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subhashsingh7597
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Subhash Singh

शिक्षक, लेखक, कवि

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Subhash Singh

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset दिन ढलता है तो ढलने दो।
रवि जलता है तो जलने दो।
मेरे जीवन में उथल-पुथल,
हाँ!नियति नटी को छलने दो।

©Subhash Singh #SunSet
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Subhash Singh

New Year 2024-25 
नये वर्ष का स्वागत करने,हो जाओ तैयार।
विगत वर्ष की करुण कहानी, भूलो मेरे यार।
हंँसी खुशी से विदा करें हम,जाओ सन् चौबीस।
पच्चीस लाएगा हम सबको, सुख समृद्धि अपार।

©Subhash Singh #NewYear2024-25
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Subhash Singh

Google शत्-शत् करूँ प्रणाम मैं,अर्थ क्रांति के दूत।
लीक छोड़कर तुम चले,बने महान सपूत।
अमल धवल नव नीतियांँ,जन-जन का उत्थान,
नहीं समझ पाये तुम्हें, तुम सच्चे अवधूत।

©Subhash Singh #Manmohan_Singh_Dies
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Subhash Singh

Unsplash यहाँ आना हमेशा ही,बहुत ही खास होता है।
सुकोमल स्पर्श पाते ही,मधुर एहसास होता है।
हमारा भाग्य था उज्ज्वल,तुम्हारा साथ मिल पाया,
अगर साथी मिला मन का,मृदुल मधुमास होता है।

©Subhash Singh #lovelife
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Subhash Singh

छायावादी काव्य जनक अरु,बड़े कहानीकार।
उपन्यास नाटक एकांकी, अतुलित है भंडार।।
है अमर कृति कामायनी में,उपनिषदों का सार।
आनंदवादी की पुण्य तिथि,नमन करूँ शत बार।।

©Subhash Singh
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Subhash Singh

White यह धनतेरस लेकर आये,सुख समृद्धि अपार।
सबके आँगन में छा जाये,मधुमय अमित बहार।
धन्वंतरि जी विनय यही है,रखना हमें निरोग,
मांँ लक्ष्मी जी अक्षय धन दो,जन-जन करे पुकार।

©Subhash Singh #Dhanteras
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Subhash Singh

White आशीष चाहती हूँ,दीर्घायु कर सजन को।
सौभाग्य को अमर कर,उज्ज्वल करो सदन को।
सुन ले पुकार चंदा,हों चार सुख हमारे,
हँसकर जियें सदा हम,खुशहाल कर चमन को।

©Subhash Singh #karwachouth
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Subhash Singh

White 
प्रभु जी उतरे हैं अब रण में।
अन्याय मिटाना है प्रण में।।
कहलाते आदर्श पुरुष हैं,
प्रभु राम बसे हैं कण-कण में।
राजपाट सब त्याग दिया है,
डूब  गए  भक्तों के ऋण में।
क्रोध किया परहित में देखो,
रावण  को  मारेंगे  क्षण में।
विजयादशमी के दिन यारो,
रावण मिल जाएगा तृण में।

©Subhash Singh #Dussehra
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Subhash Singh

दुर्गा नवम् स्वरूपा,अठ सिद्धिदायिनी हैं।
देतीं विवेक हमको,मांँ मोक्षदायिनी हैं।
गंधर्व यक्ष राक्षस,करते सदैव पूजा,
नारायणी हमारी,माया विनाशिनी हैं।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

मांँ की उपासना से,कल्मष तमाम धुलते।
ऐश्वर्य दायिनी से,उपहार खूब मिलते।
अष्टम स्वरूप गौरी,अनुपम ममत्व वाली,
करतीं सुहाग रक्षा,नव पुण्य पुष्प खिलते।

©Subhash Singh #navratri
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