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krishangopalsola5134
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Krishan Gopal Solanki

कवि एवं मंच संचालक ......

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Krishan Gopal Solanki

कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है,
कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है,
लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में,
वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है।

©Krishan Gopal Solanki #Distant

11 Love

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Krishan Gopal Solanki

फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं,
मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं,
काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं,
जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki #alone

13 Love

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Krishan Gopal Solanki

धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे,
कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे,
जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था,
वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki #onenight

13 Love

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Krishan Gopal Solanki

इंसानियत के फ़र्ज़ से मुकर जाते हैं,
लोग हादसा देखकर चुपचाप गुज़र जाते हैं।

©Krishan Gopal Solanki #Broken

12 Love

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Krishan Gopal Solanki

कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की,
नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की,
कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं,
कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की।
         
          
निज़ाम  - प्रबंध
कदाचार -बुरा व्यवहार

©Krishan Gopal Solanki #Light

9 Love

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Krishan Gopal Solanki

बेशक़ प्यार और दुलार करना चाहिये,
पर समय के साथ होशियार करना चाहिये,
जब बच्चे बाप के कांधे तलक आने लगें,
मित्रवत उनसे व्यवहार करना चाहिये।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki #Papa

10 Love

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Krishan Gopal Solanki

भ्रम इंसान यूँ तोड़ देता है,
मुँह अपनों से मोड़ लेता है,
अंधेपन में सहारा थी जो छड़ी ,
दृष्टि मिलते ही उसे छोड़ देता है।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki #standAlone

17 Love

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Krishan Gopal Solanki

घर ग़रीबी में अपना चलाने लगे,
होश जबसे संभाला कमाने लगे।

छोड़ हमको अकेले चली माँ गई,
लोग हमको अभागा बताने लगे।

रहनुमाई में जिनकी कटा दौर था,
वो इशारों पे हमको नचाने लगे।

सुख लिखा था मुकद्दर में उनके मगर,
दुख मुसलसल हमीं को सताने लगे।

भूख से जब सिकुड़कर के सोये कभी ,
लोग ख़्वाबों में रोटी दिखाने लगे।

मंजिलें फिर 'गोपाला' मिली हैं उन्हें,
वक़्त का साथ जो भी निभाने लगे।

©Krishan Gopal Solanki #Alive

16 Love

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Krishan Gopal Solanki

चाहने वाले कुछ अफ़साने कहते हैं,
ग़म को मेरे लोग बहाना कहते हैं,
हँसता हूँ तो दुनियां कहती है पागल,
रोता हूँ तो लोग दीवाना कहते हैं।

©Krishan Gopal Solanki

9 Love

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Krishan Gopal Solanki

प्रेम में लिपटा स्नेह का तार लाती हैं,
परिवार में खुशियाँ अपार लाती हैं,
ये बहने अपने लिये कुछ नहीं माँगती,
भाइयों के लिये दुआओं का संसार लाती हैं।

©Krishan Gopal Solanki #rakshabandhan
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