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laxmanswami4231
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laxman swami

Govt. Teacher

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laxman swami

आपको (दिनेश जी) जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाई 
एवं अनंत शुभकामनाएं....
 ईश्वर आपकी सभी मन:कामना को पूर्ण करें
आप सदा स्वस्थ रहें,  
प्रसन्न रहें, दीर्घायु हो 💐💐🎂🎂🍫🍫💐💐

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laxman swami

आज आपके दाम्पत्य जीवन की 7 वीं(साथ-साथ रहने वाली) 
वर्षगांठ की आप दोनों बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.. 💐💐

सात फेरों से बंधा यह प्यार का बंधन
जीवन भर यूं ही बंधा रहे
किसी की नजर ना लगे आपके प्यार को
और आप हमेशा एक दूजे के साथ रहे.. 

आप दोनों की जोड़ी कभी ना टूटे
खुदा करे आप एक दूसरे से कभी न रूठे
एक होकर आप ये ज़िन्दगी बिताएं
आप दोनों का साथ जीवन भर कभी न छूटे... 
 
 ईश्वर सदैव आप दोनों को सुखी, स्वस्थ एवं खुश रखे यही हमारी कामना है🙏

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laxman swami

बहुत खूबसूरत तेरा साथ है
बहुत खूबसूरत ये दिन रात है
हसीन था वो मंज़र जब हम तुम मिले थे
हसीन आज भी हर मुलाक़ात है

तेरे संग चलते हुए हर राह खास है
तेरे संग हँसने में भी अलग बात है
पहलु में तेरे मिली हर सौगात है
पहलु में तेरे सुरक्षित मेरा विश्वास है
थामा था तुमने हाथ जब हम तुम मिले थे
थामा है आज भी....
प्राणप्रिया को वैवाहिक मासिक गांठ की हार्दिक बधाई..

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laxman swami

तु ही मेरा हमसफ़र, मेरा दिलदार है  ,
तुम्हारे सिवा किसी से ना प्यार है
जन्म जन्मांतर में तुम ही मेरे हमसफर बनो,
बस ईश्वर से यही दरकार है... 
वैवाहिक मासिक घुळगांठ की अर्धांगिनी को बधाई..

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laxman swami

अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले
चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले ।।

डूंगर भागे, नंदी भागे और भागे खेत
ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत ।।
चला चला रे ।।

बड़ी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी
डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी ।।
चला चला रे ।।

बाडसर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी
असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी ।।
चला चला रे...चला चला रे...

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laxman swami

जीवन साथी..........
स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व का
सह-अस्तित्व जीवन है
सुख एवं दुख अनुभूति
प्रमिला का मधुबन है..
वैवाहिक जीवन सुखद
स्वर्ण सुमन से दिवस है
रजत धवल सी रात्रि में
कुसुमलता से पावस है...
जीवन पथ पर चलकर
दाम्पत्य सुख निखरता है
खुशहाल   गृहस्थ   संसार
परमिले से ही महकता है..
विश्वास एवं प्रेम जिंदगी
का मुख्य आधार होता है
कर्तव्य पथ पर चलकर
दुर्गम मूलाधार होता है..
स्नेह सुधा से सरोबार हो
ये आत्मीय बंधन होता है
स्नेहिल जीवन साथी से
ही परस्पर चंदन होता है..

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laxman swami

हे प्राणप्रिये  !
एक ही दिन,
एक ही नक्षत्र में,
एक ही मंडप के तले,
सामान मन्त्रों के उच्चारण के साथ,
वरा था हम दोनों ने,
एक दूसरे को,
जन्मजन्मान्तर के लिए,
और की थी प्रतिज्ञा,प्रमिला के लिए, 
दुःख सुख में सदा साथ निभाने की,
मिलजुल कर जीने की,
एक दूसरे से कभी कुछ ना छिपाने की.....

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laxman swami

#5LinePoetry मैं दिया हूँ तो उसकी बाती है वो,
मेरे हर सुख दुख का साथी है वो,
मैं उदास रहूँ तो चेहरा उसका भी मुरझा जाता है,
कुछ इस तरह से वो अपना प्यार निभा जाता है,
मैं खुश रहूँ इसलिए अपना आज और कल दे देता है,
मेरी तकलीफों में अपना हर पल दे देता है।
खुश हूं मैं उसे पाकर, अपने दिल में उसे बसाकर,
शांत है थोड़ा मौन है वो, मैं बताता हूं तुम्हे कौन है वो,
मेरा आसमाँ है मेरी जमीं है वो,
मेरी आँखों की नमी है वो,
खुशियों में मेरे लबों पर बिखरने वाली  मुस्कान है,
सच कहूँ तो वो ही मेरी जान है,
वो न हो तो सब अधूरा सा लगता है,
वो है तो ये जहां पूरा सा लगता है,
वो मेरे साथ इस कदर रहती है,
जैसे हवाओं में हरदम खुशबू रहती है,
प्यार बहुत है उससे पर कैसे उसको समझाऊं
परमिले का होना मेरे लिए क्या है मैं कैसे बतलाऊँ, 
बस इतना समझ ले वो कि,
मेरे प्यार की गहराई है वो
मेरी ज़िंदगी है, मेरी परछाईं है वो,
मैं कितना भी उससे दूर रहूँ पर
मेरी याद है मेरी तन्हाई है वो,
शांत हो तो शीतल जल है वो,
क्रोध में जैसे अग्नि है वो,
वो कोई और नहीं दोस्तों
मेरी अर्धांगिनी है मेरी पत्नी है मेरी प्राणप्रिया है  वो......
मेरी अर्धांगिनी है मेरी पत्नी है मेरी प्राणप्रिया है वो.....
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laxman swami

प्राणप्रिया.... 
विपदा के विषम क्षण में
भार्या का तुल्य स्थान
पाण्डु के दुर्गम्य पल में
सहधर्मिणी ने दिया योगदान
राजधर्म की बेड़ियों में
बंधे हुए थे पाण्डु ज्ञानी
ऋषि किंग्दम की हत्या को लेकर
बढ़ने लगी थी ग्लानि
मार्गदर्शन को पहुंचे पाण्डु
हस्तिनापुर दरबार
क्षण भर में निर्णय लिया
"परिश्रमी पुत्र " विदुर कुमार
हत्या को दुर्घटना का नाम दिया
"गंगा पुत्र देवव्रत"
तब भी अतित की परछाई
ना छोड़े उनका संगत
कुल की मर्यादा को देखते
सहन ना होती पीड़ा
आर्यपुत्र ने स्वेच्छा से अपनी
वन गमन का किया निश्चय
स्वकर्मों का फल भोगने
पाण्डु लिए संन्यास
संग अर्धांगिनी के
व्यतीत करने चले वनवास
प्रासाद हो या वन गमन
होते एक समान
सुख-दुख में जो संग रहे
वामांगिनी वही महान.....

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laxman swami

हे ! प्रियवंद..........
 

 हाँ ! मैं बदल गया


जिंदगी के सफर में
मैं चलता गया.......

दौर मेरा श्रीडूंगरगढ़, गुजरात
असम की और चलता गया.... 

दिशा विश्लेषण देखूं तो
 मध्य से पश्चिम फिर पूर्वोत्तर गया...

किस्मत ने जैसे नाच नचाया
वैसे मै नाचता गया.......

खुद को बहुत संभाला
कहीं सँभला तो कहीं फिसल गया.....

भागम-भाग मे वो लोग ही थे मेरे अपने
जो जज्बातों के संग खेला....

किसी ने विश्वास
तो किसी ने दिल को तोड़ा....

 उत्थान में अर्द्धांगिनी  का था साथ 
 अनुरूप क्रोद्धांग्नि को बर्फ मे बदल गया..... 

अर्द्धांगिनी के दिये मंत्र पर चला 
 स्वयं का जय मंत्र उच्चार गया....

वक़्त था बदलने का और मैं बदल गया
बड़ी मासूमियत से कह रहे हैं वो लोग
देखो ये कितना बदल गया...... 
देखो ये कितना बदल गया.....

( एक मित्र के भावों का प्रकटीकरण) मित्र के भाव....

मित्र के भाव....

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