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snigdharudra1716
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snigdha rudra

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snigdha rudra

Unsplash jhukane Ki Ada Se Tum Kabhi Chhote Nahin hoge Jahan jhukane se Baat Ban Jaaye vahan Jhuk kar Mana lena yah vah Jamana Hai Jahan Rishte Nahin Chalte jahan tak Sath De Apne vahan Tak Sath de dena Bharosa itna hi karna Ki Aankhen Khol kar Rakhna Jahan Koi Sath chhodana Chahe Muskura kar Alvida Kahana

©snigdha rudra #अलविदा
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snigdha rudra

green-leaves झुकने की अदा से तुम, 
कभी छोटे नहीं होगे, 
जहाँ झुकने से बात बन जाये
वहाँ झुक कर मना लेना। 
ये वो जमाना है
जहाँ रिश्ते नही चलते,
जहाँ तक साथ दे अपने
वहाँ तक साथ दे देना। 
भरोशा इतना ही करना
कि आंखे खोल कर रखना, 
जहाँ कोई साथ छोड़ना चाहे, 
मुस्कुराकर अलविदा कहना।

©snigdha rudra मुस्कान

मुस्कान #कविता

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snigdha rudra

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मिलीये हर किसी से हंसकर
न दिलों में नाराजगी रखीये,
न हो शिकवे की  जगह कोई
जरा सा फासला रखीये। 
समंदर के किनारे से
न मापो खामियां उसकी, 
अगर लहरों से मिलना हो
जरा तो हौसला रखीये।

©snigdha rudra #SunSet
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snigdha rudra

White कमाल की शख्सियत है उनकी, 
सामने बैठ कर झूठ भी बोलते हैं, और माथे पर शिक़न भी नहीं आती।

©snigdha rudra #शख्सियत उनकी
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snigdha rudra

अब सपने नहीं आते    
   आती हैं तो बस कुछ यादें
अब हिचकियाँ नहीं आती 
    आती हैं तो बस कुछ बातें
अब मिलने को वो पलक्षिण नहीं आते
     आती हैं तो बस गुजरें लम्हें...
कितना कुछ बदल गया
    हैं न?
बस एक तुम्हारे चले जाने से...
कुछ कागज पर लिख देना
    और दूसरे ही पल
मरोड़ कर गुस्से में फेंक देना
    हां ,यही करते थे हम...
पीछे मुड़कर देखना
    कही तुमने मुड़कर मुझ देखा या नहीं?
कितना कुछ सह लिया
    बस ,तुम्हारे जाने के बाद...
कुछ कहा था तुमनें   
    हौलें से
मेरे कान बजे थे या सचमुच
    कुछ कह ही दिया था तुमने?...
चिकोटी काटना
     फिर खुद ही मांफी मांगना
हां,कुछ तो बदला हैं
     एक तुम्हारे चले जाने से....
खिड़की से जो तुमने आवाज दी थी
       पलट कर मेरा फिर लौटना
शायद कुछ बातें अधूरी रह गई थी
    हां,हां,याद आया
आज भी वो बातें अधूरी ही हैं..
 बस ,अब पूरी कैसे होगीं
जो तुम नहीं हो
     सबकुछ बदल गया
सिर्फ एक तुम्हारे चले जाने से...।

दिल के अल्फाज़....रूद्रा की कलम से ✒

©snigdha rudra
  तेरे चले जाने से.....

तेरे चले जाने से..... #Poetry

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snigdha rudra

जीवन का यथार्थ यही है

न समझो कुछ भी अपना है
कुछ नही सब सपना है
आज मिला जो कल खोएगा
जीवन का यथार्थ यही है.... 

कल जीना है जीवन अपना
हर रोज़ सोचे  कल आएगा अपना
नही आता वो कल फिर जीवन में
बस इंतजार में रह जाए मनवा

जीवन का बस सार यही है
जीवन का यथार्थ यही है...

©snigdha rudra
  जीवन का यथार्थ यही है

जीवन का यथार्थ यही है #Poetry

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snigdha rudra

एक दोस्त ऐसा हो
जो तुम मे
खुबिया नहीं
तुम्हें तुम्हारी खामियां बताएं, 
अगर तुम गलत हो
तो तुम्हें झूठी बातों में न उलझाए, 
सच बोल कर दिल तोड़ दे
और सही राह दिखाये, 


एक दोस्त ऐसा हो
जो चेहरा देख कर तुम्हारी दिल को पढ़ ले, 
तुम रो तो वो भी रोने लगे, 

एक दोस्त ऐसा हो
जो तुम्हे खोने से डरे, 
और तुम जब कभी न मिलो तो
हज़ारों बार फोन करे, 


एक दोस्त ऐसा हो
जो मिलने के बहाने ढ़ूढ़े
भले ही घंटों गुजर जाये बातों में
पर लगे अभी तो मिले हैं, 

एक दोस्त ऐसा हो
जो लड़े बहुत पर दिल से नही, 
एक दोस्त ऐसा भी हो
कि भले हम सालों साल न मिले
पर हमेशा  साथ हो... 

रुद्रा✍️

©snigdha rudra
  #FriendshipDay
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snigdha rudra

ऐ दिल कुछ बोल लिया कर

©snigdha rudra
  ऐ दिल तू भी बोल लिया कर

ऐ दिल तू भी बोल लिया कर #Poetry

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snigdha rudra

एक स्त्री

जीती है सिर्फ तुम्हारे लिए, 
उसे पता है कि
वो जी रही है एक झूठे भ्रम में, 
क्योंकि वो जानती है उसका अपना कुछ भी नहीं है, 
न मायका अपना, न ससुराल, 
वो सोचती है अक्सर
कौन सा घर अपना है? 
माँ ने कहा था शादी के वक़्त
ससुराल तेरा अपना घर है, 
ससुराल में सास ने कहा
सुन ये तेरा घर नहीं है, 
जो मनमर्ज़ी करती फिरे, 
अब सोचती हूँ
एक स्त्री का घर कौन सा है?

©snigdha rudra
  एक स्त्री

एक स्त्री #Poetry

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snigdha rudra

काग़ज़ की कश्ती
ये बारिश का पानी, 
बूंदों में सिमटी थी
बचपन की कहानी, 
गरजता था बादल
बहती थी हवाएँ, 
आंखों से हम उनको 
आंखें दिखाए, 
न मम्मी का डर था
न पापा की चिंता, 
बस मस्ती ही मस्ती
और सावन का महिना... 

रुद्रा✍️

©snigdha rudra
  #Barsaat
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