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virenderrawat4200
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Virender Rawat

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Virender Rawat

 🌞एक खयाल बचपन का🌞

अब उम्र हो चली हैं पचपन की
बातें खत्म नहीं होती बचपन की
कुछ खास था उन दिनो में जीना
बेफिक्री को रगो में घोलकर पीना
ना शिकवे ना झगड़े ना तकरार
सब साथ में और सब दोस्त यार
आज कल कहां लोग सच्चे हैं
वो अब्बा कुट्टा वाले दोस्त ही अच्छे हैं
बस दौड़ रहे हैं क्यों की आगे जाना हैं
मगर किस से यही सोचकर तनाव आना हैं
अब तो खुद से भी झूठ बोलते हैं हम खुश हैं
क्या करू ऐसा की खुश रहूं और सच्चा बन जाऊं
एक ही जवाब मिला की फिर से बच्चा बन जाऊं

वो दिन नही भुलाए जाते चाहें उम्र पचपन आ जाए
कोई टाइम मशीन बनादो यार की फिर से बचपन आ जाए

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Virender Rawat

❤️दोस्त पुराने👋
जैसे याद नहीं आते कभी गुजरे जमाने
ऐसे ही भुला दिए जायेंगे क्या दोस्त पुराने
कही बात बंद हैं और किसी से बात करने का मन नहीं
इस दौड़ते वक्त में बदलने लगे जिंदगी के पैमाने
हम घूमने भी जाते हैं तो अब अकेलापन लगता हैं
ये लोग मेरे पुराने दोस्तों जैसे नही दीवाने
ऑफिस घर सुना सुना हो गया हैं कुछ वक्त से
कान तरस रहे है सुन्ने को हसीं मजाक वाले ताने 
हम खुश हैं हमेशा से ऐसा ही सबको लगता हैं
कोई उन दोस्तों की तरह हमें ठीक से पहचाने
अब बैठकर बस बातें होती हैं यहां वहां की
सजती नही वो महफिल ना वो फिल्मी गाने

आंख खुली तो पसीना पसीना था मैं
ना जाने कब बंद होंगे ये बुरे सपने आने
याद आया आज तो नैनीताल के लिए निकलना हैं
मैं, मेरे पहाड़, उनका सफर और मेरे दोस्त पुराने

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Virender Rawat

⛰️सादगी पहाड़ों वाली⛰️

ज़िंदगी के सफर में अब हमें ना जगाना
जब पहाड़ दिखने लगे तो बताना
कई चहरे लेके चलते हैं लोग बेवजह
बेकार है सब उन्हें समझा सको तो समझाना
सफाई सच्चाई चाहता हैं ये समाज और लोग
मुश्किल नहीं होता क्या झूठे किस्सों को फैलाना
जो सीखनी हो सादगी एक चहरे वाली
पहली गाड़ी से सीधा मेरे पहाड़ आ जाना

अब सोने दो मुझे अब ना जगाना
जब पहाड़ दिखने लगे तो बताना

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Virender Rawat

सच्चे हो तो मेरे मुंह पर बोलो और गुस्सा करलो
जो गलती मेरी हो सामने से थप्पड़ जडलो
मगर यूं मेरी बुरारी दूसरो के सामने करना
और अच्छाई के वक्त मुंह में दही भरलो
आफत हैं हुजूर किसी का भला सोचना भी
मैं तो कहता हु सोचने से पहले भी डरलो 
बड़ा अजीब सा रिवाज हैं अपने लोगो का
कोई फर्क नही पड़ता उन्हे तुम जीलो या मरलो 

✍️बुराई पीठ पीछे करने वालो शर्म करलो
और अच्छाई के वक्त मुंह में दही भरलो✍️

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Virender Rawat

सच्चे हो तो मेरे मुंह पर बोलो और गुस्सा करलो
जो गलती मेरी हो सामने से थप्पड़ जडलो
मगर यूं मेरी बुरारी दूसरो के सामने करना
और अच्छाई के वक्त मुंह में दही भरलो
आफत हैं हुजूर किसी का भला सोचना भी
मैं तो कहता हु सोचने से पहले भी डरलो 
बड़ा अजीब सा रिवाज हैं अपने लोगो का
कोई फर्क नही पड़ता उन्हे तुम जीलो या मरलो 

✍️बुराई पीठ पीछे करने वालो शर्म करलो
और अच्छाई के वक्त मुंह में दही भरलो✍️

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Virender Rawat

चांद से सिफारिश करके चांदनी मंगवाई हैं
सूरज से बात करके देखो किरण भी आई हैं
एक पल के लिए आ जाना तुम्हे फुरसत मिले तो
इस बार पूरी महफ़िल सितारों से सजाई हैं

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Virender Rawat

एक मेरा दिल हैं मेरी ही समझ से परे
एक तुम्हारे खयाल हैं जिसमे रोज हम उलझ जाए
समझ नही आता तुम हकीकत हो या वहम
नजर आओ तो मेरे ख्यालों का मसला भी सुलझ जाए

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Virender Rawat

रात सी जिंदगी अब सवेर नहीं लगती
तेरी यादों में अब जिंदगी हेर फेर नहीं लगती
बुढ़ापा आ गया हमें तेरे इंतजार में दोस्त
और लोग कहते थे किस्मत खुलते देर नहीं लगती

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Virender Rawat

ना शिकवे थे ना कभी बटें थे हिस्सों में
बस दोस्ती ही दोस्ती थी स्कूल के किस्सों में
किसी से आगे निकलने की धुन कहां सवार थी
सब एक थे बेशक किसी के टिफिन में रोटी दो तो कभी चार थी।
सोचा नहीं था स्कूल यूं भुला देगा हमें
जिम्मेदारियों की नींद में सुला देगा हमें
काश इस नींद में एक सपना आ जाए
स्कूल फिर चले हम बचपन अपना आ जाए

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Virender Rawat

मां की बनाई दो रोटी भरपूर हो जाती हैं
पूरे दिन की भूख , थकावट दूर हो जाती हैं

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