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muradyaji2371
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'लेख' ₹@J

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'लेख' ₹@J

जरा सोच समझकर छोड़ना हमारा साथ ऐ हुस्न वालों 
हम वो हसीन नज़ारे है जो बाजारों में नही मिला करते

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

थक गये है ख्वाबों के धागे बुन बुनकर 
अधूरे ख्वाबों का इतना ढ़ेर लगा दिया 
जरा सी फुरसत तो दे ऐ जिन्दगी मुझे 
तूझे जीने के बदले  खुद को भुला दिया

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

जिंदगी की भाग दौड़ से थककर जब कभी शूकून की जरूरत पड़े 
तो दौड़ कर चले आना तुम्हारे सितम से ये कंधे कमजोर जरुर हुए पर झुके नहीं

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

किसी ने कस कर ही थामा होगा उसके हाथ को
बहुत खुश हैं तुमसे बिछड़कर मर जाऊंगा कहने वाला

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

सुना दो सजा ऐ हुकूम हमें उम्रभर की हमने कत्ल किया है खुद के ही दिल का 
इन वीरान बस्तियों में आसियाना बसाकर हमने वजूद खत्म किया है खुद का
एक दौर था जब दुनिया की नजर में गुनाहगार रहते थे पर खुद तो शुकून में थे
और अब शराफत के बाजार में सरेआम नीलाम कर दिया हमने जमीर खुद का

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

चिलम से निकलती धुआं 
इतला करती थी हर खांसी से 

हर वक्त ना पीया कर मुझे
मैं चंद घड़ियां जलकर बुझ जाऊंगी
मुझसे ना लगा दिल बेहिसाब 
मैं तुझे सिर्फ नुकसान पहुंचाऊंगी

कस खींच कर बोल पड़ा मैं 
कैसे भला तुझे छोड़ पाऊंगा 
तुझे बसाया है रुह में इस कदर
कि ताउम्र वफ़ा निभाऊंगा 

उसके इश्क के उड़ते धुआं में 
जिंदगी की एक कड़ी गुजर गई
मैं रोज रोज पीता रहा उसे 
और वो मुझे एक रोज में पी गई 

 गिर कर हाथों से खिलखिलाने लगी
इश्क मोहब्बत है झूठे समझाने लगी 
जिंदगी जाने का इतना दुःख ना हुआ 
दुःख हुआ कि मेरी मोहब्बत झूठी लगी 
~ लेख

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

मंजिल पर पहुंचने वाले ऐ मुसाफिरों
जरा सा ख्याल इस मल्लाह का रखना 
मालूम है सफर खत्म हो गया है तुम्हारा 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

तुम्हें किनारा क्या मिला तेवर ही बदल गये 
समंदर में साथी बने अब इरादे बदल लिए
 जाते-जाते कह रहे हो ये तो मात्र सपना था
 ऐ फरेबी मुसाफिरों जरा सा रहम तो करना 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

भूल गये तुम कि मैं लहरों से टकराया था 
खुद को भूलकर तुम्हें सलामत पहुंचाया था
 चंद टके हथेली पर रखकर अहसान ना करो 
जिंदगी का वो दौर तो कम-से-कम उधार रखना 

कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना
तुम्हें मुबारक मंजिल मुझे यही रूक जाना है 
दूसरे मुसाफिर को फिर दरिया पार कराना है 
याद आए मेरी नाव के हिलौरें तो लौट आना
 मैं इंतजार कर रहा हूं किनारे पर ख़्याल रखना 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

~लेख की कलम

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

White दस्तूर निभाता है वो मेरा हमदर्द होने का
मुझे मालूम है वो मेरे दर्द से वाकिफ नहीं

©'लेख' ₹@J
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'लेख' ₹@J

White मैं जीना चाहता हूं जिंदगी उसके साथ और वो मेरी जिंदगी से जा रहा है 
मैं जोड़ रहा हूं उम्मीद उससे और वो हर दिन अलग तरीके मुझे तोड़ रहा है 
उसे लगता है कि खेल है ये जिंदगी कुछ वक्त का जो खेल कर ऊब गये
शायद भूल गया ये इश्क है एक दौर से मेरी रगो में लहूं बन कर दौड़ रहा है

©'लेख' ₹@J #love_shayari
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'लेख' ₹@J

तुम हमें भूल भी जाओ तो मलाल नहीं 
हम ताउम्र तुम्हें चाहते रहेंगे ये वादा रहा

©'लेख' ₹@J
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