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nihalkumar9521
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dineshwar dinesh

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dineshwar dinesh

सुना था कि -

गिरगिट रंग बदलता है,

तजुर्बा कहता है कि-

आदमी से जरा कम।



दिनेश्वर दिनेश

7 Love

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dineshwar dinesh

हर  रिश्ता पूरी  ईमानदारी से  निभाती है वो,
 पर बदकिस्मत हर कदम ठोकर खाती है वो।

अपने लिए उसे कहां कुछ चाहिए-
अपनों के लिए आँचल फैलाती है वो।

कभी शौहर,कभी बेटा, कभी भाई के लिए-
 पीर-पैगम्बर के मजार पे चादर चढ़ाती है वो।

पर शौहर हो कि बेटा ,किसीने नहीं बख्शा-
सबके हाथों दर्द ही पाती है वो।

महबूब की तो बात मत ही पूछिये-
बार-बार उससे छली जाती है वो।

कभी फूल तो कभी नाजुक कली समझकर-
शैतानों के हाथों मसली जाती है वो।

उसके भी कुछ अरमां, उसके भी कुछ ख्वाब हैं-
पर जब भी जताती है-दुत्कारी जाती है वो।

घर की दहलीज लांघने की कोशिश पर-
हरबार डांट-डपट और मार खाती है वो।

अपनों से लेकर गैरों तक जो सताई  गई है-
जहां में बेचारी औरत कहलाती है वो।

दिनेश्वर दिनेश #MereKhayaal
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dineshwar dinesh

छोटी-सी है ये जिंदगानी,

यत्न कीजिये-

लम्बी हो इसकी कहानी।



दिनेश्वर दिनेश #TakeMeToTheMoon
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dineshwar dinesh

रोकिये मत उसके हौसलों को,उड़ान दीजिये
निर्भय उड़े वो उसे उन्मुक्त आसमान दीजिये।

कई  होनहारों  को अवसर  की तलाश  है
गुमनाम हैं वो बनाने उन्हें पहचान दीजिये।

रौशनी से चुंधियाते शहर बहुत आगे निकल गए
जरा अंधेरों से लिपटे गांवों पर भी ध्यान दीजिए।

हर  तरफ  भूख-गरीबी  है,बेरोजगारी-लाचारी  है
लोग करना चाहते हैं,उनके हाथों को काम दीजिये।

कोई भूख से बिलख रहा,कोई चीख रहा जुल्म से
बेखबर मत रह मेरे खुदा, जरा उनपर कान दीजिये।

कांटे चमन की अमनो-अमन बिगाड़ रहे हैं
सहमी कलियों के होठों पे मुस्कान दीजिये।

वो रोज बनायेगा इक नया कीर्तिमान
जरूरी है उसके काम को आप सम्मान दीजिये।

दिनेश्वर दिनेश #fourlinepoetry
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dineshwar dinesh

प्रातः वन्दन

7 Love

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dineshwar dinesh

सौ बेईमानों के बीच एक ईमानदार पीस जाता है,

सौ गुनहगारों के बीच एक मददगार पीट जाता है,

आप मानें कि न मानें पर सच है ये कि 

सौ  गद्दारों  के बीच एक  खुद्दार  मिट जाता है।


दिनेश्वर दिनेश

8 Love

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dineshwar dinesh

बाप  को समझने  के लिए  बाप बनना  पड़ता है 
अपना दर्द भूल औलाद का दर्द समझना पड़ता है


धूप में तपना पड़ता है-आग में जलना पड़ता है,
अपना गम भूला बच्चों  के संग हंसना पड़ता है।



साल में यह एक दिन की औपचारिकता क्यों?
माता-पिता को प्रत्येक दिन प्रत्येक क्षण सम्मान दीजिये।

दिनेश्वर दिनेश #FathersDay
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dineshwar dinesh

कांटा चुभ   जाए तो   मैं आह नहीं करता,
जख्मों की   मैं कभी  परवाह    नहीं करता,
जलाना खूं-बहाना पसीना   फितरत है मेरी
मुफ्त में मैं किसी चीज की चाह नहीं करता।

मैं   कामयाबी के खातिर कभी गुनाह नहीं करता,
अपने खातिर किसी की खुशियां तबाह नहीं करता,
मेरे  हिस्से   का उजाला मुझे   मिल   ही   जायेगा
किसी     के  उजाले  से    मैं डाह  नहीं     करता।

मैं कभी   भी किसी को    गुमराह नहीं करता,
झूठ-मुठ   किसी   की वाह -वाह नहीं   करता,
मुफलिसी में भी बचा कर रखा है अपना ईमान
कभी भी   अपनी नियत   मैं स्याह  नहीं करता।

खुश करने खातिर मैं झूठा वादा नहीं करता,
रिश्तों    में मैं   कभी   दगा    नहीं    करता
मैं रोज इबादत करता हूँ परवर दिगार की
पर गलत मंसूबों से कभी दुआ  नहीं करता।

दिनेश्वर दिनेश #Trees

7 Love

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dineshwar dinesh

दीजिए हाथ में हाथ आपका हाथ चाहिए-
कदम से कदम मिलाईये आपका साथ चाहिए।

मुझे नहीं आंसुओं की बरसात चाहिए-
मूझे तो हौसलों भरा जिगर का साथ चाहिए।

भीरु और बुजदिलों की नहीं बारात चाहिए-
बेखौफ अंगारों पे चलने वालों का साथ चाहिए।

मुफ़्त में हमदर्दी न ख़ैरात चाहिए-
छीन ले अपना हक मर्दों वाली वह बात चाहिए।

वास्ते -फतह इरादा औऱ विश्वास चाहिए-
मुझे नहीं  कोई  खुदाई  करामात  चाहिए।

दिनेश्वर दिनेश #कारवां
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dineshwar dinesh

तू खोल अपना पंख-तेरे अरमान में दम है
तू छू लेगा  आसमान-तेरे उड़ान में दम है।

ये मुश्किलें-ये रुकावटें तुझे रोक न पाएंगी
तू समंदर लेगा लांघ-तेरे छलांग में दम है।

तू मुंह अपना खोल-बेखौफ होकर बोल
लोग  बनेंगे  मुरीद-तेरे जुबान में दम है।

इक दिन बेईमान भी  तुझे करेगा सलाम
तू नेकी पर चलता रह-तेरे ईमान में दम है।

तेरा जुनून-तेरा अज़्म इक दिन लाएगा रंग
तू जरूर पायेगा मुकाम-तेरे काम में दम है।

तू  गम   न  कोई  कर-तू  वहम  न कोई  कर
गैर भी बन जाएंगे अपने-तेरे मुस्कान में दम है।

ऐ जाबांज हौसलामंद-तेरा जज्बा कभी न हो कम
तू  जीतेगा हर  कदम-तेरे आन -बान में  दम है।
                                  अज़्म=संकल्प
दिनेश्वर दिनेश

7 Love

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