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sarveshsharmasah7469
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Sarvesh Sharma Sahaj

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Sarvesh Sharma Sahaj

धुनें गाई बहुत लेकिन, न ऐसा राग आया है

पिता बन कर, फिर ह्रदय में आज ये अनुराग आया है।।

फुहारें आँखों से गिरकर, जमीने बागबाँ हो गई

अँधेरा छाँटने वाला वो 'घर का चराग़' आया है।।


पहले बलदाऊ आये थे, अब कान्हा रास आया है

मेरी छोटी सी बगिया में प्रभु का वास आया है।।

पिता बनना की जैसे आसमा को हाँथ में भरना

पिता बनकर फिर लौटा बचपन का एहसास आया है।।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
  #Father #newbornbaby #newborn #PARENTS
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Sarvesh Sharma Sahaj

फ़लक चाँद तो एक ही है "सहज"

पर........................

अपने घर की छत से दिखने वाले चाँद 

की बात तो कुछ और ही होती है।।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
  #SuperBloodMoon
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Sarvesh Sharma Sahaj

यूँ ही नहीं हुआ है...
धूप में अपना रंग काला...!!

कि तपती धूप में...
तुम्हें देखने के वास्ते..
हमने बहुत पतंगे उड़ाई है..!!

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
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Sarvesh Sharma Sahaj

पानी उबलते वक़्त पानी सोचता होगा जरूर

गर बर्तन न होता, तो बताता जरूर।।

।। अज्ञात ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
  #पानी
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Sarvesh Sharma Sahaj

मुझमें कोई नही है बात, तो बात क्या करें।

तुमने शिकायतों में गुजारी रात, तो बात क्या करें।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
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Sarvesh Sharma Sahaj

तुम्हारी नज़रों से मिल रहीं थी हमारी नज़रें

जिन्हें पता भी नही, उन्हें भी ख़बर हो गयी।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
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Sarvesh Sharma Sahaj

न जाने तुम क्या जादू करती हो
न जाने तुम क्या जादू करती हो

गर्मी की तपती धूप में, 
चलती लू के थपेड़ों को खा कर 
जब शाम को घर आता हूँ 
और तुम्हारे कलेजे से लगाते ही 
सारी तपन को दूर पाता हूँ!
न जाने तुम क्या जादू करती हो
न जाने तुम क्या जादू करती हो!!

पूरे दिन के तनाव में,
बकबक के बाद, पेसानी पर लकीरें 
और बिखरे बालों के साथ घर आता हूँ 
और तुम बालों पर बस उंगलियाँ फेर देती हो 
कि सारी थकान से मुक्त हो जाता हूँ!
न जाने तुम क्या जादू करती हो
न जाने तुम क्या जादू करती हो!!

दिन भर की भागदौड़ के बीच, 
लंच न कर पाने के बाद जब भूख ही मर जाती हो
फिर शाम को वापस भूखा ही आ आता हूँ 
तब मेरे न चाह कर भी 
तुम प्यार से कुछ अच्छा खिला देती हो 
और मैं तृप्त हो जाता हूँ
न जाने तुम क्या जादू करती हो
न जाने तुम क्या जादू करती हो!!

ज़िंदगी तो आसान बिल्कुल भी नही लगती, 
जब दुनिया के बीच खुद को हारा हुआ पाता हूँ, 
जब पस्त होते हौंसले और 
सुस्त होती उम्र के साथ घर आता हूँ 
तुमसे कुछ देर ही सही पर बात कर के 
कोई हल तो नही पाता,
पर हौंसला पा कर फिर जिन्दा हो जाता हूँ।
न जाने तुम क्या जादू करती हो
न जाने तुम क्या जादू करती हो!!

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj
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Sarvesh Sharma Sahaj

कुछ देर की ख़ामोशी है
               फिर शोर आएगा।।
तुम्हारा सिर्फ वक़्त आया है
              हमारा दौर आएगा।।

।। अज्ञात ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj #WinterEve
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Sarvesh Sharma Sahaj

गली में  वो अब भी अपनी खिड़की से यूँ ही झाँकते होंगे!

जैसे चाँदनी रात में अब भी कोई उन्हें देखने आया।।

वो मिरी ढूंढ़ती निगाहें, वो ताकती नज़र आसमानों को

उसकी छत पर टिमटिमाते सितारों के संग उसे पाया।।

उसने कुछ शोखियाँ दिखाई और कुछ इशारे भी फेंके

मैंने उसे ..बस... देखा, और ...मुस्कुराया.. ।।

वजह क्या थी मेरी उस गली में मेरे बार-2 जाने की

ठोकरें दे कर भी उस गली के पत्थरों तक ने अपनाया।।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj #hamariadhurikahani
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Sarvesh Sharma Sahaj

कभी घर से ऑफिस आने का दिल नही करता

कभी ऑफिस से घर जाने का दिल नही करता।।

अज़ब कशमकश मे बड़ी हैरान है ज़िंदगी 'सहज'

न यहाँ दिल लगता, न वहाँ दिल लगता।।

।। सहज ।।

©Sarvesh Sharma Sahaj #Home
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