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roopeshsinghluck1835
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Roopesh Singh Lucky

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Roopesh Singh Lucky

हम दीन दुखी दुखिया जन के, दुख दर्द मिटाने आए हैं।
हम कृष्णप्रिया श्री श्यामा जु के, नित गुण गाने आए हैं।।

यह नाम नही साधारण सा, भव पार कराती नैया है।
खुद कृष्ण प्रभु जिसके गुण को, गाते वो राधा मैया है।।
वृषभानु सुता कीरति की लली, का चरित सुनाने आए हैं।
हम कृष्णप्रिया श्री...............................

यह नाम न पार लगा जो सके, ऐसी कोई मंजधार नही।
जो छोड़ दे भक्त को संकट में, ऐसा श्यामा का प्यार नही।।
जो सोए रहे कलिकाल में हैं, हम उन्हे जगाने आए हैं।
हम कृष्णप्रिया श्री...............................

जो रटते है जीवन में बस, राधा राधा राधा राधा।
होता है जिनको श्यामा के, चरणों में नित प्रेम अगाधा।।
हम उनके चरणों की धूली, शीश लगाने आए हैं।
हम कृष्णप्रिया श्री................................

हम नीच कुटिल सब भांति अधम, पर राधा नाम सहारा है।
तारेंगी हमको भी वे, जिसने जग को उद्धारा है।।
हम भूतल पर उनके चरणों,की सेवा पाने आए हैं।
हम कृष्णप्रिया श्री.............................

©Roopesh Singh Lucky

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Roopesh Singh Lucky

है कौन श्रेष्ठ? है कौन श्रेष्ठ? यह विचार सबके मन में।
मै स्वयं श्रेष्ठ, मै स्वयं श्रेष्ठ, यह संस्कार सबके मन में।
है श्रेष्ठ वंश, है श्रेष्ठ जाति, मैं ही कुलीन हूं सभी भांति।
है श्रेष्ठ देश, है श्रेष्ठ वेश, हूं वीर श्रेष्ठ, हूं अरि का घाती।

पर रुको! ठहरो। और विचार करो।
करो आत्म मंथन, और ध्यान धरो।

क्या श्रेष्ठता बची? क्या पुरुषत्व बाकी है?
क्या राम सा तुममें अभी अपनत्व बाकी है?
क्या कृष्ण सा वो धर्म का कुछ ज्ञान बाकी है?
मरे आजाद जिस खातिर वो स्वाभिमान बाकी है?
कहां गया वो हरिश्चंद्र जो था सत्य का खुद अवतार?
कहां गए वो धर्म हेतु अधर्म पर होते नित्य प्रहार?

हो गए पतित, हो गए शिथिल, हो गए वीरता से हम हीन।
हो गए क्रूर, सब गया शूर, रह गए लोभ, विषयों में लीन।
हो गए तुच्छ, न रहे श्रेष्ठ, स्वीकार करो।
सोचो, समझो और स्वयं ही विचार करो।

©Roopesh Singh Lucky #writer #poem #proud #think #अल्फाज #Opinion #thought
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Roopesh Singh Lucky

जितना बल था राजपूतानी, तलवारों और चंदन में
उतना ही बल सदा रहा है, राजपूतानी कंगन में।
चाहे हो वो किरण बाईसा, लेकर साहस भरी कटार।
चढ़ बैठी अकबर की छाती, और मच गया हाहाकार।।
थर थर कांप रहा था अकबर, मांगने लगा प्राण की भीख।
नही करूं अपमानित नारी, ऐसा प्रण और लेकर सीख।
चाहे हों मेवाड़ धरा की, अतुलनीय पद्मावती वीर।
जीत के भी हारा था खिलजी, देख महारानी गंभीर।
जौहर के उस अग्निकुंड में, रानी ने जब त्यागे प्राण।
देख महारानी का साहस, अग्नि बोल उठी जयकार।।
चाहे हो चित्तौड़ भूमि की, वीर हमारी पन्ना धाय।
जिनके साहस और त्याग की, उपमा हमसे कही न जाय।
कर्तव्यों के हेतु जिन्होंने, अपना पुत्र किया बलिदान।
प्राण बचाए उदय सिंह के, धन्य हैं पन्ना धाय महान।।
चाहे हों वो राजपूत मणि, वीर महारानी क्षत्राणी।
राव रतन सिंह की पत्नी जो, थी कहलाई रानी हाड़ी।
देख राव को इतना मोहित, ऐसा खुद पर था धिक्कार।
कर्तव्यों से विमुख देखकर, दिया शीश खुद का उपहार।।
कहता जाऊं अंत न होगी, गाथाओं की ये भरमार।
नमन हमारा राजपूतानी, धरम करम को बारम्बार।
नमन हमारा हे माताओं, करो कृपा कर अब स्वीकार।
कभी न भूलेगी ये वसुधा, आप सभी के वे उपकार।।

©Roopesh Singh Lucky #राजपूत #Rajput
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Roopesh Singh Lucky

गाजर मूली के जैसे जिनको पल भर में काट दिया,
एक रात में जिनकी संपत्ति का बंदर बाट किया
हाय वहशियत, महिलाओं को आरे से कटवा डाला
पुरुषो पर थी चलीं गोलियां, बच्चो को भोंका भाला
क्या कुसूर था उनका पूछो, वे श्रद्धा के सिंधू थे
उनका था अपराध यही कि वे कश्मीरी हिन्दू थे
गूंज रही थी आवाजें कि, बदलो धर्म या मर जाओ
पढ़ लो कलमा या महिलाएं बच्ची छोड़ यहां पर जाओ
पांच लाख कश्मीरी पंडित, अपने घर में बेघर थे
कुछ के पड़े हुए धड़ थे, तो कुछ के कटे हुए सर थे
आज लेखनी लिखकर रोती दरिंदगी के कीड़ों पर
लाशों को भी क्षत विक्षत कर टांग दिया था पेड़ों पर
कांप उठी है आज रूह, निर्ममता के अविचारों पर
हत्याओं पर, निर्दयता पर, कुत्सित अत्याचारों पर
मित्रों ने ही वार किया और पड़ोसी बने कसाई
इंतजार में वर्षों बीते, पर घड़ी न्याय की न आई
काश्मीर में जुल्म हुआ जो, उसका अब इंसाफ करो
सारी कश्मीरी घाटी से, जेहादी कीड़े साफ करो

©Roopesh Singh Lucky #KashmiriFiles
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Roopesh Singh Lucky

क्या यही प्यार है?

कुछ दिन या माह तक प्रेम का ढोंग होता है।
उसके बाद आशिक बिस्तर पर संग सोता है
क्या यही प्यार है......
प्रेम होता बस उसी से जिसकी जेब भारी हो।
कभी उससे नहीं जिसकी गरीबी से यारी हो।
क्या यही प्यार है.......
प्यार करो, वीडियो बनाओ और वायरल करो।
एक से मन भर जाए तो दूसरे की ओर बढ़ो।
क्या यही प्यार है.......
मां बाप की इज्जत पार्कों में नीलाम करते हो।
और फिर भी इसे गुरूर से तुम प्यार कहते हो।
क्या यही प्यार है.......
रोज कपड़ों की तरह यहां आशिक बदलते है।
जन्मों के रिश्ते सिर्फ संग बिस्तर तक चलते हैं।
क्या यही प्यार है.......
किसी को चाहत पैसे की, तो कोई देह चाहता है।
मगर कोई यहां इस दौर में, न सच्चा स्नेह चाहता है।
क्या यही प्यार है.......
क्या यही प्यार है.......

©Roopesh Singh Lucky #ValentineDay
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Roopesh Singh Lucky

Sad quotes in hindi "है कठिन"

है कठिन इस हृदय की इन उलझनों से पार पाना
है कठिन इन अश्रु पूरित चक्षुओं को यूँ छिपाना
है कठिन शूलों के पथ पर मुस्कुराके चलते जाना
है कठिन इन अश्रुओं को भी छुपाकर मुस्कुराना

है कठिन रोते हुए को चुप कराकर यूँ हँसाना
है कठिन सागर की लहरों से उलझकर पार जाना
है कठिन इन शोक जैसे पर्वतों को लाँघ जाना
है कठिन कि शोक मे भी गीत नित ही गुनगुनाना

©Roopesh Singh Lucky #Kathin
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Roopesh Singh Lucky

राधे माखन कुंज गलिन का, 
                                हमको भी खिलवाये दीजो
राधे निर्मल यमुना जल मे, 
                               हमको भी नहलाये दीजो
राधे अपने चरण कमल मे, 
                              बास हमे दिलवाये दीजो
राधे मै तो दास युगल का, 
                                कान्हा से मिलवाये दीजो

©Roopesh Singh Lucky
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Roopesh Singh Lucky

भूल्यो देश धरम भाषा सब, राधे की सरकारी मे
निज उपवन ही भूलि गयो मै, राधे की फुलवारी मे
भूल्यो पंथ संत सब भूल्यो, मै बृषभान दुलारी मे
गेह भी भूल्यो नेह भी भूल्यो, बंसीधर की प्यारी मे

लीन्ह पकरि मै चरण तिहारे, दीजो आज दरस राधे
 खोजत कोमल चरण तिहारे, नयन भी गए तरस राधे
भूल्यो नाम काज सब अपना, राधे नाम की क्यारी मे
भूल्यो देश धरम भाषा सब, राधे की सरकारी मे

बैठत उठत तुम्हहि ही खोजूं, नित ही जपत रटत राधे
लाडली तेरो नाम जपे बिनु, जीवन कैसे कटत राधे
श्री राधे तेरो दास लकी है, अब भी दुनिया दारी मे
भूल्यो देश धर्म भाषा सब, राधे की सरकारी मे

©Roopesh Singh Lucky #radha
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Roopesh Singh Lucky

bharat quotes  तुम भारत के सैनिक वीर, शौर्य युक्त अतुलित गंभीर। 
मातृभूमि के रक्षक धीर, फहरा दो ध्वज सिंधू तीर। 

 वीर उग्र है तेरा खून, राष्ट्र भक्ति ही तेरा जुनून
चाहे दिसंबर हो या जून, हो चाहे रोटी संग नून। 

तन मन धन मे हिंदुस्तान, और हृदय मे इसका ध्यान। 
मुख मे जन गण मन का गान, ये ही है तेरी पहचान।

भारत के तुम वीर अनमोल, आज हृदय की ज्वाला खोल। 
अब शब्दों के वजन न तोल, मुख से भारत की जय बोल। 

कलम हो या फिर हो तलवार, या अग्नि सिंचित उदगार। 
करके धारण करो प्रहार, हो अरि दल मे हाहाकर। 

करो जो तुमको लगे महान, मातृभूमि की रख लो आन। 
ये ही गौरव ये सम्मान, इस पर चाहे जाए प्राण। 

अब न करना इसे निराश, चाहे वीरगति का वास। 
कर शत्रु साहस मे ह्रास, विजय तुम्हारी है विश्वास। 

युगल करों से तुम्हे प्रणाम, पत्र लकी का तेरे नाम। 
चाहे प्रातः हो या शाम, रक्षा करें तुम्हारी राम।

©Roopesh Singh Lucky #IndianArmy #army #Desh #Country #India #hindustan
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Roopesh Singh Lucky

असुरो से निज नाता जोड़, पशुता प्रति ये कैसी होड़
बस मनुष्य का चोला ओढ़, देते मनुष्यता को तोड़
सुन मेरे हृदय मे उठता ज्वार, कैसे करते है बार बार
नव उपवन को करते उजाड़, नव पंखुड़ियों का बलात्कार
जो कर दे स्त्री का शील अंत, उसको मृत्यु दे दे तुरंत

बस रोको अब अश्रु प्रवाह, दुख जनित क्रोध को दे अब राह
रख निज हृदय मे एक ही चाह, दोषी के मुख सुनना आह
सह जाना तेरा बार बार, देता शत्रु को है उभार
बन चंडी अब ले शस्त्र धार, हाँ उठ तू अब कर दे प्रहार
जो करते स्त्री का शील अन्त, उनको मृत्यु दे दे तुरंत

तू सूर्य रश्मि सा कर प्रकाश, कर घोर तिमिर का सर्वनाश
बस अब हो न कोई त्रास, उठ कर असुरों का तू विनाश
मत कर अब क्रंदन चीत्कार, गोविंद बुलाने की पुकार
मत कर निर्बलता को स्वीकार, कर दे दुःशासन का संहार
जो कर दे स्त्री का शील अंत, उसको मृत्यु दे दे तुरंत

©Roopesh Singh Lucky
  #Stoprape #bestrong #Women #girl
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