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amitsharma5421
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Amit Sharma

I write my poems like I sculpt… with bits and pieces…

http://meetpandit.blogspot.in

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Amit Sharma

One of the best!!!

One of the best!!! #Poetry

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Amit Sharma

चलो आज फिर हम गूम हो जाते है, मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! अब अरसा बीत गया है , उन बातो को छेड़े हुए, चलो आज फिर उसी पुरानी दुनिया में खो जाते है!! मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! वो अम्बिया का पेड़, वो बगीचे की ठंडी घास, #Poetry

चलो आज फिर हम गूम हो जाते है, मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! अब अरसा बीत गया है , उन बातो को छेड़े हुए, चलो आज फिर उसी पुरानी दुनिया में खो जाते है!! मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! वो अम्बिया का पेड़, वो बगीचे की ठंडी घास, #Poetry

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Amit Sharma

 ख्याल... ख्याब...नींद...चैन..सुकून......
ये बातें है ना, कुछ सुनी सुनाई लगती है!!!!

मिलता था रोज इनसे , अकेले में...
यूँ लिपट के मेरे साथ रहा करते थे!!

नजर लगी है ज़माने की या फिर मैंने मकान नया ढूंढ लिया है इन्होने!!!

ख्याल... ख्याब...नींद...चैन..सुकून...... ये बातें है ना, कुछ सुनी सुनाई लगती है!!!! मिलता था रोज इनसे , अकेले में... यूँ लिपट के मेरे साथ रहा करते थे!! नजर लगी है ज़माने की या फिर मैंने मकान नया ढूंढ लिया है इन्होने!!! #Poetry

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Amit Sharma

चुपके से हवा चली ये कौन आया, बाजार में खबर है उडी ये कौन आया!! यूँ सदिया पहले छोड़ आए थे उस निसान को दरख़्त तले, आज उन जख्मो को टटोलने ये कौन आया!! #Poetry

चुपके से हवा चली ये कौन आया, बाजार में खबर है उडी ये कौन आया!! यूँ सदिया पहले छोड़ आए थे उस निसान को दरख़्त तले, आज उन जख्मो को टटोलने ये कौन आया!! #Poetry

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Amit Sharma

 सुलगते हुई हालत है मेरे, अब इन्हें यूँ... हवा तो ना दो!
थोड़ा अदब से, थोड़ा सलिखे से...तुम पढ़े लिखे नजर आते हो!

चलो माना तुम्हे कुछ याद नहीं, ना हम याद ना हमारी वो नुक्कड़ की चाय पर हुई मुलाकाते याद...
चलो माना तुम्हे वो पिछली बारिशो में एक साथ भीगे थे वो भी याद नहीं, ना वो सर्दियों में एक साथ लिपटे थे वो भी याद नहीं..

अभी कल ही तो देखा था तुम्हे , वो गली के मोड़ से जाते हुई, हाथ दिखाया था तुमने "Hiiiiiii"  कहके, क्या बताऊ क्या क्या हुआ था..
मै वही था, पर दिमाग ना जाने क्यों कहाँ कहाँ दौड़ गया था!

सुलगते हुई हालत है मेरे, अब इन्हें यूँ... हवा तो ना दो! थोड़ा अदब से, थोड़ा सलिखे से...तुम पढ़े लिखे नजर आते हो! चलो माना तुम्हे कुछ याद नहीं, ना हम याद ना हमारी वो नुक्कड़ की चाय पर हुई मुलाकाते याद... चलो माना तुम्हे वो पिछली बारिशो में एक साथ भीगे थे वो भी याद नहीं, ना वो सर्दियों में एक साथ लिपटे थे वो भी याद नहीं.. अभी कल ही तो देखा था तुम्हे , वो गली के मोड़ से जाते हुई, हाथ दिखाया था तुमने "Hiiiiiii" कहके, क्या बताऊ क्या क्या हुआ था.. मै वही था, पर दिमाग ना जाने क्यों कहाँ कहाँ दौड़ गया था! #Poetry

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Amit Sharma

मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है! मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है!

रात को कोने में अकेले बैठ के रोते हुए देखा है!


सादिया बिता दी उसने, उम्र का कतरा कतरा बहा दिया,

मैंने उस माँ के काले बालो को सफ़ेद होते हुए देखा है!!

मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है! रात को कोने में अकेले बैठ के रोते हुए देखा है! सादिया बिता दी उसने, उम्र का कतरा कतरा बहा दिया, मैंने उस माँ के काले बालो को सफ़ेद होते हुए देखा है!! #Poetry

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Amit Sharma

Ghar
#poetry
#love
#home
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Amit Sharma

Ammi!!!

Ammi!!! #Poetry

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Amit Sharma

Ke aoo kabhi laut ke
#nojoto

Ke aoo kabhi laut ke #Nojoto #Poetry

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Amit Sharma

 अम्मी!!!

लौट न आउ तब तक राह देखती है अम्मी..
खाना खा न लू तब तक जगी रहती है अम्मी...

डुख दर्द से परे परवाह सिर्फ दुसरो की करती है अम्मी...
आग लगे बच्चो को तो खुद जलती है अम्मी...

अम्मी!!! लौट न आउ तब तक राह देखती है अम्मी.. खाना खा न लू तब तक जगी रहती है अम्मी... डुख दर्द से परे परवाह सिर्फ दुसरो की करती है अम्मी... आग लगे बच्चो को तो खुद जलती है अम्मी... #Poetry

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