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poonamsingh6836
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meri_lekhni_12

poonam singh bhadauria auther and poetess,❤️ social activist 👍 fashion designer😊 ✒️writing novel , stories, poetry ✒️📝📝

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meri_lekhni_12

Unsplash मुझको तेरा आना जाना  अच्छा लगता था,
हर पल तेरा साथ निभाना अच्छा लगता था।

चुपके से आकर जब तू हंस देता था मुझ पर,
तेरा यूँ दिल को बहलाना अच्छा लगता था।

तेरी बातें, तेरी यादें, तेरे शिकवे ग़म,
हर लम्हा तेरा आजमाना अच्छा लगता था।

रूठ के जाना, फिर खुद ही लौट के आना,
तेरा हर अंदाज़ पुराना अच्छा लगता था।

अब तन्हा है पूनम यादें महका करती हैं,
बीता हर एक वो अफसाना अच्छा लगता था।

©meri_lekhni_12 आना जाना ♥️

आना जाना ♥️ #Shayari

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meri_lekhni_12

White तेरी यादों का इक सिलसिला रह गया,
दूर जाने का बस  मस हला रह गया।

हमने चाहा था तुझको दुआ की तरह,
पर मुक़द्दर में बस फ़ासला रह गया।

इश्क़ की राह में रौशनी थी मगर,
बाद अंधेरा सा एक राब्ता रह गया।

बेवफ़ाई के तूफ़ाँ में दिल डूब कर,
एक टूटा हुआ आसरा रह गया।

अब न शिकवा, न कोई शिकायत रही,
जो भी कहना था, बस हमनवा रह गया।

ख़्वाब टूटे तो आँखें भी पत्थर हुईं,
अब न आँसू, न कोई गिला रह गया।

इश्क़ की रहगुज़र से जो गुजरे पूनम 
दर्द ही दर्द का रहनुमा रह गया।।

पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 #love_shayari तेरी यादों का.....

#love_shayari तेरी यादों का.....

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meri_lekhni_12

White चमन में अब भी तो ख़ार बाकी हैं,
ख़्वाब टूटे मगर इख़्तियार बाकी हैं।

जो जल गए थे, वो राख हो गए,
मगर दिलों में अब अंगार बाकी हैं।

हमने बारिश से दोस्ती कर ली,
अब भी आँखों में इज़हार बाकी हैं।

साज़िशों के देखे हज़ार चेहरे,
पर हमारे जुनूँ में शार बाकी हैं।

जो मिट गए हैं, वो लौट आएंगे,
बंजर ज़मीं पर अभी बहार बाकी हैं।

'पूनम' की शायरी का असर देखना,
हर सदी तक ये अश्आर बाकी हैं।

- पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 गजल (बाकी है )

गजल (बाकी है ) #Shayari

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meri_lekhni_12

White ऐसा वक़्त भी आया है, मौत से बदतर,
चाह कर भी मर नहीं सकते, ये कैसी डगर?

ज़ख़्मों की गिनती अब कोई क्या करे,
हर दर्द नया है, हर रात बेअसर।

जीने की मजबूरी भी कैसी सज़ा है,
हर सांस भारी है, हर दिन बेख़बर।

चाहा था सोना, मगर नींद भी रूठी,
सपने भी अब तो लगते हैं पत्थर।

कौन समझेगा ये दर्द की आग?
आंसू भी सूखे, हैं लफ़्ज़ बे नजर।।

~ पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 जीना मजबूरी..

जीना मजबूरी.. #SAD

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meri_lekhni_12

White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ,
बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ।

दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का,
हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ।

तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ,
अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ।

राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें,
मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ।

हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है,
शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ।

क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का?
तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ।

अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे,
तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ।

'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है,
बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 

पूनम सिंह भदौरिया 
दिल्ली 
लेखिका 
समाज सेविका

©meri_lekhni_12 माँ /मेरी माँ

माँ /मेरी माँ #Poetry

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meri_lekhni_12

White बहर: मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन)

सियाह रात के ग़मों को मिटाना होगा,
हर एक आँसुओं को अब मुस्कुराना होगा।

ख़मोशियों में कैद थी जो सदा सदी से,
उसे हवा बना के अब गुनगुनाना होगा।

जो ज़ख्म दिल पे हैं, उन्हें रौशनी में लाओ,
उन्हें छुपा के कब तलक सर झुकाना होगा।

हयात लूट ली गई बेबसी के हाथों,
इन्हें हज़ार बार चीर कर लौटाना होगा।

ख़ुदी को मत दबा, खड़े हो, लडो ज़माने से,
सफ़र में ख़ुद को अपना कारवां बनाना होगा।

पूनम कोई अपना हो या ना हो सफ़र में,
हर एक दर्द से नई दास्तां  को सजाना होगा।

©meri_lekhni_12 सियाह रात.......

सियाह रात....... #Shayari

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meri_lekhni_12

Unsplash तुम प्रेम गीत श्रृंगार लिखो,
तुम प्रेमी के संग प्यार लिखो 
तुम गलबाहियो का हार लिखो।
मै लिख दूँ सारी करुण कथा 
मै लिख दूँ नारी की विरह व्यथा।

तुम लिखो सवेरा खुशियों का,
तुम लिखो चाँद उन्हें रतियों का,
तुम लिखो बहारों की गुनगुन,
तुम लिखो सावन की रिमझिम,

मैं लिख दूँ सूखे पत्तों की कराह,
मैं लिख दूँ सागर का प्रवाह,
मैं लिख दूँ मूक होठो की भाषा,,
मैं लिख दूँ आँसुओं की परिभाषा।

तुम रचो सपनों की वरमाला,
जहाँ हो चिरागों का उजाला।
मैं लिखूँ टूटे सपनों का दर्द,
जहाँ अँधेरा हो गया श्याह जर्द।

तुम शब्दों में फूल खिलाओ,
मैं शब्दों में कांटे बो दूँ।
तुम प्रेमी के हृदय को जोड़ो,
मैं टूटे दिलों का शोर लिख दूँ।

यह काव्य तुम्हारा और मेरा,
दो ध्रुवों का ऐसा संगम बने।
जहाँ प्रेम और पीड़ा साथ मिलें,
और जीवन की पूरी तस्वीर बने।।

पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 #Book  love shayari

#Book love shayari

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meri_lekhni_12

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समानता का ख़्वाब अब भी दिल में बसा है,
हर इंसान को मानवता का पाठ पढ़ाया जाए।

धन-दौलत से नहीं, प्रेम से ग़म मिटाना है,
हर ग़रीब को  जीने का हक़ दिलाया जाए।

अधिकार सबका सामान हो, कोई न  यहाँ तुच्छ हो,
ऊंच नीच जाति पांति का भेद मिटाया जाए।

शोषण और अत्याचार का रास्ता अब बंद हो,
हर ज़ुल्म से लड़कर, नफ़रत को सुलझाया जाए।

बच्चों मे संस्कार हो ,  बुजुर्गों का आदर बढ़े, 
शांति अमन मदद प्यार  हर जगह फैलाया जाए।

ज्यादा नहीं है बस एक कदम हमारी तरफ़ से,
खुद को सुधारने का, यह नज़रिया अपनाया जाए।

अब न कोई भूखा रहे, न कोई अकेला हो,
सभी का एकजुट साथ हो, एक ऐसा समाज बनाए जाए।

किसी की थाली मे ना परोसी गयी मौत हो,
हर जीव से प्रेम कर, हर जीव को बचाया जाये।
(मानवता सर्वोपरि )

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 
पूनम सिंह भदौरिया 
#poonam_singh_bhadauria 
#humanity 
#HumanityFirst 
#stopanimalcruelty

©meri_lekhni_12 मानवता का पाठ 👍
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meri_lekhni_12

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क़ लिख रहे हो,या सजा लिख रहे हो 
क्या  मुहब्बत को रब की, रजा  लिख रहे हो।

(मिसरा )
हर दर्द को लफ़्ज़ों में समेटा है तुमने,
क्या अश्कों की कोई दवा लिख रहे हो।

ख़ुदा की किताबों में मोहब्बत की बातें,
क्या फरिश्तों से तुम राबता लिख रहे हो।

कफन की वो ख्वाहिश, अधूरी है मन्नत,
क्या मय्यत पे उनका का पता लिख रहे हो।

जिस्म को परे रख, रूह मे बसर कर,
क्या  चाहत को अपना खुदा लिख रहे हो।



पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 #SunSet गजल

#SunSet गजल

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meri_lekhni_12

Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ,
गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा........ 

कुछ सपने थे जो टूट गए,
कुछ अपने मुझसे रूठ गए,
कुछ आस्तीन के साँपो से 
अब सारे बंधन छूट गए,
अब कहना सुनना ख़त्म हुआ,
अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ....
ए दिसम्बर तू जा...

कितने बच्चे अनाथ हुए,
कितने माँ बाप निसंतान हुए,
कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई,
कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए 
अब सहन शीलता ख़त्म हुई,
अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा......

©meri_lekhni_12 दिसंबर /december

दिसंबर /december #Poetry

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