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rajendrajakhad5198
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Rajendra Jakhad

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Rajendra Jakhad

तेरी नजाकत के नजारे बड़ी नजाकत से देख रहा मैं..
आज मेरे सामने हाथ फैला रहे वो जिनके आगे था फैला रहा मैं..
अब बड़ी असमंजस सोच में पड रहा मैं..
हिसाब बराबर किया जाये या जैसा था वैसा रहूं मैं..।

©Rajendra Jakhad
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Rajendra Jakhad

दुनिया ने जिसको ठुकराया..
उसने ही करतब दिखलाया..
पग पग पर जिसका अपमान हुआ..
वही हुआ उठ खड़ा,फिर सम्मान हुआ..
जिसने संघर्षो की है ज्वाला झेली..
उसने ही सफलता की शिखर देखी..
खुद की खोज में चलना होगा..
आजाद गगन में उड़ना होगा..
आदर पाना है अगर नदियों सा..
तो घर छोड़ निकालना होगा..!

©Rajendra Jakhad
  #achievement
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Rajendra Jakhad

अंधेरी रातों को रोशन करने वाला चांद हो तुम..
बहती नदियों के प्रवाह को रोकने वाला बांध हो तुम..
और सौंदर्य की ज्वाला नही ज्वार हो तुम..
धीरे धीरे मजबूत होता मन का लगाव हो तुम..

©Rajendra Jakhad
  #umeedein
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Rajendra Jakhad

तेरे कोमल नयन,मखमल रादपुट और देह में कंचन  सी  बात होती..
हृदयग्राही उरोज,मनमोहक कटिभाग,शीतल स्वरों में हरद्याचीर्ण सी धार होती..
उर्वशी भी निज खिजे ,नित जन्नत में भी तेरे नूर की बात होती..
ऐसे सौंदर्य को मैं लिखना चाहूं गजलों में मगर तुम दात नही देती..!

©Rajendra Jakhad

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Rajendra Jakhad

मीत के प्रीत में,मन के अतल घोर घटा घर रही..
दुनियां के शोर में,मन की आवाज भोर, सांज दब रही..
बढ़ रही प्रीत मीत से मगर मीत मिलन में मिलन रीत बाधा हो रही..
बिछड़न में मोहन का हाल तो मोहन जाने,राधा बस रो रही..।

©Rajendra Jakhad

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Rajendra Jakhad

कंचन देह सुनहरी काया तेरा दर्शन मन के अतल में समाया..
रोम रोम ऊर्जा का संचार नया, आभास नया और नया भाव मन को भाया..
तितली सी कोमल,सुनहरे लोचन और अधर मानो जैसे फूल गुलाब..
कामदेव को भी कामरंग में रंग दे बता इतना नूर कन्हा से आया.!

©Rajendra Jakhad
  #Titliyaan
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Rajendra Jakhad

प्रभात कि लाली खिले ज्यों राधा की मुस्कान..

पता पता हर्षाये,हर फूल में आये जान..

राधा भी क्या प्रीत करे,क्या लागे मोहन समान..

श्याम को देखन कब मिले जब राधा ही अनजान..

©Rajendra Jakhad
  #chai
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Rajendra Jakhad

तेरी आन लिखूं या तेरी शान लिखूं..

तेरी अदाये लिखूं या तेरी सादगी लिखूं..

क्या लिखूं ,बता..क्या क्या लिखूं..

तेरी चांद सी चमक लिखूं या सूरज सा तेज लिखूं..

मन की स्थिरता लिखूं या केशो का वेग लिखूं..

तुझे बेनाम लिखूं या तेरा जो नाम है वो लिखूं..

क्या लिखूं, बता..क्या क्या लिखूं..

©Rajendra Jakhad
  #Love

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Rajendra Jakhad

हे आजाद भारत.. अब तेरी बेटियां आजाद होनी चाहिये..
अधरो में दबी मौनता अब जोर जोर से टूटनी चाहिये.
हर हृदय से इंसाफ कि आवाज पुरजोर उठनी चाहिये..
बेटियों पर क्रूरता अब यहीं रूकनी चाहिये..
और जुल्म की आंखें बस अब झुकनी चाहिये..
जिस योनि ने जीवन दिया, जिन स्तनों ने पोषण उनकी कदर तुमको होनी चाहिये..
 जिन कायरो ने छुआ तन को, नामर्दो ने साथ दिया उनकी हस्ती मिटनी चाहिये..
हे आजाद भारत.. अब तेरी बेटियां आजाद होनी चाहिये..

©Rajendra Jakhad #मणिपुर#बेटियां #इंसाफ
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Rajendra Jakhad

चांद सी चमक से चांद को हर्षाये चांद सी मोहिनी..
सौंदर्य संग सादगी से मोहन का मन मोहे मोहिनी..
मंद मंद मुस्काये,कृष्ण को भी ये जताये मन ही मन प्रीत करे मोहिनी..
कृष्ण आय जब बतलाये तो इनकार करे मोहिनी..
सौंदर्य की जलन से उर्वशी को भी जलाये सुंदर देह मोहिनी..
मुख से जब बतलाये मोहन के हृदय समाय मोहिनी..
रोज रोज दिखलाये,कृष्ण को भी ये जताये किसके लिये सौंदर्य श्रृंगार करे मोहिनी..
प्रीत को मान में बांधकर मोहन से निज मीत करे मोहिनी..
कृष्ण आय जब बतलाये तो इंकार करे मोहिनी..!

©Rajendra Jakhad

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