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simranprasad7915
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Simran prasad

सिर्फ एक लड़की नहीं, मर्दानी भी हूं मैं आज की लिखीं गई एक नई कहानी हूं मैं!

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Simran prasad

जिगर का टुकड़ा मेरे नाराज़गी में छुपा प्यार 
वो अक्सर जान जाता हैं
हस्ते हुए चेहरे का बोझ 
वो पहचान जाता हैं
ज़िन्दगी के हर मोड़ पे
वो मेरे साथ रहता हैं
हर दुख़ सुख में
वो मेरे पास रहता हैं
वो बस एक बेजुबान जानवर नहीं
वो मेरे जिगर का टुकड़ा हैं #Relationships #December
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Simran prasad

वो चांद रात, और
हसीन वादियां
वो खामोश सी सड़क
और ठंडी हवाओं का तरंग
वो तारो का जगमगा
वो नई दिन का इतज़ार करना

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Simran prasad

यूं तो कुछ ख्वाहिश हैं
मेरे दिल में
यूं तो कुछ सपने हैं
मेरे मन में
मुझमें कोई समा सा रहा
जैसे कोई मेरे रूह में #December

4 Love

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Simran prasad

वो ठंडी हवा जो रूह में पड़ी
वो तन जलते धुपरिया से जैसे राहत सी मिली
वो तेज़ बरसात में फसल फिर से खिली
ये सर्द दिसंबर में उम्मीद कोई 
नई सी मिली
वो ख्वाहिशों का समुंदर 
फिर से डगमगाया
ये सर्द दिसंबर की
ठंडी हवा फिर से कानों में कुछ बुदबुदया #season #December
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Simran prasad

कल्पनाओं से परे 
वो सपना है कहीं
जहां कोई ना दिखे
वो रास्ता है वहीं

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Simran prasad

अनजानी राह

अपनी कश्ती संभालती तो कैसे
वो किनारा मिल नहीं रहा 
ये दुनिया के रस्मो में खोई सी
कोई इरादा मिल नहीं रहा
अपना घर ढूंढू कैसे
वो पता मिल नहीं रहा 
अपनी मंज़िल की तलाश में हूं
पर मुझे वो रास्ता मिल नहीं रहा #December

3 Love

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Simran prasad

प्यार का एहसास वो पलभर कि खामोशी और
फिर
बवाल सा हो गया
लगता हैं मुझे तुमसे प्यार हो गया
उसका एहसास सा हो गया
अब तुम्हें दिल का हाल बताऊं तो कैसे
ख़ुद में मैं नीलाम सा हो गया
ये पहला एहसास सा हो गया
लगता हैं मुझे तुमसे प्यार हो गया #Love #December
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Simran prasad

#न्याय
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Simran prasad

किरदार

   वो लोग अक्सर अपना किरदार बदलते हैं
जहां उन्हें समझने वाला कोई ना बचा हो
क्या झूठ क्या सही
सबने खूब मज़ाक बनाया उसका
अपने हाल को बयां करे तो किसके सामने
ठोकर लगने में भी तो सहारा किसी ने ना दिया
बदल दिया खुद को उसने आेरो के लिए नहीं
खुद अपने लिए
नहीं तलाश उसे किसी की
सुना है
अब वो अपनी तलाश में हैं #December

3 Love

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Simran prasad

मेरी कागज़ की कश्ती वहां दुबी
जहां मेरे दोस्त का असली चेहरा सामने आया
जिस इंसान पे मैं सबसे ज़्यादा विश्वास करती थी
उसी ने सबसे ज़्यादा बार छुरा घोंपा
जिस इंसान पे मैं सबसे ज़्यादा फक्र करती थी
उसी ने सबके सामने तमाशा बनाया 
अब दुश्मन जैसे दोस्त की तलाश नहीं मुझे
अब मैंअपनी तलाश में हूं #dost #December
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