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deepshibhadauria7545
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deepshi bhadauria

poet "चीखतीं खामोशियाँ" follow me on Instagram - https://instagram.com/deepshi_bhadauria कभी सुनना गौर से खामोशियों की चीखें शोर से कहीं ज्यादा दर्दनाक और भयावह होती हैं......

https://youtube.com/playlist?list=PLC7URZ0D5rL7VWb4qGshpawDTtsqPj_pC

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deepshi bhadauria

.............कब्र के उस पार.......




और एक दिन होगा ..जब सुकून होगा..
उस दिन कुछ पल के लिए सही 
पर सब साथ होंगे ....याद करेंगे...
हां ..कितने जरूरी थे इसपर बात करेंगे..
किसी की कोई मंशा विचलित नही करेगी,
उस पल ये चेहरा ...
कल की  चिंताओं से मुक्त...शांत होगा ....
उस पल भी मैं ये आंखे बंद रखूंगी.....
कब्र के उस पार भी निःशब्द ,खामोश रहूंगी,
एक अनंत सुकून में.....

©deepshi bhadauria
  #feelings
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deepshi bhadauria

कितनी अजीब सी बात है न.... कोई शख्स जो रोज आपकी नज़रों के सामने है एक दिन हमेशा के लिए चला जाता है और फिर दोबारा कभी नहीं दिखता ....
भाग रहे हैं हम अपनी अलग ही दौड़ में अकेले पता नही किससे जीतना चाहते हैं? ...कहाँ जाना चाहते हैं?....
नहीं पता ..किसी को कोई फर्क नही पड़ रहा ,फर्क पड़ता है तो उनको जो पीछे छूट गए हैं ...
.....रुक जाओ ..साथ लेकर चलो, उनको ..जिनके लिए दौड़ रहे हो, उन्हीं को पीछे छोड़कर ...वरना कहीं ऐसा न हो एक दिन जब मुड़कर देखो तो वहाँ कोई न हो ....कुदरत का ये नियम उन्हें बहुत दूर ले जा चुका हो इस दुनिया की दौड़ से बाहर .....
और ये रेस जीतकर भी तुम हार जाओ......

©deepshi bhadauria
  रुक जाओ..

रुक जाओ.. #विचार

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deepshi bhadauria







मेरी कविताएं  देखे गए नज़ारों का न्याय नहीं करतीं,
 बात तुम्हारी नज़रों की होती है तो ये बात नहीं करतीं,
ये आंखे......
कभी देखो तुम अपने दर्पन में इनकी गहराई को,
थोड़ी राहत थोड़ी चाहत और इनकी अंगड़ाई को,
ढेरों सपने बुनती हैं.... ख़्वावों की रात नहीं बुनती,
 बस मुझसे मिलती हैं दरपन के साथ नहीं मिलतीं,
 चुप हो जाती हूँ मैं तो खामोशी का पहरा करतीं हैं,
उतरे चेहरे को देख अपने दर्द को गहरा करती हैं,
टुक टुक बातें करती हैं ........आवाज़ नहीं करतीं,
सब कुछ कह देती हैं बातें कोई राज नहीं करतीं,

किसी नदी सी निश्छल बहती धारा सी आंखे,
 टूटते  तारों की इक आस का सहारा सी आंखे,
इंतज़ार का हर पल लेकर वक्त पे जो पहरा कर दे,
 मुलाकात में उस पल में शाम को जो गहरा कर दे,
इक उम्मीद किरन सी ब्याकुल ये रात नहीं करती ,
रोजाना इश्क़ से मिलती हैं ज़रा भी लाज नहीं करती,

©deepshi bhadauria
  #UskiAankhein
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deepshi bhadauria

#poem
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deepshi bhadauria

ये बदनसीबी के आंसू हैं जनाब,
आँखों में ख़्वावों के काजल को कहां सजने देंगे ...

©deepshi bhadauria
  #samandar
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deepshi bhadauria

#khamoshi #Streaks
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deepshi bhadauria

#poem  #Hindi
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deepshi bhadauria

ये मेरा भी घर है यही कहकर,
 तो विदा किया था न तूने माँ,
तो आज तू गैरों सा दर्जा न रख,
मुझे बता कि भूखी सोयी है रात को,
इन हालातों के बीच में पर्दा न रख,
मत छीन मेरा हक़ मैं तेरी वही बेटी हूँ,
जिसने तेरे दर्द को करीब से देखा है,
इस मुस्कान से घावों का सज़दा न कर,
मुझे बता कि तू फिर रोयी है रात को,
इन ज़ज़्बात के बीच में पर्दा न रख,

©deepshi bhadauria बीच में पर्दा न रख.... 
#parda  #NojotoWritingPrompt

बीच में पर्दा न रख.... #parda WritingPrompt #NojotoWritingPrompt

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deepshi bhadauria

मेरी हर शरारत पे मुस्करा के महज  ख़ामोश हो जाते हो,क्या समझूँ इसे,
तुम समझते नहीं............. या तुम्हें जायज़ है मेरा यूँ हदों को पार करना,

©deepshi bhadauria 
  # ख़ामोश

# ख़ामोश #कविता

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deepshi bhadauria

 बख़ूबी उसके   इरादों को  परखती रहती हूं,
वो चांद और मैं इस चांद को तकती रहती हूं,
खुली आंखों में कई सवाल तब घेरा करते हैं,
ख़ामोशी से अक्सर यूँ हीं हम सवेरा करते हैं,

©deepshi bhadauria 
  #Hum
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