Nojoto: Largest Storytelling Platform
mishraji8594
  • 42Stories
  • 76Followers
  • 371Love
    0Views

mishra ji

#17th august

  • Popular
  • Latest
  • Video
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry वो मेरे खेतों में लहलहाती फसल हो जैसे,
मेरे आंगन में खिले कोई कमल हो जैसे,
वो कुछ कहती है तो दुनिया हसीन लगती है,
मेरे शेरों से बनी कोई ग़ज़ल हो जैसे।
वो जब रूठ जाती है तो सब कुछ रूठ जाता है,
एक दरख़्त जैसे आधे से टूट जाता है,
उसके बाल जब हवाओं में उड़ते नहीं,
एक वक्त बिना जिये ही छूट जाता है।
उसकी खुशबू में हर पल महकता हुआ मैं,
एक बच्चे के मानिंद चहकता हुआ मैं,
एक बोसा जो माथे पर बाहों में मिलता है,
हाय, एक पल में आलिंगन छूट जाता है,

सुबह उठता हूँ,और ख्वाब टूट जाता है।

©mishra ji #OpenPoetry

12 Love

522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry  ये दुनिया के रिश्ते, रिश्ते नही दिखावे हैं,
ये उनकी भोली सूरत ही असल मे छलावे हैं,
ये जमाना,तराना, फ़साना, ठिकाना,
सब आज़ार;मगर शुक्रिया किताबें हैं।
उनके तिलिस्मयी चश्म का बन्दगान मैं,
इधर बाज़ारों में खबर है, बहाने हैं, बहाने हैं,
उनके दीदार-ए-हुस्न की पहली सफ़ में मैं,
उधर कोई कह रहा कि चाँद हैं,तारे हैं।
उनके याद में कितने ख्वाब देखे जाते हैं,
फ़क़त उनकी आँखों को भी तो हमने गिनाने हैं।

©mishra ji #OpenPoetry

12 Love

522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry मैं उसकी आँखों के बिना कोई मंजर नही देखता,
मैं खिड़की खोल के कभी समंदर नहीं देखता,
उसने एक दफा कह दिया तो कह दिया,
अब मैं किसी शख़्स के अंदर नही देखता,
उसका मेरे साथ होना ही एक अजूबा है,
खुदा देने से पहले मुक्कदर नही देखता,
एक सफर जो मेरे हमसफ़र के साथ करना है,
वो कहे तो चलूँ, मैं लश्कर नही देखता,
उसने मुझसे मांगा तो दुनिया उसके क़दमों में,
उसकी मर्जी पाँव पसारे, मैं चद्दर नही देखता।

©mishra ji #OpenPoetry

27 Views

522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry ये महफिल ये मेले और चहकते बाजार,
सब लुफ्त-ए-मय कशी है तुम्हारे लिए,
ये नदियां ये झीलें,किनारे, भंवर,
चांद की चांदनी है तुम्हारे लिए,
ये रातें ये बातें ये गजल और नज़्म,
इन आंखों में नमी है तुम्हारे लिए,
मेरी सांसे थमी है तुम्हारे लिए, 
ये इश्क लाजमी है तुम्हारे लिए,
ये चेहरा ये आंखें ये धड़कन ये दिल,
मेंरी बंदगी है तुम्हारे लिए,
मेरी जिंदगी है तुम्हारे लिए

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry तेरे होठों की खिलती हंसी की कसम 
ये चेहरे की खुशी है तुम्हारे लिए,
ये दुनिया ज़मीं है तुम्हारे लिए,
ये महफिल सजी है तुम्हारे लिए,
ये सहरा ये शबनम ये गुलिस्तां ये गुल,
ये दुनिया बनी है तुम्हारे लिए,
ये पंछी ये भौंरे और ये तितलियां,
ये फूलों की कली है तुम्हारे लिए,
ये सर्दी ये गर्मी ये बारिश ये धूप,
सब दिलकश हसीं है तुम्हारे लिए,
ये सुबहें, ये शामें और अमावस की रात, 
हर तरफ रौशनी है तुम्हारे लिए,

Slide→→

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry मेरी खिड़की पर बैठी वो पहली किरन,
मुंतज़िर है कि अंदर बुलाऊं उसे,
ये अंधेरे जो कभी थे मेरे हमसफर,
बेचैनी है कैसे छुपाऊं इन्हें,
तेरी यादों में डूबा ये गुस्ताख दिल,
मैं चाहूं भी तो कैसे लगाऊं इसे,
एक सदी हो गई है तेरे दर्श को,
तेरी तस्वीर कब तक दिखाऊं इसे,
इन वफाओं की सोहबत में जगा जिंदगी भर,
आ गले से लगा ले तो सुलाऊँ इसे।

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry ख़ाक से उठाकर तुझे चाँद बनाता,
तू मेरा होता तो तुझे ख्वाब बनाता,

नुमायसी ये दुनिया, बनावटी ये लोग,
मैं खुदा होता तो एक हिसाब बनाता,

ये बड़े-छोटे बूढ़े-बच्चे,गोरे-काले प्यारे-अच्छे,
इश्क़ सबका है,बेहिसाब बनाता,

मैंने सोचा था कभी कारोबार का भी,
मैं तेरी आँखों से शराब बनाता।

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry घटाओं से मिलूंगा मैं,वादियों से गिला करूंगा,
तेरे शहर में आऊंगा तो तुझे इख़्तिला करूंगा,

तेरे देश में तकते हुए वो चांद तारे होंगे,
करेंगे शिकायत मेरी, तो क्या मैं करूंगा?

मुनासिब ही नहीं होगा, यहां अब देर तक रुकना,
अच्छा चलता हूं मैं, अब अलविदा कहूंगा।🙏

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry तेरी यादें मेरे अश्कों में नहाई हुई,
लहू कागज पर उतरा तो रौशनाई हुई,
सितारों की तरह चमकी वो मेरे आंख की मोती,
सदियों से जो थी मेरे अब्सारों में दबाई हुई,
इसीलिए तो मैं बचता था दीदार से तेरे,
नजर जब भी मिली तुझसे तो सिर्फ तबाही हुई।

©mishra ji #OpenPoetry
522898e40ab875f16181ef15e1f960be

mishra ji

#OpenPoetry बन्दिश-ए-कायनात में इश्क़ सी जबानत हो तुम,
हर रोज रब से की हुई पहली इनायत हो तुम,
है ये उसकी महर की उसने बक्शा तुम्हे मुझको,
ख़ुदा कसम जैसी भी हो कयामत हो तुम।

©mishra ji #OpenPoetry
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile