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abhishekranjan5225
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ABHISHEK RANJAN

भगवान के भरोसे मत रहो

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ABHISHEK RANJAN

#CheerfulMusic
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ABHISHEK RANJAN

"दैनिक जीवन"
व्यस्त सी हो गयी हैं, जिंदगी
सुबह से शाम बस काम ही काम
दिन कि शुरुआत चाय के साथ
और रात्रि, भोजन के बाद मिलता हैं आराम !
सोचता हु दैनिक क्रियाकलाप मे कुछ बदलाव करू
पढ़ना-लिखना साथ करू व्यायाम
सुबह से शाम ,बस काम ही काम!!
आनंद लेना और मस्ती करना, छुट्टी के दिनो मे ही आता ध्यान!
साथी और दोस्तों को बहुत करता परेशान !
मोबाइल पर बाते और यूट्यूब पर वीडियो देखकर ही मिलता है चैन।!
सुबह से शाम, बस काम ही काम !!
भारतीय क्रिकेट टीम का खेल और विश्व कप का मैदान !
रोहित की बैटिंग ,और विराट की शान ,देखकर ही मिलता कुछ ज्ञान!
मिलती है खुशी जब हरता है पाकिस्तान।
सुबह से शाम बस काम ही काम।।
कोई मुझे अच्छा बोले और कोई बुरा बोले।
इन सब बातों पर मैं नही देता ध्यान। कई लोग कहते हैं महान,
क्योंकि मेरी यही है पहचान
सुबह से शाम बस काम ही काम ।।

©ABHISHEK RANJAN #chai
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ABHISHEK RANJAN

#BelieversTalk
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ABHISHEK RANJAN

" कामयाबी "
असंभव कुछ भी नही,सपने बड़े होने चाहिए।
कठिनाइयों से घबराना, पिछे की परिणाम को दर्शाता हैं ।।
आशाएं और उम्मीदें रखना ही सच्चे कर्मों की सकारात्मक रूप है।
असंभव कुछ भी नही, सपने बड़े होने चाहिए  !!
बार-बार विफल होना,सफलताओं को प्राप्त करने में हिम्मत देता है।
मंजिल कोई भी हो, हासिल करना आसान नहीं।
रणनीति के साथ,सच्चे लगन और धैर्य ही उम्मीद जगाती हैं।
खुद से की गई परिश्रम ही, हालात बदलने में मदद करती है।
असंभव कुछ भी नही,सपने बड़े होने चाहिए।
आशाएं और उम्मीदें रखना ही सच्चे कर्मों की सकारात्मक रूप है।
असंभव कुछ भी नही, सपने बड़े होने चाहिए !! 
हौंसले और हिम्मत आत्मसम्मान की गति को बढ़ावा देता है।
संघर्ष जितनी बड़ी होंगी, कामयाबी उतनी ही बड़ी होगी।
विश्वास के साथ मेहनत,ज्ञान के भंडार को खोल सकते है।।
असंभव कुछ भी नही,सपने बड़े होने चाहिए!!
आशाएं और उम्मीदें रखना ही सच्चे कर्मों की सकारात्मक रूप है।
असंभव कुछ भी नही,सपने बड़े होने चाहिए!! 
BY :ABHISHEK RANJAN
DATE: 19.10 2023

©ABHISHEK RANJAN #agni
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ABHISHEK RANJAN

#CheerfulLove
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ABHISHEK RANJAN

“ सफर “
हौसले बुलंद रख, सबर कर आगे बढ़  ।
रस्तें कठिन है, हिम्मत से सफर कर  !!
सत्य की पहचान हो, सामने चट्टान हो..!
खुद में विश्वास रख,निडर तुम आगे बढ़ !
रस्तें कठिन है, हिम्मत से सफर कर ।।
अंजान है, डगर तेरा मुश्किलें है सफर तेरा।
तपती धूप  की किरण हो, चाहे रेत  का मैदान हो..!
आंधियों की दहाड में, वर्षा  के झंकार में।
रस्तें कठिन है,हिम्मत से सफर कर ।।
अनदेखा समुंद्र में, जीवन रूपी नावों  में ।
मंजिलों की तलाश है, खुद पर विश्वास  है...!!
निडर हूं संसार में, दुश्मनों  को ललकार कर।।
रस्तें कठिन है, हिम्मत से सफर कर ।।
सच्चाई है, मार्गों में उम्मीद रख आगे बढ़ ।
धर्म के इन राहों में पथिक तुम सबर कर ।।
अनंत रूपी राहों में लक्ष्य की पहचान कर ।
रस्तें कठिन है,हिम्मत से सफर कर ।।

Date -29.09.2023

©ABHISHEK RANJAN #Photography
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ABHISHEK RANJAN

#LoveOnline
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ABHISHEK RANJAN

" व्यक्तित्व "
जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                      खामोशियां मेरी मजबूरी नहीं,व्यक्तित्व हैं मेरी।।                                                                                                                        कुछ लम्हों में अजीब सी दस्ता हमारी है।                                                                                                                                    हंसना और खिलना,आदत नही अंदाज बया करता।                                                                                                                                जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                आक्रोशित और क्रोधित कमजोरी हैं मेरी।                                                                                                                                         हर वक्त शालींता रहना आदत नही व्यक्तित्व  हैं मेरी।                                                                                                                जो बोल दिया बस सुन लिए, गुणवत्ता  का परिचय देता।                                                                                                     जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                            बहोत  साहसी  हु ,ये में नहीं कहता, औरों से सुना करता।                                                                                                       हर दिलों में राज करू शोभा नही देता।                                                                                                                                  कुछ सुनकर जल्दी बोल दिए,अंदर की वाणी को ।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                      अपनी कमजोरी की कहानी को परोसे नही जाते।                                                                                                                 कुदरत के करिश्में को मैं बदल नही सकता ।                                                                                                                         संभावनाओं को सुलभ करू सच्चाई हमारी है।                                                                                                                            जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                              दिन हो या रात मैदान में लड़ाई सबकी है।                                                                                                             कुदरत से कोई बचा नही,ये संसार  बयां करती।                                                                                                                       हाथों की लकीरें को कोई मिटा नही सकता।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।

©ABHISHEK RANJAN #phool
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ABHISHEK RANJAN

व्यक्तित्व
जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                      खामोशियां मेरी मजबूरी नहीं,व्यक्तित्व हैं मेरी।।                                                                                                                        कुछ लम्हों में अजीब सी दस्ता हमारी है।                                                                                                                                    हंसना और खिलना,आदत नही अंदाज बया करता।                                                                                                                                जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                आक्रोशित और क्रोधित कमजोरी हैं मेरी।                                                                                                                                         हर वक्त शालींता रहना आदत नही व्यक्तित्व  हैं मेरी।                                                                                                                जो बोल दिया बस सुन लिए, गुणवत्ता  का परिचय देता।                                                                                                     जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                            बहोत  साहसी  हु ,ये में नहीं कहता, औरों से सुना करता।                                                                                                       हर दिलों में राज करू शोभा नही देता।                                                                                                                                  कुछ सुनकर जल्दी बोल दिए,अंदर की वाणी को ।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                      अपनी कमजोरी की कहानी को परोसे नही जाते।                                                                                                                 कुदरत के करिश्में को मैं बदल नही सकता ।                                                                                                                         संभावनाओं को सुलभ करू सच्चाई हमारी है।                                                                                                                            जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                              दिन हो या रात मैदान में लड़ाई सबकी है।                                                                                                             कुदरत से कोई बचा नही,ये संसार  बयां करती।                                                                                                                       हाथों की लकीरें को कोई मिटा नही सकता।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।

©ABHISHEK RANJAN
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ABHISHEK RANJAN

" व्यक्तित्व "
जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                      खामोशियां मेरी मजबूरी नहीं,व्यक्तित्व हैं मेरी।।                                                                                                                        कुछ लम्हों में अजीब सी दस्ता हमारी है।                                                                                                                                    हंसना और खिलना,आदत नही अंदाज बया करता।                                                                                                                                जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                                आक्रोशित और क्रोधित कमजोरी हैं मेरी।                                                                                                                                         हर वक्त शालींता रहना आदत नही व्यक्तित्व  हैं मेरी।                                                                                                                जो बोल दिया बस सुन लिए, गुणवत्ता  का परिचय देता।                                                                                                     जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                            बहोत  साहसी  हु ,ये में नहीं कहता, औरों से सुना करता।                                                                                                       हर दिलों में राज करू शोभा नही देता।                                                                                                                                  कुछ सुनकर जल्दी बोल दिए,अंदर की वाणी को ।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                      अपनी कमजोरी की कहानी को परोसे नही जाते।                                                                                                                 कुदरत के करिश्में को मैं बदल नही सकता ।                                                                                                                         संभावनाओं को सुलभ करू सच्चाई हमारी है।                                                                                                                            जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।                                                                                                                              दिन हो या रात मैदान में लड़ाई सबकी है।                                                                                                             कुदरत से कोई बचा नही,ये संसार  बयां करती।                                                                                                                       हाथों की लकीरें को कोई मिटा नही सकता।।                                                                                                                               जरा मुस्कुरा क्या दिया,तुम अपना बना बैठे।

©ABHISHEK RANJAN #WoSadak
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