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utkarshjain9095
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Utkarsh Jain

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Utkarsh Jain

कैसे तुम्हे समझाऊं में , कैसे यकीं दिलाऊं में,
की तुम्हीं मेरे त्योहार हो, तुम्हीं मेरे उपहार हो,
तुम्हीं दीप हो, की तुम्हीं झालरों की रोशनी हो,
तुम्हीं गुजिया की मिठास हो,
तुम्हीं नमक पारे का नमक,
तुम्हीं उल्लास हो, तुम्हीं उत्कर्ष,
तुम में मैं हूं, और मुझ में तुम,
तुम्हारा साथ ही क्या है मेरे लिए दीवाली कम। 

 Dairy

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Utkarsh Jain

आज अपनो में अपनी परछाईं देखकर,
अपनो के दर्द का एहसास हुआ,
काश समय रहते हमने ये समझा होता,
तो कुछ बीते हुआ लम्हों का गिला न होता।
 Diary

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Utkarsh Jain

वो मुझे खुद सा बनाना चाहते है, 
में खुद सा रहना चाहता हूं।
वो मुझमें खुद को देखना चाहते है,
में खुद में खुद को देखना चाहते है।

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Utkarsh Jain

इन अनजान गालियों मे एक जाना पहचाना चेहरा है,
जिसका रंग सांवला और आंखों का रंग गहरा है,
जो लगता तो अपनो सा है, पर पहचानता नहीं,
मुझे याद है पर वो मुझे जानता नहीं,

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Utkarsh Jain

परिवर्तन ही संसार का नियम है,
मां पर संसार के नियम लागू नहीं होते,
बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाएं,,
एक मां के लिए उसके बच्चे कभी बड़े नहीं होते,
तू ही सुपरमैन, तू ही बैटमैन तू शक्ति का अवतार है,
मां एक तेरी ही गोद में मेरा सारा संसार है।
 मां

मां

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Utkarsh Jain

लोगों ने तो न जाने क्या क्या लिख दिया,
कहने को तो सारा जहां लिख दिया,
में नासमझ हूं, मुझे कुछ न समझ में आया,
तो मैंने किताब के हर पन्ने पर मां लिख दिया। मां

मां

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Utkarsh Jain

दिल बदल सकता है, पर यार नहीं बदलता
तुम बदल जाते हो, पर प्यार नहीं बदलता।

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Utkarsh Jain

कहने को तो बहुत कुछ है 
पर शब्द कम पड़ जाते हैं,
जो तेरा चेहरा सामने आ जाता है
हम चुप से पड़ जाते हैं,

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Utkarsh Jain

किस्सों को कहानी का रूप दे रहा हूं,
यादों को एक जीवंत स्वरूप दे रहा हूं,
कुछ अगर भूल जाऊं तो याद दिला देना,
कोई किस्सा अधूरा रह जाए तो पूरा करा देना,

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Utkarsh Jain

मेरी कहानी की सियाही थी तुम
तू क्या गई कलम की 
स्याही भी सुख गई 
शब्दों की माला कुछ ऐसी टूटी,
कहानी मेरी कड़ी ही छुट गई।

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