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amitabhkumar9545
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Amitabh kumar haihayvansi

Logo ki bhavnao ko khud se jod kr dekhta hu aur usse upje nishkarsh se kavita ka nirman krta hu..bs khud k bhitr k insan ko chand line me prsoot krne ki kosis krta hu...🙏🙏♥️

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Amitabh kumar haihayvansi

हां मैं जीत गया
पर तुम्हें भी हारने नहीं दिया 
टटोल रहा था तुम्हें
हर शब्द से अपने
जिसका बड़ी सुलझा हुआ
जवाब दे रहे थे तुम 
बार-बार कोशिश बचने की तुम्हारी
और हर बार मैं तुम्हें 
यह विश्वास दिलाने में लगा रहा 
कि वह जो तुम्हारा भ्रम है 
उस भ्रम से कहीं मजबूत यथार्थ हूं मैं 
हां मैं जीत गया,,,,,
##

अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  हां मैं जीत गया,,

हां मैं जीत गया,,

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Amitabh kumar haihayvansi

#MereKhayal हां मैं एक मर्द हूं

#MereKhayal हां मैं एक मर्द हूं #Poetry

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Amitabh kumar haihayvansi

#Pankhudiyan नन्हीं गुड़िया

#Pankhudiyan नन्हीं गुड़िया #Poetry

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Amitabh kumar haihayvansi

हां मैं बदलने लगा हूं
और खुद में हो रहे उस बदलाव को 
मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं
कितना अलग है यह पल यह अनुभूति
उस पल उस कल से
जहां किसी के भी  सामने मैं
बार बार  शर्म और झिझक के परदे में
छुप जाता था
लोगो की तमाम कोशिशें भी मुझे 
शर्म और संकोच के उस परदे से
बाहर नही आने देती थी
हां मैं बदलने लगा हूं,,,
##

अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  हां मैं बदलने लगा हूं

हां मैं बदलने लगा हूं

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Amitabh kumar haihayvansi

#MereKhayal समझ नही पा रहा

#MereKhayal समझ नही पा रहा #Poetry

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Amitabh kumar haihayvansi

मैंने देखा है उसे 
एक सात्विक सरल और सुंदर स्वरूप में
जिसमे सरलता के साथ आकर्षण है
पर उससे अलग उसे 
उस रूप उस व्यहवार में भी देखा है
जो आज कल के हमारे सोच का अभिन्न हिस्सा है
उसको चंचलता से अधिक उसकी सादगी 
मुझे आकर्षित करती है
और शायद उसके व्यहवार में उसकी बातचीत में
मैंने महसूस किया है उस सादेपन को
जिसमे लोग आज के जमाने के आना नही चाहते,,,,,
##
अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  सादगी और सुंदरता

सादगी और सुंदरता

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Amitabh kumar haihayvansi

#WoRasta मैं और मेरी डायरी

#WoRasta मैं और मेरी डायरी #Poetry

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Amitabh kumar haihayvansi

कितनी झिझक थी मुझमें 
मेरे भीतर के शर्म और संकोच ने
मुझे गुलाम बनाकर रखे था
पर मुझसे अलग तुम
बिल्कुल खुले मन मिजाज़ के
एकदम सहज और सरल ढंग से 
अपनी बात रख रहे थे
वो एक मासूमियत जिसे देखा है मैंने
तुम्हारी तस्वीरों में
वो चमक तुम्हारे चेहरे की
जो तुम्हारे रूप को 
और भी आकर्षक बनाता है
वही जिसका प्रत्यक्ष अनुभव
मुझे तुमसे जुड़कर हो रहा था 
पर शायद उसकी अनुभूति तुम नहीं कर रहे थे
और इसलिए तुममें एक  ठहराव एक गहराई है
अपने विचारों अपने लक्ष्य को लेकर
पर मुझमें शायद अब भी वही भटकाव
वही उलझन है
जो मुझे रुकने ठहरने नही देता,,,
##

अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

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Amitabh kumar haihayvansi

कितना खूबसूरत होता है वो पल
जो हमारे कल्पना  से भी बेहतरीन
उम्मीद से भी ज्यादा अच्छा
और एहसासों से भी ज्यादा करीब लगता है ।
ये आज जिसमे तुम कुछ अलग और विशेष
पलों को खुद में महसूस कर रही
जिसकी कल्पना तुम्हारे सांसों में
भावना के रूप मे अनवरत बना हुआ था
जिसे किसी से जाहिर करना 
बहुत जरूरी न था तुम्हारे लिए 
पर तब भी एक इंतजार जो छुपा रखी थी मन में
उस स्पर्श उस संवेदना की अनुभूति
उस पूर्णता का एहसास 
कितना अलग और खूबसूरत है।
कितना खूबसूरत होता है वो एहसास,,,,,
##

अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  कल से बेहतर आने वाला कल

कल से बेहतर आने वाला कल

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Amitabh kumar haihayvansi

 पूर्वी बयार, ढलते शाम का सूरज और
तुम्हारा साथ
बहुत अच्छा लगता है,,,।
##
अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  तुम्हारा साथ

तुम्हारा साथ

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