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authorgarimagupt4581
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दुःखीआत्मा

सुबह का वक़्त और कहानी के साथ एक सुकून भरी चाय मिल जाए तो मजा आ जाए 2 oct को पैदा हुई लेकिन मैं शास्त्री जी को मानती हु और अहिंसा मे बिलकुल भी भरोसा नहीं करती।

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दुःखीआत्मा

हेलो फ्रेंड्स

©दुःखीआत्मा
  #boat
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दुःखीआत्मा

निशी बाथरूम से बाहर निकली और ड्रोअर में से दवाइयां ढूंढने लगी।

     अव्यांश जब कमरे में आया तो निशी ने एक नजर अव्यांश को देखा और बोली "सर दर्द की गोली है क्या? बहुत ज्यादा सर दर्द कर रहा है।"

      अव्यांश ने कुछ कहा नहीं, बस उसके सामने टेबल पर गर्म पानी का गिलास और नींबू पटक कर वहां से चला गया।

©दुःखीआत्मा
  #tanha
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दुःखीआत्मा

निशी ने ना में सर हिला दिया और उन टिमटिमाते तारों को देखती रही। अव्यांश ने सीट को थोड़ा और एडजस्ट किया जिससे उन दोनों को ही आराम से लेटने में कोई दिक्कत ना हो। निशी भले ही कुछ ना कह रही हो लेकिन उसके चेहरे पर खुशी और उदासी दोनों झलक रही थी। अव्यांश को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह तो बस यह चाहता था कि वो दोनों अकेले में एक दूसरे से बहुत सारी बातें करें।
कहानी "सुन मेरे हमसफर"
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©दुःखीआत्मा
  #walkingalone
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दुःखीआत्मा

सारांश को कुछ ध्यान आया और उसने पूछा "अंशु कहां है? नजर नहीं आ रहा!"

    काया ने सुहानी को कोहनी मारी और धीरे से कहा "नजर तो निशी भी नहीं आ रही।" चारो लड़कियां मुंह दबाकर हंसने लगी। उन चारों को इस तरह आपस में खुसर फुसर करते देख सिद्धार्थ समझ गया। "छोटे! छोड़ ना उसको! हम लोग चलते हैं। उसको जब आना होगा वो आ जाएगा।"
कहानी "सुन मेरे हमसफर "
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©दुःखीआत्मा
  #boat #love #life #story #lovestory #कहानी
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दुःखीआत्मा

"रात बहुत ज्यादा हो गई अवनी!
 चल कर सो जाओ। दूसरों के बारे में सोच कर 
अपनी नींद खराब करोगी तो तबीयत बिगड़ जाएगी।
 फिर वह लोग देखने नहीं आएंगे जिनको लेकर तुम 
परेशान हो रही हो। हमें बाहर वालों से 
कोई मतलब नहीं होना चाहिए। जल्दी आओ।"
कहानी "सुन मेरे हमसफर "
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©दुःखीआत्मा
  #Remember  #love #story #कहानी #प्रेमकहनी #lovestory
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दुःखीआत्मा

साल में एक नहीं बल्कि 12 संक्रांति होती है। 12 महीने 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर महीने की शुरुवात संक्रांति से होती है। विक्रम संवत के अनुसार मेष संक्रांति जो बैसाख मास के पहले दिन होता है, नव वर्ष मनाते है। उस दिन नेपाल में नया साल होता है। ना सिर्फ नेपाल में, बल्कि उड़ीसा सिंध असम, तमिलनाडु मिथिला में भी नया साल मनाते है और पंजाब में तो इसे ही बैसाखी कहा जाता है।अंग्रेजों के नए साल पर सिर्फ कैलेंडर पर बदलता है, और कुछ नहीं। हमारे नए साल पर मौसम भी बदलते हैं, पेड़ पत्तियां भी नया रूप लेते हैं। प्रकृति और भी ज्यादा सुंदर हो जाती है। सब कुछ बदलता है। तभी तो नया साल होता है।"

©दुःखीआत्मा
  #baisakhi #संस्कृति #Culture
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दुःखीआत्मा

निशी आईने के सामने बैठी बेहद खूबसूरत लग रही थी। अव्यांश का दिल जैसे धड़कना भूल गया। निशी किसी जादू की तरह काम कर रही थी, जिसमें अव्यांश बेसुध होकर उसे देखे जा रहा था। जैसे ही निशी ने नजर उठाई, अव्यांश एकदम से हड़बड़ा गया और दरवाजे के पीछे छुप गया। "अपनी बीवी को इस तरह छुप-छुपकर कौन देखता है? गधा कहीं का!!" अव्यांश ने अपने सर पर मारा और इस ओकवर्ड सिचुएशन से बचने के लिए वह कमरे में घुस गया।
कहानी *सुन मेरे हमसफर "

©दुःखीआत्मा
  #doori  #story #कहानी #प्रेमकहानी #lovestory
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दुःखीआत्मा

बहुत कुछ ऐसा हुआ है जिसके कारण दोनों परिवार का रिश्ता टूटते टूटते बचा है और यह सब कुछ उनकी अपनी बेटी की वजह से। बहुत कुछ ऐसा किया है उन्होंने, जिसकी वजह से ना सिर्फ समर्थ भाई अपनी सगी मां से नफरत करते हैं बल्कि यह लोग भी अपनी बेटी से हर रिश्ता तोड़ चुके हैं। इस वक्त उनकी बेटी कहां है, किसी को कुछ नहीं पता। बस इतना जान लो कि वह औरत बड़े पापा को खुश नहीं देख सकती थी। बाकी की जितनी भी कहानी है वह तुम्हें सब धीरे-धीरे पता चली जाएगी। तुम चिंता मत करो, अब तुम मित्तल परिवार की बहू हो तो उस घर से जुड़े हर राज हर कहानी और हर बीते कल के बारे में तुम्हें जरूर बताया जाएगा।"  निशी ने बस अपनी गर्दन हिला दी।

©दुःखीआत्मा
  #Leave #love #romance #story #कहानी
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दुःखीआत्मा

समर्थ को भी इस सब से कोई मतलब नहीं लेकिन सिद्धार्थ की खुशियों से जलते हुए लावण्या ने जिस तरह सिद्धार्थ की जान लेने की कोशिश की थी, उसके कारण ही समर्थ अपनी ही सगी मां से नफरत करने लगा और उससे जुड़े हर रिश्ते से दूरी बना लिया। जहां तक हो सके उसने उन लोगों को अवॉइड करने की कोशिश की थी।
 फिर भी इतना कुछ होने के बाद और दोनों परिवारों के रिश्ते टूटे नहीं थे आखिर इस सब में उनकी कोई गलती नहीं थी मिस्टर एंड मिसेज चौहान ने तो हमेशा से अपनी बेटी के खिलाफ जाकर सिद्धार्थ का साथ दिया था।
कहानी "सुन मेरे हमसफर"
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©दुःखीआत्मा
  #cycle #love #story #lovestory #fathersonlove #कहानी
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दुःखीआत्मा

" हम यहां अंशु और निशी के लिए आए हैं। शिविका को इस बारे में नहीं पता तो उसे बताने की बजाए आप लोग अलग ही धुन में बांसुरी बजा रहे हो।"

     सिद्धार्थ ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन श्यामा नाराज होते हुए डपट कर बोली "चुप! बिलकुल चुप!! कुछ नहीं बोलेंगे आप।"

     सारांश ने अपने भाई पर हंसने की कोशिश की तो अवनी ने भी उसे बिल्कुल उसी तरह डांटा। दोनों भाई चुपचाप मुंह पर उंगली रखकर शांत बैठ गए।
कहानी "सुन मेरे हमसफर"
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©दुःखीआत्मा
  #cycle #love #story #कहानी #lovestory
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