122 1222 122 1222
किसी रूह को आराम यूं भी दिए जाए
मीठे बोल दो प्यारे उनसे कहे जाएं
ये चालाकियां भी उनकी भूलाए जाते हैं
वे जो अपने हैं क्या शिकायत किए जाएं
122 1222 122 1222
किसी रूह को आराम यूं भी दिए जाए
मीठे बोल दो प्यारे उनसे कहे जाएं
ये चालाकियां भी उनकी भूलाए जाते हैं
वे जो अपने हैं क्या शिकायत किए जाएं
Yashwant Rathore
2212 2212 2122
इस मीन को रंगों से किसने सजाया
ये जल मैं मरना कौन जीना बताया
किसने ये धड़कन दिल में बोई हमारे
ये प्यार करना उसमें रहना सिखाया
2212 2212 2122
इस मीन को रंगों से किसने सजाया
ये जल मैं मरना कौन जीना बताया
किसने ये धड़कन दिल में बोई हमारे
ये प्यार करना उसमें रहना सिखाया
Yashwant Rathore
इतना डरा न कर यार,
जिंदगी हैं परेशान करती जाएगी
अब दर्द कहां कब उठे,
आशिक़ी है हैरान करती जाएगी।
मर जायगा न गिला कर
खुश्क रात हैं वीरान करती जाएगी।
इतना डरा न कर यार,
जिंदगी हैं परेशान करती जाएगी
अब दर्द कहां कब उठे,
आशिक़ी है हैरान करती जाएगी।
मर जायगा न गिला कर
खुश्क रात हैं वीरान करती जाएगी।
Yashwant Rathore
ये दर्द तेरा उतर मुझमें आया क्यों।
ये दर्द तेरा उतर मुझमें आया क्यों।
ये थकी सी रूह, वो मुर्झाए अरमान
वो दबी सी आवाज़, जैसे रहे आधे प्राण
प्रेम प्रभु को ना तुझपे आया क्यों।
वो झुकी गर्दन, वो कमज़ोर बदन।
ये दर्द तेरा उतर मुझमें आया क्यों।
ये दर्द तेरा उतर मुझमें आया क्यों।
ये थकी सी रूह, वो मुर्झाए अरमान
वो दबी सी आवाज़, जैसे रहे आधे प्राण
प्रेम प्रभु को ना तुझपे आया क्यों।
वो झुकी गर्दन, वो कमज़ोर बदन।
Yashwant Rathore
कभी पास मेरे यूं आप आ जाया करो
भरी दोपहर नरम शाम कर जाया करो।
बागों में एक फूल खिलाने
तुलसी पे एक दीप जलाने
दरिया मे लहर बनाने मुस्कुराया करो
रातों को वो साज़ सुनाने
कभी पास मेरे यूं आप आ जाया करो
भरी दोपहर नरम शाम कर जाया करो।
बागों में एक फूल खिलाने
तुलसी पे एक दीप जलाने
दरिया मे लहर बनाने मुस्कुराया करो
रातों को वो साज़ सुनाने
Yashwant Rathore
वो आज अकेली इस पीपल की आस
वो बसा सा घर ,वो पुष्पो की बास।
वो बढ़े फूलों की हंसी, वो दोस्ती रची बसी।
वो मेरे आंगन के कुमार, जैसे महफ़िल सजी धजी।
आज बदली हवाएं साथ उड़ा ले चली वो एहसास।
वो आज अकेली इस पीपल की आस
वो बसा सा घर ,वो पुष्पो की बास।
वो आज अकेली इस पीपल की आस
वो बसा सा घर ,वो पुष्पो की बास।
वो बढ़े फूलों की हंसी, वो दोस्ती रची बसी।
वो मेरे आंगन के कुमार, जैसे महफ़िल सजी धजी।
आज बदली हवाएं साथ उड़ा ले चली वो एहसास।
वो आज अकेली इस पीपल की आस
वो बसा सा घर ,वो पुष्पो की बास।