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triptiraksha3311
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Tripti Raksha

singing, writing, reading books r passion

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Tripti Raksha

#tumhari wafa se shikayat nhi hai#love song

#Tumhari wafa se shikayat nhi hailove song #लव

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Tripti Raksha

**हाय!ये कैसा  भारत देखा* *
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षड्यंत्रों की बलि वेदी पर
आज उजड़ता भारत देखा,
भरी भीड़ में खुली सड़क पर
हाय ! ये कैसा भारत देखा ?

निर्धन निरीह के कंधे पर
लाचारी को बढ़ते देखा,
रोटी के टुकड़े की खातिर
दावानल में जलते देखा।।

दया धर्म सब है जिन्दा पर
बिजली पानी कटते देखा,
आंखों में था भरा समन्दर
अश्कों से प्यास बुझाते देखा।।

नादानों का कहर था इन पर
मौत का खौफ जरा न देखा,
दिशाहीन हो, निरपराध को
नंगे पांव हीं चलते देखा।।

अपनी चक्की, अपना आटा पर
मजदूरों को पिसते देखा,
जिसने घर था दिया बनाकर
आज उसी को बेघर देखा।।

भरी भीड़ में खुली सड़क पर,
हाय ! ये कैसा भारत देखा ?
हाय ! ये कैसा भारत देखा ? #World_Forest_Day
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Tripti Raksha

हाँ, मैं स्त्री हूँ!

हाँ ,मैं  स्त्री हूँ !
तभी तो भूल जाती हूँ ,
बार -बार शब्दों के उन तीक्ष्ण बाणों को, और क्षण भर मौन रहकर समेट लेती हूं,खुद को रसोईघर  के कोने में ।

हाँ ,हूँ मैं स्त्री !
तभी तो साथ देती हूं हर बार,
तुम्हारे घर से निकाल देने की बात पर भी, आमंत्रण देती  हूं साथ निभाने का  हर सुख-दुख में, क्योंकि मेरा अस्तित्व है ज़िन्दा, तुम्हारे साथ होने में ।

हूँ मैं स्त्री!
इतनी संवेदना तो है,कि भूल जाती हूं ,
कैसे छलते रहे हर-बार तुम मुझे और मैं मुस्कुरा कर माफ कर देती हूं,
डर है मुझे तुम्हारा प्यार खोने में।

हाँ, मैं वही स्त्री हूँ!
जो हर पल इक आस‌ में जीती है ,सुनहरे सपने सजाती है
जिसे पूरा होने के पहले हीं ,
तुम तोड़ देते हो और बुनते हो इक मकड़जाल 
अपने झूठे रसूख को बचाने में ।

हाँ ,मैं  स्त्री हूँ !
जिसे परवाह नहीं अपने हाथों के छालों की,
वो तो बस तुम्हारे मुस्कान की प्रतीक्षा में है ,
पर कहां समझ पाते हो कि ये छोटी सी फरमाइश भी पूरी होती है, तुम्हारे साथ -साथ 
हँसने और रोने में।

हाँ मैं स्त्री हूँ
जो ढेर सारा जहर पीकर भी,
सोलह श्रृंगार कर इंतजार करती है
पर हाय! ये आखिरी ख्वाहिश भी तुम भूल जाते हो,
जिसे मैं ज़िन्दा रखती हूँ,
गले में मंगलसूत्र के होने में।
क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ ।
तुम हो, तो मैं ज़िन्दा हूँ ।।


तृप्ति रक्षा
सिवान बिहार #international_womens_day


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