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मेरी प्यारी मां

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मेरी प्यारी मां

#आज_सुबह_के_मंगला_आरती_के_दर्शन
#श्री_गिरिराज_धरण_प्रभु_तुम्हरी_शरण_में
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मेरी प्यारी मां

#हर____हर___महादेव 
#शिव
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मेरी प्यारी मां

लोग अपनी गलतियों का दोष दूसरों पर क्यों डालते हैं?

छोटा बच्चा जब कभी किसी 
पत्थर से ठोकर खाकर गिरता है, 
तो उसकी मां उससे यह नहीं कहती है 
कि गलती तुम्हारी थी जो तुम 
देखभाल कर नहीं चले बल्कि कहती है 
यह पत्थर बहुत बुरा है 
जिससे तुम्हें चोट पहुंचाई है।

आओ हम इस पत्थर को पीट दें, 
उस समय बालक उस पत्थर को 
धिक्कार कर अपना दुख भूल जाता है, 
यही बालक जब बड़ा हो जाता है 
तो अपनी ठोकर या विफलता की 
जिम्मेदारी किसी दूसरे के सिर मढ़ने की 
उसकी पुरानी आदत परिपक्व हो जाती है

©मेरी प्यारी मां #गलती 
#दोष
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मेरी प्यारी मां

महाकाल का नाम भोले नाथ को कैसे पड़ा?

भगवान शिव जो कालो के काल महाकाल है।
 उन्हे देवों में सबसे उच्च श्रेणी में बताया गया है। 
वही देवो के देव महादेव भी है।

महादेव इतने भोले है 
की वो अपने भक्तो की सारी गलतियां माफ़ कर देते है 
और उन्हें हर बार सही राह पर चलने का अवसर प्रदान करते है। 
भोले शिव इतने भोले है 
की वो एक बेलपत्र मात्र से ही खुश हो जाते हैं।
वो अकेले ऐसे देव हैं 
जो की सुर–असुर में भेद नहीं करते सबको एक नजर से देखते है। 
जिसकी वजह से देवता के साथ साथ 
असुर भी उन्हें सम्मान और आदर देते हैं।

इन्ही सब कारणों की वजह से महाकाल का नाम भोलेनाथ पड़ा।

क्योंकि वह सबसे भोले और दयावान हैं

©मेरी प्यारी मां 
  #Shiva 
#Shiv
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मेरी प्यारी मां

महादेव की उत्पत्ति कैसे हुई ?

महादेव अजन्मे हैं। 
उनका जन्म नहीं हुआ।
क्योंकि वे काल से परे हैं, 
इसलिए उन्हें 
'महाकाल' भी कहा जाता है। 
वे स्वयं के पिता हैं, 
उनके कोई माता पिता नहीं हैं। 
जब कुछ नहीं था, तब भी वे थे.. 
और जब कुछ नहीं होगा, 
महादेव फिर भी होंगे।

©मेरी प्यारी मां #महादेव
#जन्म
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मेरी प्यारी मां

नंदी के कान में कहने के भी हैं कुछ नियम

नंदी के कान में अपनी मनोकामना 
करते समय इस बात का ध्यान रखें 
कि आपकी कही हुई बात कोई औऱ न सुनें। 
अपनी बात इतनी धीमें कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता ना लगे।
नंदी के कान में अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको ना देखें।
नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें, वरना शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।
नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें और मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें। यह भेंट धन या फलों के रूप में हो सकती है।
अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है लेकिन बाएं कान में कहने को अधिक महत्व है।

©मेरी प्यारी मां #शिव 

#नंदी
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मेरी प्यारी मां

नंदी के कान में कहने का मुख्य कारण

भगवान शिव समाधिस्थ रहते है,और बंद आंखों से सम्पूर्ण जगत का संचालन करने का मुख्य कार्य करते है तो नन्दी उनके लिए चैतन्य रूप का कार्य करते है वो उनकी समाधि के बाहर बैठे रहते है,जिससे उनकी समाधि में विघ्न न हो तो भक्त अपनी मनोकामना या समस्या नंदी जी के कान में कह देते है , माना जाता है उनके कान में कही गयी बात शिवजी को अक्षरशः चली जाती है और उस भक्त की समस्या का समाधान या मनोकामना पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र हो जाती है।

©मेरी प्यारी मां #शिव 

#नंदी
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मेरी प्यारी मां

शिव जी के नंदी जी का परिचय

शिलाद ऋषि के पितरों ने उनसे 
वंश बढ़ाने के लिए कहा, 
शिलाद ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर के एक अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र का वर मांगा।
एक दिन जब शिलाद ऋषि भूमि जोत रहे थे 
तो उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई 
उसका नाम उन्होंने नंदी रखा 
एक दिन ऋषि के आश्रम में 
मित्रा और वरुण नामक मुनि आये 
उन्होने कहा ये पुत्र तो अल्पायु है।
ऋषि बहुत दुखी हुए उन्होने 
नंदी से शिव की आराधना करने को कहा 
तो शिवजी ने उत्तर दिया 
तुम मेरे वरदान से उत्पन्न हुए हो तो 
तुम्हे मृत्यु से कोई भय नही 
अब तुम मेरे प्रिय वाहन होंगे और गणाधीश भी होंगे।

©मेरी प्यारी मां #शिवजी 
#नंदी
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मेरी प्यारी मां

धैर्य!! सभी खो देते पाये आश्चर्य,एश्वर्य और सौन्दर्य!प्रेम उपासना होता हमेशा धैर्य!!प्रेम हमेशा रहे अकेला!कहीं उलझे तो हुए झमेला!!प्रेम नहीं होता ठेलम ठेला!

आश्चर्य से एश्वर्य खोया और सौन्दर्य धकेला!! प्रेम धैर्य से भी नहीं मिला!सच्चाई पड़े हमेशा अकेला!!

झूठी माया भा गया!थोड़ी देर आश्चर्य भी चकमा गया!! 

आश्चर्य,एश्वर्य और सौन्दर्य सब लूट गया!समझो प्रेम हुआ!!ऊपरी माया सिमट गया भीतरी माया पलट गया समझो सच्चा प्रेम हुआ।

©मेरी प्यारी मां #प्रेम 
#Love
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मेरी प्यारी मां

ऊपरी माया लिपट गया भीतरी माया छा गया समझो कच्छा प्रेम हुआ!

प्रेम ढाई अक्षर!समझ से बनायें हमें साक्षर!!
☝️प्रेम है जो प्रकृति के कचरे में भी सौन्दर्य ढूंढ़ लाता!प्रेम बसे फटे हाल में  देख नजरें भी हमेशा एश्वर्य ही बोल पाता!!

प्रेम बिलखते आश्चर्य से कचरे ही क्यों ढूंढ़ता!भले हम पाए प्रतिष्ठा एश्वर्य अपने नजरे सभी प्रेम के लिए ही क्यों खो देता!

जानते हुए प्रेम की प्रेरणा हमें फटे हाल बना देगा!फिर भी हम जैसों कितने प्रेम की पीछा नहीं छोड़ेगा!!प्रेम प्रतिक हैं

 आश्चर्य,एश्वर्य और सौन्दर्य!कभी कचरे से भी प्रेम हो जाय तो हम निभा जाते हैं

 धैर्य!! सभी खो देते पाये आश्चर्य,एश्वर्य और सौन्दर्य!प्रेम उपासना होता हमेशा धैर्य!!प्रेम हमेशा रहे अकेला!कहीं उलझे तो हुए झमेला!!प्रेम नहीं होता ठेलम ठेला!

आश्चर्य से एश्वर्य खोया और सौन्दर्य धकेला!! प्रेम धैर्य से भी नहीं मिला!सच्चाई पड़े हमेशा अकेला!!

झूठी माया भा गया!थोड़ी देर आश्चर्य भी चकमा गया!! 

आश्चर्य,एश्वर्य और सौन्दर्य सब लूट गया!समझो प्रेम हुआ!!ऊपरी माया सिमट गया भीतरी माया पलट गया समझो सच्चा प्रेम हुआ।

©मेरी प्यारी मां #प्रेम 
#Love
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