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navratanbanjara2736
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Navratan Banjara

Bas itne se icha h ban jao aesa writer jo. .. .. lek se dasta

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Navratan Banjara

कविता- वो हमारे बापू थे

 हमारे बापू 1869 मैं इस दुनिया में आए थे।सच्चाई को लेकर साथ उन्होंने अपना जीवन बिताया था अहिंसा को बनाया था अस्त्र जिन्होंने वह हमारे बापू थे।

जिन्होंने अंग्रेजों को है भारत से दूर भगाया। कभी हाथ में ना लिया था शस्त्र उन्होंने हमें दुश्मन से भी प्यार करना सिखाया था, वो हमारे बापू थे।

मुझसे करे सवाल कोई मैं बताऊं कैसे थे बापू, हाथ में लकड़ी तन पर कम्बल ऐसे थे हमारे बापू।। ना किया कभी उन्होंने जात-पात उन्होंने हर इंसान को इंसान समझा था।।

जिन्होंने देखकर भारत की दशा त्याग दिए थे महंगे वस्त्र पहनी धोती तथा तन पर कंबल डाले वो चल पड़े थे हाथ में लाठी लेकर ,वो हमारे बापू थे।।

जिन्होंने किया आजादी के लिए 1917 में चम्पारण आंदोलन वो हमारे बापू थे।।
इंग्लैंड से जिन्होंने की थी क़ानून की पढाई।। वाईसरा हाऊस की जिनकी तस्वीर आज हमारी मुद्रा पर छपी है, वो हमारे बापू है।।

जिन्होंने हमें दिलाई आजाद धरती, वह हमारे बापू थे। जिन्होंने अपने आपको बना लिया था साधु आजादी के लिए और चलाने लगे थे चरखा, वो हमारे बापू थे।।

उन्होंने कभी ना लिया हाथ में शस्त्र आजादी के लिए वह तो लाठी लेकर ही चल पड़े थे,वो हमारे बापू थे।।
 जिन्होंने हार न मानी कभी अपनी जिंदगी में करते रहे संघर्ष हर परेशानी से आज मिली है,ये आजाद धरती हमें उनकी वजह से ,वो हमारे बापू थे।।

आओ करें उनको नमन जिसने हमें आजादी दिलाई है, देखा था सपना जिन्होंने स्वच्छ भारत का वह हमें कर दिखाना है, कर दिया उन्होंने स्वतंत्र भारत अब हमें स्वच्छ भारत बनाना है।।

नाथूराम गोडसे ने जिनकी की थी हत्या वह हमारे बापू थे, करा दिया उन्होंने भारत आजाद अब हमें भारत को स्वच्छ भारत बनाना है।।

✍कवि नवरतन बंजारा।।

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Navratan Banjara

ग़ज़ल-खूबसूरती

हर वक्त उस खूबसूरती का ख्याल है, हर जगह सिर्फ उनका ही नाम है।।
 ऐसा वह खूबसूरत मेरा रब है जिसका ही हर समय ख्याल है।।

बहुत खूबसूरत है, वह काश मैं उसे बताऊं अपने हर जज्बात उसको बताऊं उसकी खूबसूरती की तारीफ करूं सबके सामने ऐसी खूबसूरती की वह मिसाल है।।

चांद भी फीका सा लगता है उनके सामने ऐसी खूबसूरती है उनकी हसीन तो हर कोई है इस दुनिया में मगर उन जैसा कोई खूबसूरत नहीं ऐसी खूबसूरती है उनकी।।

वह इतनी खूबसूरत है जैसे मेरे श्रीकृष्ण की मोहने वाली तस्वीर हो मन करता है मैं उनको देखूं गोपियों की तरह ऐसी उनकी खूबसूरती है।।
                              
                                                         🖋 नवरतन बंजारा

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Navratan Banjara

लेख-मेरे पिता

जिसने उंगली पकड़कर चलना है सिखाया, जिद्द करने पर हर चीज ला कर दी, हमेशा अच्छे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़े रहे, वह मेरे पिता है।।

चाहे जेब खाली हो मैंने उनको मना करते नहीं देखा मैंने अपने पिता से ज्यादा अमीर इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा।।

अगर हो जाता हूं मैं कभी बीमार तो सारी रात मेरे बिस्तर के पास बैठ कर निकाल देते हैं, मैंने कभी ऐसा रखवाला नहीं देखा। मेरी हर सफलता का कारण है मेरे पिता। जीवन भर करुगा में उनकी  गुलामी।।

अपने पैरों पर खड़ा हूं आज उनकी वजह से जो हासिल  करूंगा आगे वह भी सिर्फ उनकी वजह से। जो भी मेरे पास है वह मेरे पिता का दिया हुआ है और आगे जो मेरे पास होगा वह भी मेरे पिता की वजह से ही होगा।।

जब कुछ सालों पहले हो गया  था गंभीर बीमार में, जब उन्होंने कर्ज लेकर है करवाया था इलाज मेरा। आज ना होता आपके सामने मैं अगर उन्होंने लाखों खर्च करके मुझे बचाया ना होता।।

आज हूं काबिल में उनकी वजह से एहसान में कभी ना चुका पाऊंगा।। आज भी वह पिता मुझसे कहता है बेटा अगर हो जाए तो किसी चीज की तो बिना डर के मुझे बोल देना ऐसे मेरे पिता है।

 करूंगा सब कुछ उनके लिए करूंगा हर मंजिल हासिल सिर्फ उनके लिए। जब होंगे वह 
 पिता मेरे वद्ध करूंगा हर कोशिश उनको खुश रखने की ना छोडूंगा मैं साथ उनका जिस तरह उन्होंने रखा है मुझे बचपन में   अपने साथ, मैं उनका एहसान कभी ना चुका पाऊंगा।।

🖋कवि नवरतन बंजारा✍
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Navratan Banjara

कविता-अहसास

होठों पर है हमारे कुछ लफ्ज़ उनके लिए कुछ दबा कर रखा है मन में हो रहे हैं अजीब सा अहसास मगर उनको बता नहीं पा रहे। दफन करके रखा है हर अहसास को अपने मन में लगता है डर   जमाने का ना कर दे यह बदनाम।।

जिंदगी बीत जाएगी उनकी  यादों में हम उनको बताना चाहते है   मगर डर सा लगता है। दिल करता है बता दे उनको मगर बता नहीं पाते में लगने लगा है हो रहा है मन चंचल रोकता नहीं है अब यह एक ठिकाने।।

दूसरी तरफ कलम और खाली कागज लगता है  पुकार रहे हैं हमें लिखे हम उनके कुछ बारे में। जिंदगी अधूरी- अधूरी सी लगती है उनके बिना।।

दिल कहता है बोल दे अब तो यह मेरे अहसास मगर दिमाग किसी और गली जाता है।। संभाल रहे हैं दोनों को जैसे-तैसे मगर  फिर भी यह आवारा मन उनकी  चाहत रखता है।।

🖋  कवि नवरतन बंजारा

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कविता-मातृभाषा

 लिखना इन खाली-खाली पन्नों में मातृभाषा का ज्ञान जिसका हुआ है वर्णमालाओं से श्रंगार। पूरे देश में गाया जाता जिसका गुणगान मनाया है  आज हिंदी भाषा का त्यौहार।।

माना है जिसको करोड़ों लोगों ने अपना सम्मान। बढ़ाया है जिसने प्रेमचंद जैसे कहानीकारों का सम्मान।

 जग में बना दिया हमें महान करना मेरे देशवासियों उस हिंदी भाषा का सम्मान। करना सिंगार हिंदी का अपने लफ्जों से सजा देना हर शब्द अपनी सुंदर कलम के प्रभाव से।

जिसने दिया है हमें कविताएं लिखने का ज्ञान करता रहूंगा मैं अपनी मातृभाषा का सम्मान।  करूंगा सिंगार अपनी कविताओं का अपनी मातृभाषा से।

 मातृभाषा ने बढ़ा दिया  गौरव हर एक हिंदुस्तानी का जिससे क्या है सिंगार मैंने अपनी कविताओं का।

संस्कृत है जिसकी जननी वह हिंदी हो तुम कलम में आ जाता है 
 उत्साह वह प्रिय भाषा हो तुम  करना है सिंगार मुझे अपनी भाषा का अंग्रेजी है छोटी-बड़ी मेरी भाषा है एक समान

 कवि नवरतन बंजारा कविता-मातृभाषा

कविता-मातृभाषा

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कविता-सफर 

चलते जा रहे हैं अपने सफर को पुरा करने इंसान चलता जा रहा है समय। चलता जा रहा है जीवन का पहिया।।

बहुत से मोड़ है जीवन के सफर में,थकता जा रहा है इंसान इस सफर से,हो रही हैं कठिनाई लेकिन करना है पुरा उसे ये सफर।

धूप भी है तो कहीं ठंडी छाया भी है। कठिनाई है तो कई सरल जीवन है। काली अंधेरी रात है तो आगे उज्जवल सवेरा भी है।

इंसान कर रहा है । सफर बड़ी कठिनाई से परंतु आगे बढ़ रहा है अपने परिश्रम से । हर इंसान छोड़ना चाहता है दुखों को पीछे आगे सफर करना चाहता है आराम से परंतु जिस तरह दिन के बाद रात होती है उसी तरह सुख के बाद दुख अवश्य भोगना है।

चलता रहेगा यह सफर कई सुख के मोड़ है तो आगे दुख का भारी यातायात है।।

कवि-नवरतन बंजारा कवि नवरतन बंजारा

कवि नवरतन बंजारा #कविता

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Navratan Banjara

कविता-चन्द्रयान 2

गवृ है हमे अपने वतन के शेरों पर।अभी सिर्फ सम्पर्क टुटा है हमारा होसला नही। करेंगे हर जगं मे जीत हासिल,ये हमने ठाना है 

हम कमजोर नहीं हुए इतना ये हमनें माना है।चन्द्रयान-2 हुआ है विफल तो क्या हुआ,होसला अपना बनाये रखेंगे।

हमें विश्वास है अपने शेरों पर हार उन्होंने नहीं मानी है।।
करेंगे प्रयास दुबारा,ये हमने ठाना है।अभी है होसला हममें,ये हमनें माना है। 
अभी है हमारे शेर मोजुद उन्होंने होसला हमे दिया है ।

मुश्किल आये चाहे जितनी भी,हर मैदान जीत जायेगे।
ये तो किस्मत थी हमारी फिर से आजमायेगे।।

कवि नवरतन बंजारा हमे गर्व है।।।।

हमे गर्व है।।।। #कविता

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Navratan Banjara

कविता-रविवार

मिल जाती है राहत काम से,आ जाता है वो दिन इन्तजार से,जब दे पाते हैं। हम समय अपनो को आराम से।।
इन्तजार होता है खत्म। मिल जाती है राहय विधार्थियो को पढाई से।शिक्षक ले पाते हैं मजा नींद का।। वो भी बीना दबाव के।
हो जाती है हलचल शुरू बाजार में,होने लग जाती है खरीदारी शुरू बाजार में।मिलता है आराम  शिक्षकों के भाषण से ।सुकून से  नींद ले पाते हैं,देर तक।
डर हो जाता है दुर विधालय मे देर से पहुचने का।
मिल जाता है समय साथियों के साथ घूमने का।।
सब भुल जाते हैं,रविवार के नाम से। ऐसा बिताने में रविवार आराम से।।

कवि-नवरतन बंजारा
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कविता=अधुरा मन

ख्वाहिश है बाकी,इस चंचल मन मे। अधुरा है मन उसकी याद में। कब पुरी हो ख्वाहिश ये मेरी । बेचेन सा है ये मन

अधुरा-अधुरा सा लगता है दिन।कमी महसूस होती है।उनकी इस मन मे।काम लगते हैं सारे अधुरे-अधुरे से।

जीवन भी अब लगने लगा है अधुरा सा।कब पूरा हो ये अधुरा सपना।कब पुरी हो ये अधुरी काली रात।

कब हो नया सवेरा,कब पूरा हो ये अधुरा ख्वाब।बीता जाये समय अधुरा-अधुरा कब पुरा हो ये समय अधुरा।

जीवन व्यतीत हो मेरा उसकी याद मे ये है अधुरा स्वपन मेरा,कब हो ये पुरा। कई घुम हो जाऊ मै उनके मन मे जो हो सिर्फ मेरा।।

इस अधुरे मन की हो जाये ख्वाहिश पुरी।हो जाये ये जीवन पुरा,ना रहे ये जीवन अधुरा।।

लेखक-नवरतन बंजारा
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 अवारा दिल💜❤ My_Words✍✍ Faguni Verma

अवारा दिल💜❤ My_Words✍✍ Faguni Verma #कविता #nojotophoto

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