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akrititiwari6873
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Akriti Tiwari

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Akriti Tiwari

White दहेज प्रथा पर कविता।

कैसा हो गया है ,आज का समाज 
शादी के नाम पर बेटी लेता है, 
और लेकर दहेज बेटे को बेच देता है 
अक्सर कहीं दहेज के लिए 
बहू बेटियों का जलाया जा रहा है। 


इंसानियत की कोई लेख ना रह गई, 
दहेज का , खेल अजीब हो गई 
बड़े-बड़े दिग्गज इसके शिकार हुए, 
पर कोई कुछ ना कर सका। 
इस दहेज के कारण, 
न जाने कितने बहू बिटिया 
 की जिंदगी बर्बाद हो गई 

किसी की बेटी को जलाकर, 
तुम उसे दुख देते हो। 
वक्त है बदल जाएगा,
यह घटना तेरे संग भी घट जाएगा 

दहेज लेना बंद कर दो, 
कहानी दहेज का यहीं ,खत्म कर दो।
जिंदगी मिली है मिली है तो, 
खुशी से तुम जी को। 
अगर लाए हो किसी के बेटी को 
अपना बहू बनकर, 
तो उसे अपनी बेटी बना लो।

अब तो दहेज लेना बंद कर दो। 
अब तो दहेज लेना बंद कर दो 
कहानी दहेज का यहीं खत्म कर दो।

©Akriti Tiwari  प्रेरणादायी कविता हिंदी। कविता कोश

प्रेरणादायी कविता हिंदी। कविता कोश

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Akriti Tiwari

White क्या होता है अपनों के न होने का दर्द?


अपनों के न होने का दर्द बयां करती हूं, 
जिंदगी में एक अच्छा दोस्त ना होने 
 के कारण दर्द बयां करती हूं l
अपनी जिंदगी पूरे मौज में जी रही थी l
कोई रोकने टोकने वाला नहीं था l
इसलिए दर्द और भटकती जा रही थी l


सुबह-सुबह उठकर जल्दी से जा रही थी,
अचानक आवाज आई, पीछे अपना 
जैकेट तो ,ले लो मुझे लगा मेरी 
मां बोल रही हैl किचन से जिसके 
हाथों में सन आता होगा l
क्या पता था? पीछे देखेगी 
तो वहां सिर्फ  सन्नाटा होगाl


जैन की आदत मेरी देर से  रोज देर 
से जगती हूंl सुबह में जागते थे, 
पापा मेरे उन्हीं के यादों में सोती हूं। 
एक दिन आवाज आई अरे जाग जा 
कितनी देर सोएगी तुम्हें वक्त का पता नहीं 
लगा यह आवाज पापा जी  का ही होगा 
मुझे क्या पता था? आंखें खोलकर देखूंगी तो
खुला सिर्फ दरवाजा होगा। 


प्रतिदिन सुबह-सुबह पूजा करके,घंटी बजती थी।
दादी मेरी, एक दिन सुन घंटी की आवाज 
को खुशी से झूम उठी बाहरआकर 
देखी मंदिर सूना पड़ा था।
जो घंटी की आवाज सुनी थी, 
वह तो स्कूल वाला था ।

किस भूलूं किस याद करूं, यही सोच लिए तड़प रही हूं। कभी मन तो कभी, पापा व परिजनों 
 को याद किए जा रहे हूं। किसी से नहीं 
कर सकती अपना दर्द बयां,
इसलिए सभी दर्द छुपा कर चली जा रही हूं।
चली जा रही हूं, चली जा रही हूं।

©Akriti Tiwari परिवार पर कविता । कविता कोश

परिवार पर कविता । कविता कोश

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Akriti Tiwari

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari वृक्ष के ऊपर कविता।  प्रेरणादायी कविता हिंदी

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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Akriti Tiwari

White Work is worship.

©Akriti Tiwari # प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स

# प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स


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