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kaviadityashukla9731
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Kavi Aditya Shukla

मैं एहसासों को ज़ुबान देता हूं 💭 सभ्यता, शालीनता, स्वाभिमान शिवाजी तनय :-आदित्य जनेऊधारी 🕉️ Poet🎙️, Ferroequinologist🚆,Parnassian💭 07/07 अपनी ताईद पे ख़ुद अक़्ल भी हैरान हुई दिल ने ऐसे मिरे ख़्वाबों की हिमायत की है। IG- @aditya.shukla.__

https://www.instagram.com/kavita.vritant._?igsh=MTBrMjlyZ3p6NWdxYw==

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Kavi Aditya Shukla

Google इतिहास मेरे प्रति विनम्र रहेगा, 
मीडिया से अधिक....

I honestly believe that history will be kinder to me than the contemporary media.
:-Dr. Manmohan Singh

गोल्ड पहनने वाली गोल्डन राजनीति के इस जंग लगे कैपेटलिस्ट दौर में अपना गोल्ड मेडलिस्ट राजनेता खोना निश्चित रूप से अपूरणीय क्षति है।

पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय डॉ मनमोहन सिंह जी को
 विनम्र श्रद्धांजलि

©Kavi Aditya Shukla #Manmohan_Singh_Dies
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Kavi Aditya Shukla

Unsplash पंडित मदन मोहन मालवीय

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White मैं जो अब्र को भी बंद खींच लेता था 
मैं जो मिट्टी को भी मिट्टी भींच लेता था
मैं जो फ़ज़ायों पर करता था सफ़र 
मैं जो दरिया को भी रवानी से सींच देता था
कि अब मुझको क्यों नहीं कुछ आईने दिखता 
एक आदित्य तो था जो कहीं है खो गया

©Kavi Aditya Shukla #GoodMorning #Like #follow  #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

पंचगंगा घाट काशी

©Kavi Aditya Shukla
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Kavi Aditya Shukla

White जानता हूँ टूट कर बिखरने का दर्द 'आदित्य' मैंने देखा है लहरों को क़रीब से

©Kavi Aditya Shukla #Like #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White बाहर झांक के देखूँ तो दिखता है
यही मुझ जैसे और भी हैं
ख़ुद में क़ैद कई

©Kavi Aditya Shukla #Like #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं 
मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं 
मैं हवा के झोकों तले बह रहा ,
मैं दरिया के पागल भंवर में हूं,
मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में ,
मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like #Comment
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Kavi Aditya Shukla

White एक नींद जो मयस्सर नहीं 
 एक ख़्वाब जो बदलता नहीं 
एक रात ढल रही है कबसे
एक सवेरा जो होता नहीं 
एक मैं जो जुनूं की कैद में हूं
एक वो जिसे फर्क पड़ता नहीं...

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like #follow
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Kavi Aditya Shukla

White यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ । समदुःखसुखं धीरं सोऽ मृतत्वाय कल्पते ॥

©Kavi Aditya Shukla #Krishna
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Kavi Aditya Shukla

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