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subhashcsharma5434
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Subhash.C.sharma

सुभाष की कलम Motivational speaker

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Subhash.C.sharma

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Subhash.C.sharma

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Subhash.C.sharma

उस दिन में बहुत खुश था , जब आपने रास्ते में हमसे बहुत सारी बाते की थी, की में आपसे खुश हु, आप एक काबिल पुत्र हो, मुझे ख़ुशी है ही आपके अंदर हुनर है , आप सब कुछ कर सकते हो, ये मालूम नहीं था की, ये आखिरी बार आपसे बात हो रही है,

©Subhash.C.sharma
  #bicycleride
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Subhash.C.sharma



त्राहि त्राहि मच रही है,यह उफान कैसा है,
सदियों से तो नहीं देखा यह तूफान कैसा है।

किसी के अपने छूट गए, किसी सपने टूट गए,
कड़ी मशक्कत से बनाये थे घर
वह पल भर में मिट्टी में मिल गए।

कैसी ये उसकी माया है, प्रकृति को क्यों गुस्सा आया है,
छेड़ा है, तुमने खुद तभी आज यह मंजर देखने को आया है।

में तो मां हूं, तुम्हारी बुरा केसे सोच सकती हूं,
कितना बोझ उठाती हूं, तुम्हारे इन आलिशानो का, 
फिर भी चुप चाप सह जाती हूं।

पहाड़ी को तुमने खुद भेदा, 
क्या होंगा कल ये किसने देखा।
अधिक भोज नही उठा पाती टूटकर कुछ अंग मेरे हिस्से के
धराशाई हो जाती हूं


अभी वक्त है, समय रहते संभलान होंगा ,
न आए बाज तो कल इससे भी भयानक होंगा

©Subhash.C.sharma
  #Journey
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Subhash.C.sharma

मेरी कलम और में।

कुछ कहता हूं में,
कुछ लिखती है कलम,
बीत जाते है कई दिन ।
सुनसान पड़ी रहती है कलम,
लिखने का है चाव
सोचता हूं, कभी  कभी 
तालब से भी गहरे पड़ गए
क्या, इन काले शब्दों से भर जायेंगे ये घाव
मन ही मन यह सवाल आता है
लिखना शुरू करता हु,
तो मन में इक बवाल आता है
डरता नहीं में सत्ता के पहरेदारों से
चलता एक कदम नहीं हूं, में
 बिना अपनी कलम के सहारे से
जिंदगी भर का है साथ 
जब तक चलते रहेंगे मेरे हाथ,
भटकता है , मन स्थिर रहता है तन,
घूमती है कलम पाताल इहलोक और गगन
कुछ लिखती है खुद ,कुछ कहता है मन
बस इतना सा ही हैं सफर ,एक हूं में
और एक है, मेरी कलम!

                         सुभाष सी. शर्मा

©Subhash.C.sharma
  मेरी कलम और में

मेरी कलम और में #कविता

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Subhash.C.sharma

सदा मुस्कराते रहना चाहिए ,
जिंदगी से प्यार करो,
ये जैसी भी है,इससे प्यार करो, 
अपने आप को कभी न कोसो, 
हम बहुत खुशनसीब है , 
ये मानुष जिंदगी पाकर।

 सुभाष सी. शर्मा

©Subhash.C.sharma
  जिंदगी को हस कर जियो।

जिंदगी को हस कर जियो। #विचार

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Subhash.C.sharma

यादगार पल

यादगार पल #ज़िन्दगी

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Subhash.C.sharma

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Subhash.C.sharma

हिंदी कोई दिवस नही यह देश के हर नागरिक के मन के भाव की अभिव्यक्ति है, हमारे लिए हर दिन हिंदी दिवस है , हमे इसे अपने दैनिक जीवन में भी इस्तेमाल करना चाहिए, में अधिकांश लोगों को देखता हूं , कि वो हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते है, जो व्यक्ति हिंदी बोलता है उसे अनपढ़ समझा जाता है , उसका मजाक उड़ाया जाता है , आप सभी से अनुरोध है की हमे हर रोज हिंदी का सम्मान करना चाहिए, एक दिन दिवस मनाकर इसे शर्मिंदा नही करना चाहिए।

उन लोगो को भी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं जो हिंदी को साल में एक बार हिंदी दिवस के दिन याद करते है।

©Subhash.C.sharma #Hindidiwas
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Subhash.C.sharma

ऐसा था परमार! 

प्रदेश की जनता के लिए 
जिन्होंने छोड़ दिया घर परिवार
टुकड़ा टुकड़ा हिमाचल का जोड़कर 
बनाई एक नई सरकार ।
आज भी हर व्यक्ति के हृदय को  छू जाते है परमार 
धन्य वो मां , जिसने ऐसे सपूत को जन्म दिया 
निवाला पिलाकर छाती का अपने 
उसे अपने पैरो के सुपर्द किया ।
बड़े होकर परमार ने हिमाचल का श्रीगणेश किया
चांदी की थी या सोने की थी वो खान 
जहां पर किया था परमार ने अपना खान पान ।
बनाकर देश के और एक राज्य बढ़ाई हिमचल की शान 
अपने कार्यकाल में , खूब किया जनता का विकास
जब लगा , ढल रही उम्र, चल दिए बैठ कर बस की सीट पर 
कर दिया सिरमौर प्रस्थान 
 आज हर व्यक्ति के प्रेरणा दायक है ,
ऐसे महान् थे परमार
सिरमौर ही नही हिमाचल , भारत की शान थे परमार ।

©Subhash.C.sharma डा ० यशवंत सिंह परमार

डा ० यशवंत सिंह परमार #कविता

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