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asakshi4238
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A.Sakshi

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A.Sakshi

वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि  
आज साढ़े तीन साल चार दिन हो गए 
बिलकुल घड़ी की सुई इतना वक्त missing u

missing u

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A.Sakshi

बहुत नाजुक है ये दिल 
इसे तोड़ना नहीं..
टूटी तो हूँ ही मै,बस 
इसे बिखेरना नहीं..

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A.Sakshi

मैंने ये ख्वाब जो दिल मे बसाये रखा है 
तेरे अपने होने का अहसास दबाये रखा है 
इक बार मे तोड़ दो इस उम्मीद को मेरे, 
हर वक़्त जो तुमसे जोड़े रखा है. 
जाने कब आओगे दिल मे झाँकने, 
इसलिए रात भर दरवाजा खुला रखा है. 
कहाँ जायेंगे इन बाँहो से निकल कर, 
खुद को पराई बाँहो मे छिपाये रखा है. 
कई बार ये आँखे भर आई है, 
हर बार बेबाक हसीं होठों पर सजाये रखा है.
क्यूँ इम्तिहान लिये जा रहे है, 
अब, अपनी धड़कन को सिने में छुपाये रखा है.

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A.Sakshi

उन अपने से दूर कैसे हो 
जिन्हे हम कॉल मैसेज करते है 
वो जवाब मे एक hii या hmm नहीं दे पाते 
फिर 
अगले दिन उनके कॉल आने पर 
हम हसते हुये
घंटे बाते किया करते है

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A.Sakshi

मोहब्बत है क्या चीज़ कभी हक से चुप-चाप हमारे पास चली आती है 
हमें हँसाती है आसमान मे उड़ने की चाहत जगाती है 
अपनेपन का अहसास दिलाती है 
फिर एक दिन बिन शहनाई ब्याह ले जाती है हमे हमसे चुरा कर हमारे दिल मे घर बनाती है 
और इक दिन खुद से ही जुदा कर देती है 
ना अपना बनाती है न खुद का होने देती है 
इस जिंदगी के रेगिस्तान मे बिना मंजिल के 
भटकने के लिये छोड़ जाती है 
और कहती है 
"तुम प्यार नहीं दोस्त हो " ❤️💓💗💞💕💔

❤️💓💗💞💕💔

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A.Sakshi

उन खाली पन्ने का हिसाब क्या दोगे
" कहा थे " इस बात का जवाब क्या दोगे 
तुमने खामोश किया है मेरे सवालों को 
जो तुम्हारी आँखे पढ़ लेती हूँ मै 
तो 
सिर झुका कर सफाई क्या दोगे...

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A.Sakshi

ना जाने यह किसी की नजदीक आने की आहट से कौहतुल  है 
या 
फिर अकेलेपन में 
खुद की आवाज से चौकान्ना

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A.Sakshi

पथरीले रास्ते पर सफर की शुरुआत उन्होंने की और चलना मुझे था.... 
चंद छाव की घड़ी थी वो जब चाहत की सड़क पर निकले थे 
उन पथरीले रास्ते पर, 
इक रोज पत्थर चुभा और आह निकल गई
याद है हमें फिर भी मुस्कुराया था मैंने 
और तुम्हे देख कर फिर से चलना  शुरू किया 
अब पाँव जख्मो से भरे है 
पर उस छोड़ पर तुम नजर आते हो 
और फिर दौर पड़ती हु 
इन पथरीले रास्ते पर !!

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A.Sakshi

पुरानी  यादें आज भी, मुझ से पूछती है "आप कैसी है "
मुझे गले से लगाती है 
फिर आँखो में झाँकती है जैसे कोई जवाब ढूढ़ रही हो 
और पलके झुक जाती मेरी मानो मैंने सब कह दिया हो 
और फिर बड़े कस कर गले लग जाती 
उन पुरानी यादो के #puraniyaadein
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A.Sakshi

आपको किस बात का गुरुर है, 
मेरी बेपनाह मोहब्बत का 
या 
खुद बेवफा कहलाने का

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