यही है...

©snigdha rudra
  जीवन का यथार्थ यही है

जीवन का यथार्थ यही है #Poetry

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snigdha rudra

एक दोस्त ऐसा हो
जो तुम मे
खुबिया नहीं
तुम्हें तुम्हारी खामियां बताएं, 
अगर तुम गलत हो
तो तुम्हें झूठी बातों में न उलझाए, 
सच बोल कर दिल तोड़ दे
और सही राह दिखाये, 


एक दोस्त ऐसा हो
जो चेहरा देख कर तुम्हारी दिल को पढ़ ले, 
तुम रो तो वो भी रोने लगे, 

एक दोस्त ऐसा हो
जो तुम्हे खोने से डरे, 
और तुम जब कभी न मिलो तो
हज़ारों बार फोन करे, 


एक दोस्त ऐसा हो
जो मिलने के बहाने ढ़ूढ़े
भले ही घंटों गुजर जाये बातों में
पर लगे अभी तो मिले हैं, 

एक दोस्त ऐसा हो
जो लड़े बहुत पर दिल से नही, 
एक दोस्त ऐसा भी हो
कि भले हम सालों साल न मिले
पर हमेशा  साथ हो... 

रुद्रा✍️

©snigdha rudra
  #FriendshipDay
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snigdha rudra

ऐ दिल कुछ बोल लिया कर

©snigdha rudra
  ऐ दिल तू भी बोल लिया कर

ऐ दिल तू भी बोल लिया कर #Poetry

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snigdha rudra

चुप थे चुप थी क्योंकि 
मेरा कहना सबको बुरा लगता था, 
सोचती थी कि कहीं मैं
 किसी का दिल तो नही दुखा रही? 
फिर धीरे-धीरे सहना आ गया
लोगों ने सोचा मैं गुग्गी हो गई, 
लेहाज करती गई
क्योंकि पापा ने सिखाया था कि
बेटा, समय होता है हर चीज़ का
तुम देखना सब ठीक हो जाएगा, 
मैंने पापा की बातों का भरोसा किया, 
पर कुछ भी ठीक नहीं हुआ, 
लोग बोलते ही रहे
कभी कामचोर तो कभी 
" माँ ने कुछ सिखा कर नहीं भेजा "
जितना मैं सहती गई 
उतना मैं मरती गई, 
फिर एक दिन मेरा गुस्सा चरम पर था
मैं जोर- जोर से चिल्लाने लगी
और फिर मैं बोलने लगी लोगों की तरह.... 

रुद्रा✍️

©snigdha rudra
  # चुप थी

# चुप थी #Poetry

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snigdha rudra

एक स्त्री

जीती है सिर्फ तुम्हारे लिए, 
उसे पता है कि
वो जी रही है एक झूठे भ्रम में, 
क्योंकि वो जानती है उसका अपना कुछ भी नहीं है, 
न मायका अपना, न ससुराल, 
वो सोचती है अक्सर
कौन सा घर अपना है? 
माँ ने कहा था शादी के वक़्त
ससुराल तेरा अपना घर है, 
ससुराल में सास ने कहा
सुन ये तेरा घर नहीं है, 
जो मनमर्ज़ी करती फिरे, 
अब सोचती हूँ
एक स्त्री का घर कौन सा है?

©snigdha rudra
  एक स्त्री

एक स्त्री #Poetry

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snigdha rudra

काग़ज़ की कश्ती
ये बारिश का पानी, 
बूंदों में सिमटी थी
बचपन की कहानी, 
गरजता था बादल
बहती थी हवाएँ, 
आंखों से हम उनको 
आंखें दिखाए, 
न मम्मी का डर था
न पापा की चिंता, 
बस मस्ती ही मस्ती
और सावन का महिना... 

रुद्रा✍️

©snigdha rudra
  #Barsaat
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snigdha rudra

कुछ ख्वाब चांद से होते हैं 
दिल के करीब मगर हाथों से दूर, 
हर राह आसान नहीं होती
मगर हौसला बुलंद रखना, 
चांद भी तेरा होगा, ख्वाब भी पूरे होगें

©snigdha rudra
  चांद

चांद #Poetry

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snigdha rudra

दौड़ती जिंदगी एक रेल की तरह, 
गुज़रे लम्हें वापस नहीं आते, 
आज मरे तो लोग कहते हैं, 
कल दूसरे दिन की गिनती होगी, 
फिर काम खतम, नाम खतम, 
जिदंगी फिर दौड़ने लगती है....

©snigdha rudra
  #safar
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snigdha rudra

हर रोज
कुछ छुटता है ,
कुछ टुटता है ,
फिर जोड़ती हूँ
फिर भी
कुछ अंश जो बचा है मुझमें 
समेटती हूँ पल-पल
सोचती हूँ
वो लम्हें जो गुजरा  है अपनों के बीच
बचा लू उन्हें अपने-आप में ,,
ऊँगलियों के कोरों के बीच से
फिसलते देखी है जिदंगी मैंनें , जैसे
फिसलती है रेत
बड़े ही सुकून के साथ,
रोकू तो कैसे ?
कमबख्त जब जिदंगी ही धोखेबाज़ हो....

©snigdha rudra जिदंगी

जिदंगी #कविता

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