Nojoto: Largest Storytelling Platform
amitkumar2164
  • 51Stories
  • 346Followers
  • 525Love
    361Views

Amit Kumar

  • Popular
  • Latest
  • Video
5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

White हे राम दुबारा मत आना 
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।
सौ करोड़ इन मुर्दों में 
अब बची किसी में जान नहीं।।
भाईचारे के चक्कर में,
बहनों कि इज्जत का भान नहीं।।
इतिहास थक गया रो-रोकर,
अब भगवा का अभिमान नहीं।।
याद इन्हें बस अकबर है,
उस राणा का बलिदान नही।।
हिन्दू भी होने लगे दफन,
अब जलने को शमसान नहीं।।
हिन्दू बँट गया जातियों में,
अब होगा यूँ कल्याण नहीं।।
खतरे में हैं सिंह सावक,
इसका उनको कुछ ध्यान नहीं।
हे राम दुबारा मत आना,
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।
🪷🙏🏻🚩

©Amit Kumar
  #election_results
5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

लड़ते लड़ते शहीद हुए भारत माँ के कुछ लाल,
 अंत समय तक बने रहे भारत माता की ढा़ल, 
अधिकार जताने की साजिश को कुछ ऐसे नाकाम किया, 
घर में आये दुश्मन का वीरो ने काम तमाम किया,
होगा अपना कश्मीर जिसने ये ख्वाब सजाया था, 
मांग रहा था माफी उस दिन वो घुटनों पर आया था, 
शायद उसने सोचा होगा हिंदुस्तानी डर जाएंगे, 
लड़ने की खातिर न कभी वो अपने कदम बढ़ाएंगे, 
मगर हमारे योद्धाओं ने उन्हें ऐसी धूल चटाई, 
कुछ ही दिनों में उनकी अकल ठिकाने आई,
एक बार फिर से हमने दुश्मन को मार भगाया था, 
कारगिल की चोटी पर तिरंगा शान से लहराया था🇨🇮🇨🇮

©Amit Kumar कारगिल विजय दिवस  🇨🇮🇨🇮

#Kargil

कारगिल विजय दिवस 🇨🇮🇨🇮 #Kargil

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

अखबार हूँ मैं, रोज प्रकाशित होता हूँ मैं,
 हर घर का हिस्सा हूँ मैं,
 हर घर में अहम किरदार हूँ मैं, 
अच्छे बुरे की पूरी खबर हूँ मैं,
 कितनों का पेट रोज पालता हूँ मैं,
सुबह के चाय की पहली याद हूँ मैं, 
सुख दुःख बांटने का जरिया हूँ मैं, 
रोज लहू से नहाता हूँ मैं, 
रोज फूलों की तरह खिलता हूँ मैं,
जीवन के सभी रंगों से भरा हूँ मैं, 
मगर रोज काले रंग से सजता हूँ मैं,
अखबार हूँ मैं, रोज प्रकाशित होता हूँ मैं

©Amit Kumar अखबार हूँ मैं ☕☕

अखबार हूँ मैं ☕☕ #Poetry

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

एक दिन कांधे पर बैठाया मिट्टी से दुनिया से मिलाने के लिए,
एक दिन कांधे पर बैठाएंगे दुनिया से मिट्टी में मिलाने के लिए,
किसी का घर-बार बिका शानों - शोहरत सबको दिखाने के लिए,
किसी का सपनों का संसार बिका भर- पेट खाना खिलाने के लिए,
कभी किसी ने घर छोड़ा था अपना अलग संसार बनाने के लिए,
आज कोई घर छोड़ गया अपना उजड़ता संसार बचाने के लिए,
लोग दौड़ रहे हैं आज सबसे आगे अलग जगह पाने के लिए,
 तो कोई रुक गया है आधे रास्ते अपनों के साथ आने के लिए,
आज कोई किसी को गिरा रहा है बार-बार उसे रुलाने के लिए,
 कोई सोच रहा इंसान कभी बना नहीं किसी को झुकाने के लिए

©Amit Kumar जिंदगी का दस्तूर

जिंदगी का दस्तूर #Poetry

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

किसी की बड़ी तो किसी की छोटी है रोटियाँ, 
भूखा सो गया कोई, किसी ने फेकी है रोटियाँ, 
भरा पेट हो तो, किस काम की है ये रोटियाँ,
 समझाया भूख ने, कितने काम की है रोटियाँ, 
रिश्तों ने तो चौके पर, सेकी है रोटियाँ,
 साजिश थी जिसने मौके पर, सेकी थी रोटियाँ, 
घर छोड़ने पर अक्सर मजबूर करती है रोटियाँ, 
बिछड़कर अक्सर याद आती है माँ के हाथों की रोटियाँ,
भूख दौलत की, मिटा सकती नहीं ये रोटियाँ, 
फिर भी दिन-रात पकानी पड़ती है रोटियाँ।

©Amit Kumar रोटी

रोटी #Poetry

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

मिलकर मनाओ होली का त्यौहार ,
मिटाकर सारे शिकवे मलाल, 
एक दूजे को लगाओ रंग गुलाल,
 मिलकर मनाओ होली का त्यौहार,
 रहे न कोई भेदभाव दिल में, 
जात-पात मजहब ना हो, 
एक ही रंग में रंग जाओ सारे, 
ऊंच-नीच का फर्क ना हो, 
निकलो घर से छोड़ो सब काज, 
मिलकर सारे झूमो आज, 
चाहूओर करो रंगों की बौछार,
 मिलकर मनाओ होली का त्यौहार,
 पुआ पूरी दही बड़ा खाओ,
 कोई रूठा हो तो उसे मनाओ, 
चढ़ा दो उस पर फगुआ का खुमार, 
मिलकर मनाओ होली का त्यौहार ☕☕

©Amit Kumar होली

होली #Poetry

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

यह सिर्फ फिल्म नहीं एक कड़वी सच्चाई है कश्मीर की जिसने अलग ही तस्वीर दिखलाई हैं।                                                                      मैं बरसो से कश्मीरी हिंदुओं का राह तके बैठा हूं,उनकी बेबस सिसकियां बाट जोह रही हैं अभी तक,आएगा कोई लौटकर देगा फिर दस्तक़ दरवाजे पर, इन दरवाजे के किनारे से गुजरती, सिंधु, चिनाब, झेलम कितनी ही रूहानी यादों,दर्दों,अश्कों,मुस्कानों को बहाकर समंदर में गवां चुकी हैं,कश्मीर की वह खिड़की अधमरे दरवाजे के ऊपर,रूखी दीवार में टंगी है अभी तक, विराहिणी सी कुछ पुरानी धुँधली, अधजली चीखती, चिल्लाती, बेबस आँखों की,बेबसियों को समेटे हुए,नि:शब्द हो गया मैं इसे देखकर कैसे सब कुछ सह कर आया है ,खैरियत ना पूछो उससे वो मौत से लड़ कर आया है,अपने ही घर से निकाला गया, मारा गया, जलील हुआ खामोश खड़ी थी दुनिया,वो अपनों की लाशें बिना दफनाए आये है,हाल ना पूछो कश्मीरी हिंदुओं से वो कश्मीर में सब कुछ छोड़कर आये है।

©Amit Kumar #KashmiriFiles
5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

नारी शक्ति                                                                                              मैं स्त्री हूँ, मैं नारी हूँ, मैं कली हूँ, मैं फुलवारी हूँ, मैं दर्शन हूँ, मैं दर्पण हूँ, मैं बेटी हूँ, मैं माता हूँ, मैं बलिदानों की गाथा हूँ , मैं श्रीमद् भागवत गीता हूँ। पुरुषों की इस दुनिया ने मुझे कैसी नियति दिखाई, कभी मुझे जुए में हार गए तो कभी अग्नि परीक्षा दिलवाई। खाने में स्वाद नहीं, दिल में कोई जज्बात नहीं, नारी अगर तु साथ नहीं। सर पे प्यार भरा हाथ नहीं, खुशनुमा कोई हालात नहीं, नारी अगर तु साथ नही । मंदिर में जप नहीं, आग में तप नहीं, नारी अगर तु साथ नहीं। बादल में बरसात नहीं, जमीन में उत्पाद नहीं, नारी अगर तु साथ नही। त्योहार नहीं घर-बार नहीं, खुशियों का संसार नहीं, नारी अगर तु साथ नहीं ।दिल नहीं, दिलदार नहीं, किसी पर कोई उपकार नहीं, नारी अगर तु साथ नहीं । अल्फ़ाज बहुत कम हैं ऐ नारी शक्ति, तुझ बिन तो मेरे अल्फ़ाज ही नहीं ।

©Amit Kumar
5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फिकर कहाँ करते हैं, जिसके दिल में बसता हो वतन वह मरने से कहाँ डरते हैं, जो अपनों को पीछे छोड़ सरहद पर जान छिड़कते हैं, पूरे जहान में हम शान से फौजी- ए- वतन कहलाते हैं, तपती धूप हो या हो बर्फीली पहाड़ी हर जगह बेखौफ तैनात हम रहते हैं, करते हैं सामना बेखौफ दुश्मनों का क्योंकि हर दम अपने हमारा हाथ थामे रहते हैं, लगता है कभी डर तो कभी हँसी याद बहुत आती है उनकी फिर भी करके आँखें नम सिर्फ दिल में बसी भारत माँ को हम याद करते हैं, उतारने इस माँ का कर्ज जन्मदात्री से अपनी दूर हम आ गए, इस जन्म उतारकर इसका कर्ज अगले जन्म के लिए हम उसके ऋणी हो गए, तुम क्या जानो दिल हमारा किस कश्मकश में हर पल धड़कता है, जीते हैं अपने वतन के लिए हम, पर दिल हमारा अपनों से मिलने को तरसता है, नहीं पता अगले पल क्या हमारी जिंदगानी होगी, मिल भी पायेंगे कभी अपनों से या अखबार में छपी शहीदों की कहानी में एक कहानी हमारी भी होगी, फिर भी बेपरवाह सरहद पर सीना तान हम खड़े रहते हैं, महफूज रहे देश हमारा, इसके लिए जीवन अपना कुर्बान करते हैं।।

©Amit Kumar फौजी

फौजी

5440ee49b0a69d393c8292dbb597beb9

Amit Kumar

सितारा चलो अपने किए गुनाहों पर आज पर्दा डाल लेते हैं, छोड़ दुनिया की सारी बुराई थोड़ी अच्छाई पाल लेते हैं । सुना है माँ पापा ने बचपन में हमें संभाला था तो चलो फिर बुढ़ापे में हम भी माँ पापा को संभाल लेते हैं।

©Amit Kumar मां पापा।

मां पापा।

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile