जिंदगी की किताब के किसी पन्ने पर वो नहीं है शामिल... पर किताब के किसी लफ्ज़ से होने नहीं दिया है धूमिल ll कभी नजर भर हमने उन्हें देखा ही नहीं पर निगाह से कभी ओझल नहीं होती उनकी तस्वीर निराली है ll कोई ख्वाब उन्हें लेकर हमने सजाए तो नहीं ... पर बड़ी शिद्दत से उनको ख्वाबों में पाया है मैंने ll कभी दीवानगी तो हमने की ही नहीं पर यकीनन दीवानों सा चाहा है उनको ll ख्वाइश नहीं है हमें उनसे कुछ भी पर अपनी ख्वाहिशों में उन्हें ही सजाया है हमने ll
kiran yadav
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