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sanjaysaxena1835
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Sanjai Saxena

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Sanjai Saxena

White हम भी वही, तुम भी वही,
हम दोनों में अंतर क्या है?
मैं तुममें हूँ, तुम मुझमें हो,
फिर मैं प्रीत करूँ किससे?

इस जग में तुम, इस जग में मैं।
कण कण में तुम, कण कण में मैं,
मैं और तुम में अंतर बस 
स्वयं का स्वयं से आलिंगन है।

जीवन के पथरीले पथ पर 
हम साथ हमेशा रहते है,
संग धूप में चलना सीखे है,
बन शजर शीतलता देते है।

अब और क्या चाहूं तुझसे,
मय और नशा, तुम और मैं,
हम दोनों में अंतर क्या है?
अब मैं प्रीत करूँ किससे?

written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #sad_shayari
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Sanjai Saxena

जब जब चांद ने शर्म से पर्दा किया है,
तब तब घनघोर अंधेरा हुआ है।
खिलने दो कलियों को, महकने दो चमन,
रोशन हो जहाँ और मन का भरम,
फिर देखो खुशियों से खिलता चाँद, 
शीतल हवा में मुस्काते सितारे।
ऐसी हो खूबसूरत दुनियां हमारी,
जब तब हमको सिर्फ यह भरम हुआ है।


written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #Her
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Sanjai Saxena

उसे लगता है, मैं उससे प्यार करता हूँ,
उसको नही मालूम कि मैं नशे में हूँ।

संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #Love
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Sanjai Saxena

New Year 2025 रवि किरण धरा को,
आलोकित जब कर जाएं,
सुबह, सवेरे नवयौवन सी,
कलियां जब खिल जाएं,
धीमे धीमे से खुशियां,
हर घर महकाएं,
धवल, धानी धरा सा,
आलोकित, हर जीवन कर जायें।

नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #Newyear2025
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Sanjai Saxena

White अब मैंने उसकी इज़्ज़त करना सीख लिया है,
अब मैंने अपना मुंह बंद करना सीख लिया है,
पहले जो निगाहों से होती थी गुफ्तगू कभी,
अब मैंने, निगाहें इतर करना सीख लिया है।


संजय सक्सेना

©Sanjai Saxena #Tulips
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Sanjai Saxena

White उसको ऐसा वैसा कब समझा था,
वह उड़ सके बस यह समझा था।

उड़ने को पंख खोलने ही पड़ते है,
वह निश्चित उड़ेगा यह समझा था।

written by:-
संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #sad_quotes
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Sanjai Saxena

उमंगों में जीना कोई उससे सीखे,
प्रेम को भुलाना कोई उससे सीखे।

written by:-
Sanjai Saxena
Prayagraj

©Sanjai Saxena #sadak
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Sanjai Saxena

White न छप्पर फूटा, न धन मिला,
इंतज़ार-ए-वक़्त में, सारा जीवन बीत गया,

जवान हाथों से किया कुछ नही, 
जिम्मेदारियों को यूं ही छोड़ दिया,

पालनहार भगवान भी अब क्या करे, 
जब उसकी व्यवस्था को ही तोड़ दिया,

जीवन भर मांगते रहे, झूठ बोलते रहे, 
कोसते रहे, लड़ते रहे, फिर शिकायत क्यो, 
जब सबने साथ छोड़ दिया।

जीवन भर रिश्ते तोड़ते गये, साथ छोड़ते गये, 
न पिता की बैसाखी बने, न भाई का काँधा, 
वक़्त भी खुद ही पीछे छोड़ दिया।

अपनी लाठी जब खुद ही बनो,
धरातल पर भी कुछ दूर चलो,
राह के पत्थर हटा सको,
तब मंज़िल बस उंसको मिले, 
जिसने व्यसन छोड़ दिया।

wtitten by:-
संजय सक्सेना, 
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #GoodMorning
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Sanjai Saxena

हमने जो तेरी आँखों मे मोहब्बत देखी,
उंसको तेरे लबो पर बरकरार देखा,
मरमरी लबो की थिरकन ने जो कहा,
उंसको मेरी आँखों ने खूब सुना।

written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #NationalSimplicityDay
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Sanjai Saxena

दुनिया कहे तो कहे कोई बात नही,
उसने कह दिया तो हंगामा हो गया।
बात जज्बातों की हो तो मौन ही अच्छा,
जाने क्यो दिन में अंधेरा हो गया।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #WritingForYou
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