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amittripathi4682
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Amit Tripathi

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Amit Tripathi

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है #Ghalib

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है #Ghalib

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Amit Tripathi

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

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Amit Tripathi

मैं सृजन की खेती करता कविता के पौध उगाता हूँ अंतर्वेदना के बीजों से छंदो के फूल खिलाता हूँ तुमने तो ख़ुशियाँ लिखी और विजयोत्सव के गान लिखे मैं वेदना लिखता हूँ और पीड़ा के गीत सुनाता हूँ

मैं सृजन की खेती करता कविता के पौध उगाता हूँ अंतर्वेदना के बीजों से छंदो के फूल खिलाता हूँ तुमने तो ख़ुशियाँ लिखी और विजयोत्सव के गान लिखे मैं वेदना लिखता हूँ और पीड़ा के गीत सुनाता हूँ

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Amit Tripathi

 करुणा बिखर गयी संवेदना भी मौन है
मूल्यों के मूल्य छूटे चेतना भी गौण है

बिलख रही है अब तो ऋचाओं की सूक्तियाँ
पुछती हैं प्रश्न देखो, गीता की उक्तियाँ

सशंकित खड़ा क्यूँ हर एक सम्बंध है
उत्तरों कि खोज में मन का हर द्वंध है

करुणा बिखर गयी संवेदना भी मौन है मूल्यों के मूल्य छूटे चेतना भी गौण है बिलख रही है अब तो ऋचाओं की सूक्तियाँ पुछती हैं प्रश्न देखो, गीता की उक्तियाँ सशंकित खड़ा क्यूँ हर एक सम्बंध है उत्तरों कि खोज में मन का हर द्वंध है

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Amit Tripathi

मेरे बचपन का बूढ़ा बरगद‬ मेरे बुढ़ापे में भी बूढ़ा है खड़ा है भीष्म सा पता नहीं किस प्रतिज्ञा के निर्वहन में लताएँ लटक रही थी नीचे छूने को ज़मीन सर शैया की तरह जो कर रही थी अतिक्रमण मेरे आने जाने के रास्ते पर #अमित

मेरे बचपन का बूढ़ा बरगद‬ मेरे बुढ़ापे में भी बूढ़ा है खड़ा है भीष्म सा पता नहीं किस प्रतिज्ञा के निर्वहन में लताएँ लटक रही थी नीचे छूने को ज़मीन सर शैया की तरह जो कर रही थी अतिक्रमण मेरे आने जाने के रास्ते पर #अमित

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Amit Tripathi

What Tirnga is saying on 15th Aug : समाहित है राष्ट्र मुझमें,और जन मन की भावना हुँ शहीदों की शहादत मैं , जन गण की आराधना हुँ ।। हिमगिरी की विशालता मुझमें धरतीपुत्रों तुर्य हुँ है आलोकित राष्ट्र जिससे वो प्रदिप्त सूर्य हुँ ।। #India

What Tirnga is saying on 15th Aug : समाहित है राष्ट्र मुझमें,और जन मन की भावना हुँ शहीदों की शहादत मैं , जन गण की आराधना हुँ ।। हिमगिरी की विशालता मुझमें धरतीपुत्रों तुर्य हुँ है आलोकित राष्ट्र जिससे वो प्रदिप्त सूर्य हुँ ।। #India

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