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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

poet, writer, lyricest, music composer

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

एटलांटिक क्लब ,पण्डितवाडी
( देहरादून )
16 नवम्बर शाम 4 बजे

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

नैथानी भ्रातृ मिलन समारोह

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

ज़िन्दा सिर्फ साँस चलने से नहीं होता ।
लहू रगों से बाहर बहने के बाद भी जब इन्कलाब लिखा जाता है तो उसे ज़िन्दा कहते हैं । जय हिन्द 🇮🇳

जय हिन्द 🇮🇳 #विचार

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

यह वही धातु है...
जो दौड़ती है देह में रक्त की तरह....
जो दौड़ती है कविता में वक़्त की तरह...
यही धातु
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश
यही रूपांतरित मेरी भाषा में जैसे ,
यही साकार मेरे आकार में !

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

कुछ भी नही मेरे पास अब ,
जो आकर्षित करे लोगों को !
न कोई कला,
न किसी विधा का ज्ञान ,
और ना ही वह -
जो समकालीन लोगो ने 
हासिल कर ली..
मैं पिछड़ चुका हूँ ,
अपनी ही पीढ़ी से ..
मेरा पास है सिर्फ और सिर्फ
कुछ किताब और कुछ कलम ..
जो फिलहाल मौन हैं ...

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

मैं भूल गया था,
उसका नाम और पता
जब मुझे होना चाहिए था
शरण में ईश्वर की...

मैं एक प्रेमी हृदय की टेक लगाकर... 
मैं सोया हुआ था ....

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

कौन हूँ मैं  ? 

एक नन्हा सा दीप हूँ मैं ,
मुझे अंधकार में रोशन तो होने दो ।
एक महकती हवा सा हूँ मैं,
मुझे मन्द मन्द बहने तो दो।
नीलाम्बर सा हूँ मैं, 
मुझे धरा को निहारने तो दो,
श्वेत-श्याम मेघ सा हूँ मैं,
मुझे पर्वतों का आलिंगन तो करने दो।
नीर की इक बूँद सा हूँ मैं,
मुझे क्षीर में मिल जाने तो दो।
हिम शैल-शिखर सा हूँ मैं,
मुझे थोड़ा अडिग तो रहने हो ।
एक हँसता - मुस्कुराता पुष्प हूँ मैं,
मुझे प्रकृति का श्रृंगार तो करने दो ।

मैं क्या हूँ और क्या नहीं,
बस मुझे अनभिज्ञ से भिज्ञ तो हो जाने दो । कौन हूँ मैं.....

कौन हूँ मैं.....

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

तलवारें थम जाती हैं 
रक्त का बहना नहीं रुकता
निरस्त हो जाते हैं आक्रमण के सारे आदेश
फिर भी अपने ही मन को
अनवरत बेधती हैं चीखें 
आगे शांति पताका होती है
और पीछे दर्द पर सवार
असंख्य घुड़सवार
बहुत शोर भरी होती है
 युद्ध के बाद की शांति....

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अमित नैथानी 'मिट्ठू'

दुनिया को उतना ही खूबसूरत होना चाहिए था , जितनी वो मेरे हिस्से की खिड़कियों से दिखती थी। एकान्त

एकान्त


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