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shahidkhanshahid2223
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Shahid Khan (Shahid)

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Shahid Khan (Shahid)

Sycophant thinks that he is smart , but sadly he is not.

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Shahid Khan (Shahid)

शक्ति अगर माध्यम हो तो सृजन होता है
शक्ति जिसके लिए लक्ष्य वो दुर्जन होता है

विनाश से भय नहीं होना चाहिए तुम्हे कि 
विनाश के बाद ही नवजीवन उत्पन्न होता है
 
धन संपदा संचय करते करते सब भूल गए
मिल जाए प्रसन्नता तो जीवन संपन होता है

यतार्थ से न विमुख होजाओ की यही सत्य है
अभिलाषा की उडान केवल  एक स्वप्न होता है

शंखनाद होचुका अब युद्ध को टालना असंभव है
 डर से देखी विरोधियों के हृदय  में कंपन्न होता है

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Shahid Khan (Shahid)

If power is used as a means , it's used for construction. However if power is the goal, it brings destruction.

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Shahid Khan (Shahid)

उम्मीद नहीं थी फिर होगी उनसे बात हमारी 
ख्वाब उनके ही देख के कटी हर रात हमारी

हैरानी यह की वो भी भूले नहीं है अभी तक 
मोहब्बत में जाने कुछ तो थी करामात हमारी 

बांट ही तो लिए थे हमने गम और खुशी देखो
रोशन दिन तुमने लिए ,  बनी बरसात हमारी

कुछ आंसू मेरे नाम के भी तो होंगे न हजूर
जब दरवाजे पे आ चुकी होगी बारात तुम्हारी

तुमने तो दुनिया भर पा ली हमसे दूर रहकर 
शुरू तुमसे , खत्म तुमपे बस कायनात हमारी

रब के फैसलों से लड़ना छोड़ चुका है शाहिद 
पर रब से भी बस करता रहता है बात तुम्हारी

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Shahid Khan (Shahid)

फासले बरसो के पल में गुम हो गए 
जाने कब और कैसे आप तुम हो गए

ऐसे न जाने कितनी बाते करते रहते है
किसी को देख कर हम गुमसुम हो गए

उनकी याद क्यों आती रहती है मुझे यू
हम जाने कब गुलाम वो हुकुम हो गए 

शेर लिखने का सलीका कहां था हमे
बेसुरे मेरे सारे गीत कब तरानुम हो गए

शाहिद भी जानता है इश्क करना मगर
उसकी रुसवाई के डर से बस गुम हो गए

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Shahid Khan (Shahid)

कौन मरा जीया है कौन कातिल किसको कहते हो
जालिम बुन रहा साज़िश और तुम चैन से सोते हो

न हिंदू हो न मुसलमां हो न सिख हो न ईसाई हो
मकाम ऊंचा दिया रब ने कि तुम इंसान होते हो

यहां कातिल तो कत्ल करते है अपने होश में लेकिन 
तुम्हे हुआ है क्या तुम क्यों अपने होश खोते हो

जैसी है रेयाया वैसा ही तो राजा होता है 
अपने पांव पर मारी कुल्हाड़ी अब क्यों रोते हो
 
जमीर अपना तो पहले ही मर चुका शाहिद 
अब यह जिस्म तो है एक लाश जिसे तुम ढोते हो

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Shahid Khan (Shahid)

तेरी याद में हमने क्या क्या हैं किया
दर्द को घोल के महखाने में हैं पिया 

इक उम्र लगी है पास तुम्हे लाने में
एक लम्हे में क्यों तूने जुदा है किया

सुना है तू किसी और की महफिल है
देख जा जो गुलिस्तान वीरान है किया

मेरे पास बहुत किस्से है सुनाने के लिए
बस रब ने मुझे वख्त बहुत कम है दिया

तेरे बारे में क्यों सोचू में तू कौन है शाहिद
हर बार तूने बस मुझे सिर्फ ज़हर है दिया

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Shahid Khan (Shahid)

देखता हु शहर को में दूर से
घूमते है यहां लोग मजबूर से
खाक से उड़ रहे है हवाओ में
फिर भी देखो है कितने मगरुर से

ना ही सोते है ये न ही है जागते
बद हवासो की तरह है  भागते
अपनी ही फिक्र है अपनी ही है लगन
जाने कितने नशों में है चूर से
           देखता हु........

हसीं भी यहां है जवा भी यहां है
मगर चैन तो  न जाने कहा है
गुमनाम भी है और बदनाम भी है
बस थोड़े ही है जो है मशहूर से
            देखता हु.........

भीड़ ही भीड़ है फिर भी तन्हा यहां है
बेबसों का तो देखो  इक कारवां है
चमकती है गलियां दमकते है गुलशन
गर मेहरूम तो रब बस तेरे नूर से
             देखता हु.......

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Shahid Khan (Shahid)

इश्क दिल में कुछ जागता ही नही
याद से भी वो कुछ भागता ही नही

भूल गए मुझे या खत नही पहुंचा
बहुत दिनों से कुछ राबता ही नही

कुछ ठीक सा नही लगता अब यहां
जैसे दुनिया से कुछ वास्ता ही नही

चारों तरफ से आवाज़ें आती है मुझे
जाने के लिए पर कुछ रास्ता ही नही

मैरी शिकस्त के कई किस्से आम है
पर ना जाने में कुछ हारता ही नही

अश्क रोका न गया बह गया शाहिद
दिल का दर्द है कुछ मानता ही नहीं

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Shahid Khan (Shahid)

उसने जाने से पहले सोचा नही
दिल तोड़ने से पहले सोचा नही

आवाज़ उसकी गुम थी शायद
या किसी ने कुछ भी पूछा नही

कामयाबी कितनी खोकली है
ये पहले कभी ऐसा सोचा नही

गुज़री जो तू ही जानता होगा 
किसी ने तेरे दर्द को पूछा नही

नींद में चैन से सोगया शाहिद 
उसने मौत से पहले सोचा नही

Dedicated to sushant Singh Rajput
RIP

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