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kavitaagarwal5397
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Kavita Agarwal

I love to pen down in my free time

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Kavita Agarwal

Yaad aate ho

Nahi jaanti ki kitna jaanti hun mein 
Par aur samajna chahti hun mein
Ek din ki woh mulakat
Mil gaya mujhe tumhara saath

Sach Kahan hai bhugol ki madam ne
Darti gol hai , par safar lamba hai Milne mein

Yeh kaisi chahat hai
Na sikwa hai na ruswai hai
Na khwab hai na rishta hai
Dil se kaisa juda bandhan hai
Har lafz kehdo par fir bhi tadap adhuri hai

Nahi chahti aap Laut aao
Dur hone ka gum hoga
Aasaman mein jab tutuenge taare
To Dil hamara nazdik hoga

Mandir ho, ya ho yaadein
Ek duje ki Khushi sabse aage
Waqt sang bita na paaye
Darti gol hai milenge to capuchino sang brownie zarur hojaye...

Intazaar rahega aapke aane k paigam ka
Izhaare dosti chahat ka
Pal pal kaash rahega
Chura lenge kuch pal apne aapka.

©Kavita Agarwal
  #Barsaat #friendlove  #Journey #intazaar
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Kavita Agarwal

Happy rakshabandhan

#Flute

Happy rakshabandhan #Flute

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Kavita Agarwal

*"छूओ ना"*

छोटी थी मैं बहुत छोटी भी नहीं।
 उम्र के उस पढ़ाओ में थी कहीं ।।

जहां पहली बार मुझे पीरियडस हुआ था। 
छोटी नहीं थी तो बड़ी भी नहीं।।

 हंसती थी मुस्कुराती थी ।
बहुत ज्यादा चुलबुली थी ।।

chips और chocolate की शौकीन थी ।
मां पापा की एक लाडली धड़कन थी।।

 घर में गेस्ट ,अंकल आते जाते ।
उन्हें कोई नहीं रोक पाते ।।

और रोके भी क्यों ।
गलत थोड़ी थी यूं ।।

उस दिन अंकल घर आए
 घर में कोई नहीं था वह चले गए ।।

फिर वापस कुछ देर बाद आ गए।
कहां पापा आए नहीं कहां गए ।।

मैंने कहा पार्टी में ।
उन्होंने कहा तुम नहीं गई साथ में।।

 मैंने कहा होमवर्क है ।
पड़ेगी डांट क्यों जाना है ।।

हाथों में चॉकलेट दिया ।
कहा होमवर्क दिखाओ जो टीचर ने दिया ।।

ना मैं छोटी थी ।
ना मैं बड़ी थी ।।

लड़कपन के उम्र में।
 दिखा दिया होमवर्क उनको कमरे में।।

 अंकल बोले चॉकलेट खाओ ।
और बोले चॉकलेट के बदले में एक मेरी पप्पी खाओ ।।

अंकल थे ना, देदी पप्पी।
 इसमें उन्होंने ले ली मेरी पप्पी ।।

फिर कसके जकड़ लिया ।
गोद में बिठा लिया ।।

यहां वहां सब जगह छू लिया।
 मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया ।।

 जब चिल्लाने लगी मैं ।
तो डरा दिया कि मम्मी पापा को मार दूंगा मैं ।।

मैं सहम गई डर गई ।
सब गड़बड़ हो गई ।।

बहुत रोई बहुत रोई ।
फिर डर कर संभल गई ।।

 किसी से कुछ ना बोली ।
किसी से कुछ ना कहीं ।।

एक बार नहीं फिर बार-बार अंकल आने लगे ।
मुझे अपने आप से दूर करने लगे ।।

मैंने हंसना छोड़ा ।
मुस्कुराना छोड़ा ।।

 मां को लगा पढ़ने में व्यस्त हो गई ।
दिन महीने बीत गए।।

 मां है समझ गई 
 कुछ तो गड़बड़ जरूर हुई।।

 मेरी हर हरकत में गौर किया ।
जब अंकल आए तो मेरा चेहरा पढ़ लिया ।।

कमरे में मुझको मुझे मेरी मम्मी पापा ने पूछा।
 क्या हुआ मेरा बच्चा ।।

क्यों उदास हो गई।
 तेरी हंसी कहीं खो गई ।।

मैं फूट फूट कर रोई ।
सारी कहानी सुनाई ।।

अंकल कभी नहीं आए फिर घर ।
मम्मी पापा ने मुझे संभाल लिया उस पर।।

 सचेत रहे हर पल ।
घर का भेदी लंका ढाए ।।
छोटे हो बड़े हो ।
बच्चों के दोस्त बनो ।।
लड़का हो लड़की हो ।
उनकी हर कहानी सुनो।।
 क्या पता कुछ अप्रिय घटना घट रही हो।
 वह बता दे।
 Stay safe stay secure
कविता अग्रवाल #Freedom
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Kavita Agarwal

*When stars are gone* 

एक के बाद एक सितारे लुप्त हुए ।
ऋषि भी इरफान के साथ *मुल्क* छोड़ चले।।
आज *कपूर एंड संस* रित हो गया।
वह *अनमोल* थे अब सिर्फ नाम रह गया।।
एक से एक रोल निभाया।
हमें *दीवाना* बनाया।।
चांद की *चांदनी* की तरह चमक थी उनकी।
अब याद करेगा उनको जमाना।।
 *कभी-कभी दिल* में *कसक* हो उठती है।
 *धन दौलत* भी जान बचा नहीं सकती है।।
ऊपर वाले का *कर्ज* है।
जो सबको चुकाना है।।
नीतू को छोड़ चले गए।
जाते-जाते *प्रेम रोग* नहीं प्रेम वियोग दे गए।।
लफ्ज़ नहीं है आपके योगदान की।
 *नया दौर* क्या जानेगा *इंतिहा प्यार* की।।
 *प्रेम ग्रंथ* जैसी सुपर हिट दिए हो।
 *फना* हो गए *हम खेल खेल में।।* 
 *फूल खिले हैं गुलशन गुलशन।* 
याद आओगे हमें हर्  क्षण  हर क्षण।।
🙏🙏🙏🙏🙏 *श्रद्धांजलि* ! 

                      कविता अग्रवाल #RishiKapoor
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Kavita Agarwal

In the memory of Irfan Khan

संसार का नियम है ।
आना और जाना है ।।
दे गया वह आखरी सलाम जिंदगी की कश्ती शुरू की थी जिसने *सलाम बॉम्बे* से ।
आज दे गया वह आखरी सलाम भीगे अश्रु से ।।
जिस तरह *लाइफ ऑफ पाई* में लड़ता रहा जीने के लिए ।
उसी प्रकार हस्पताल में लड़ता रहा कैंसर से जीने के लिए।।
 *हिंदी मीडियम* हो या *अंग्रेजी* *मीडियम* से ।
वह *मदारी* दिल ले गया हर मीडियम से ।।
कोरोना का *पजल* सुलझा नहीं ।
 *हिस* करके डस गया एक और सितारा जो रहा नहीं ।।
 *वॉरियर्स* था वो जो बीमारी में भी मुस्कुरा रहा था ।
 *किस्सा* हो गया वह कल का जो बिस्तर में झुंज रहा था ।।
जिंदगी भर संघर्ष करता रहा ।
 *यूं होता तो क्या होता* सोचता रहा ।।
यह साली जिंदगी कब धोखा दे जाए ।
 *Right ya wrong* के मतभेड़ में जान क्यों ना चली जाए ।।
भगवान किसी को ऐसा *रोग* ना दे ।
बीमारी की *तलवार* बनकर कोई किसी को खो ना दें ।।
चले गए हो छोड़कर जहां।
याद आओगे हर पल तुम यहां ।।
भीगे अश्रु से तुम्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि ! 

                         कविता अग्रवाल #irrfankhan
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Kavita Agarwal

Beautiful Me!

The step to an adoloscent,
inner beauty gave a rise.
Thought assumed to be suppressant,
I was growing like a woman wise.

Mirror showed the reflection of me,
I was smiling as if I was shy.
Nector of flowers were sucked by bee,
The kid inside me had kissed goodbyee.

I wore a lip color on my lips,
It looked as if it's ready to kiss.
Various ways i tried as a tips,
Not to forget i was still a miss.

Bosom of me was growing within,
I was young and beautiful.
The dimples in my cheeks,
compelled  me to be cheerful.

I was in my adoloscene,
Beautiful me was behind the scene!

     Kavita Agarwal #beautiful me#
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Kavita Agarwal

" लोकडॉउन "

लॉक डाउन का बुखार जारी है ।
आदेशों का फरमान भारी है ।।
बोल बोल कर थक गए, घर में रहो घर में रहो।
पर इनका तो बस यही कहना है बाहर जाओ बाहर जाओ ।।
दुकाने है सारी बंद।
पुलिस वाले दी रहे हैं दंड।।
इतनी बड़ी विपदा आई।
कोरोना जैसी बीमारी लाई।।
इसका एक ही इलाज।
हाथ धो और रोटी के साथ खाओ प्याज।।
खुश रहो सा़फ।
कामवाली बाई को करो माफ।।
ना आना है ना जाना है।
पर ना माने तो बहुत कुछ खोना है।।
समय बहुत सुंदर आया है।
परिवार का साथ तुमने पाया है।।
जी लो इस पल को।
खुशियों के संग को।।
हाथ बटाओ घर में काम का।।
रामायण देखो, और नाम लो प्रभु श्री राम का।।
कविता अग्रवाल #lockdown#hindi#


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