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कवि देवदास गढपाल

kavi

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कवि देवदास गढपाल

ट्रेन खचाखच बस खचाखच कहां गया वह जमाना तुम कब आओगे #CupOfHappiness
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कवि देवदास गढपाल

#AprilFoolDay  आप खुद सवर जाइए
मुझे सजाना नहीं आता
गरीबों को उठा लूंगा ऊपर मुझे किसी को नींद से जगाना नहीं आता #April_Fool_Day
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कवि देवदास गढपाल

बंदी जीवन भी क्या जीवन
मुक्त स्वच्छंद हो जाने दो
लाख डाउन भले पूर्ण हो
अंतर अंतर से रह जाने दो
हो रुदन कृदन्त
बंदी जीवन भी क्या जीवन
मनोदशा भी कुंठित हो समस्त रसों का रसास्वादन वंचित जीवन अंतर अंतर से रह जाने दो
सफल हो बंदी जीवन #alone
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कवि देवदास गढपाल

मजदूर दिवस
वह तोडता पतथर
मैं ने देखा ऊसे बालाघाट
के पथपर
वह तोडता पतथर
मैं ने देखा।
एक हाथ मे हथोडा
पसीने से तरबतर
मैं ने देखा ऊसे बालाघाट
के पथ पर
देवदास. #Morning
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कवि देवदास गढपाल

#nojotorap
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कवि देवदास गढपाल

लॉक डाउन
मेरे तुनीर के बाण
छटपटा रहे हैं पितामह
अरे अर्जुन कोरोनावायरस कोई साधारण योद्धा नहीं है
5 क्या मैं कोई साधारण योद्धा हूं
मेरे तुणीर मैं लॉक डाउन जैसा ब्रह्मास्त्र है पितामह
लव डॉन जैसा शस्त्रों का प्रयोग महामारी जैसे हालात में किया जाता है पार्थ
अवश्य पितामह लॉक डाउन
इस समय आचार्य द्रोण कहां है अर्जुन
वह भी इस समय अपने कक्ष में लॉक डाउन की ही प्रतीक्षा कर रहे हैं पितामह #river
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कवि देवदास गढपाल

#myvoice
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कवि देवदास गढपाल

संभल जब निर्बल से हारा
मलिन जब उज्जवल से हारा रास्ता जब राहगीर से हारा
महंगा जब सस्ते से हारा
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कवि देवदास गढपाल

सर कहीं गिरा धड़ कहीं गिरा इसकी कुछ भी पहचान नहीं तीर न पर दागे तीर वारों का कुछ भी पता नहीं वीर धीर वीर गंभीर इसकी कुछ भी पहचान नहीं था सोर मौत से बचो बचो तलवार गिरी तलवार गिरी
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कवि देवदास गढपाल

ढीली करो धनुष की डोरी तरकस का कस खोलो किसने कहा युद्ध की बेला गई शांति से बोलो फिर से देखो प्रत्यंचा को तीरों की धार करो पैनिं युद्धों की अब ठहर गई किसने कहा शांति से बोलो ढीली करो धनुष की डोरी तरकस का कस खोलो किसने कहा युद्ध की बेला गई शांति से बोलो #National_Safety_Day
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