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कवि समीर शान्डिल्य
sam
कवि समीर शान्डिल्य
कवि समीर शान्डिल्य
कवि समीर शान्डिल्य
hiiii
कवि समीर शान्डिल्य
इस होली पर इतना मलाल रह गया
तेरे गाल रह गए कोरे कोरे ....और मेरे हाथो में गुलाल रह गया !!
कवि समीर शान्डिल्य
तुम बिन जिऊँ जितने भी दिन; हर दिन वो अधूरा लगता है।
अगर चाँदनी मिट जाये तो चाँद अधूरा लगता है।
एक तुम्हारा साथ ना होना सब खुशियों पर भारी है;
ग्वालिन,गाईयां,गोकुल कान्हा तुम बिन अधूरा लगता है। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻समीर तिवारी (5)