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dharam2465743865484
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Dharam pippal

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Dharam pippal

एक आदमी अपने दोस्त के घर गया और दरवाज़े की घंटी बजाई, जो सुन कर एक बच्चा बाहर आया।

आदमी: बेटा पापा घर पर हैं?

बच्चा: अंकल पापा तो बाजार गए हैं।

आदमी: चलो बड़े भाई को बुला दो?

बच्चा: जी वो क्रिकेट खेलने गया है।

आदमी: बेटा मम्मी तो होंगी घर पर?

बच्चा: जी वो किट्टी पार्टी में गई हैं।

आदमी गुस्से में, "तो बेटा तुम घर पर क्यों बैठे हुए हो तुम भी कहीं चले जाओ।"

बच्चा: जी मैं भी तो अपने दोस्त के घर आया हुआ हूं।

©Dharam pippal #Missing baap beta
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Dharam pippal

आदमी उतना बेवकूफ कभी नहीं बनता जितना उस वक्त जब कि वह किसी और को बेवकूफ बना रहा होता है।

©Dharam #Youmjoke
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Dharam pippal

#SaferIndia koi najaro se ishara Kar leta h

#SaferIndia koi najaro se ishara Kar leta h #लव

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Dharam pippal

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Dharam pippal

आज कल के माँ बाप सुबह स्कूल बस में बच्चे को बिठा के ऐसे बाय बाय करते हैं,
जैसे पढ़ने नहीं, विदेश यात्रा पर भेज रहें हो थे.l

©Dharam #standout joshs
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Dharam pippal

ओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना / साग़र निज़ामी

ओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना ।
रातें हुई अन्धेरी तुम चान्द बनके आना ।

अपने हुए पराए दुश्मन हुआ ज़माना ।
तुम भी अगर न आए मेरा कहाँ ठिकाना ।

आजा किसी की आँखें रो-रो के कह रही हैं,
ऐसा न हो कि हमको करदे जुदा ज़माना ।

©Dharam #nightsky Kavita
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Dharam pippal

कहानी

वो आया
मेरा मन कुछ भरमाया
इससे पहले कि मै कुछ सोचती
अपने मन को टटोलती या कुछ सपने बुनती
अचानक पाया कि
वो तो था सिर्फ एक साया.
 
सालों बीते
जिन्दगी ने एक दिन फिर सामने ला खड़ा किया
मैने हैरानी से पलकें झपकाईं तो
उसे उसके जीवन साथी के संग पाया,
और वो?
कुछ नया नया सा...
हालांकि पुरुष था,
फिर भी कुछ शर्माता सा पेश आया.
 
मैं अचानक नींद से जागी
सब उमीदें जैसे पर लगा कर भागीं
और मैं जिन्दी के पथरीले धरातल पर आ खड़ी हुई.
तो अब? अब आगे बदना होगा
खुद ही खुद को संभाल कर
नई राहें तलाश करने को चलना होगा.
 
मैं चलती रही
कुछ राहें बनती रहीं, कुछ मैं बनाती रही
वो भी चलता रहा
पुरुष था ना,
उसके लिये राहें आसानी से खुलती रहीं
सालों पर सालों की परतें जमती रहीं.
 
एक दिन फिर मिले
वो ही पुरानी बातें.....पुराने शिकवे गिले
मेरे सपनों की रानी थीं तुम
क्यों तब कुछ नहीं बोलीं थीं तुम?
आज भी तुम्हें पूजता हूँ.
काश...तुम्हारा हाथ थाम कर चला होता
तो सफ़र कुछ अलग अंदाज में ढला होता.
 
मैं फिर हैरान परेशान......
वापिस मन की गहराईयों में उतरी
अपने वर्त्तमान की ऊचाईयों नीचाईयों में भटकी
शायद अभी भी कुछ था
जो कसमसाता था, सवाल करता था
कि ये ना होता तो क्या होता?
वैसा होता तो क्या अच्छा होता?
सवाल तो बहुत थे पर जवाब कुछ ना आया.
 
फिर एक दिन जाना
कि वो मौत से वाबस्ता था
मेरा मन ना रोता था ना हँसता था
फिर भी ना जाने क्यों यूँ ही पल पल तड़पता था.
 
आखिर आ खड़ी हुई परम पिता ईश्वर के द्वारे
माँगी दुआएं,
और बांधी हर ठिकाने मन्नती धागों की कतारें.
जाने मेरे धागे पक्के थे
या फिर मेरी दुआएं सच्चीं
या फिर था बस एक बहाना....
वो मौत के दरवाज़े से
खुदा के रहमों करम में लिपटा लौट आया.
 
जिन्दगी की रफ़्तार बहुत भारी है
वो ही दस्तूर अब फिर से ज़ारी है
अब ना कोई खबर आती है ना जाती है
मगर इतना जानती हूँ कि
आजकल वो फिर से हँसता बसता है
पर हाँ....अब फिर से उसका और मेरा अलग अलग रास्ता है.
 
क्या करें?
खुदा के बन्दे हर नए मोड़ पर एक नया रास्ता तलाशते हैं..
और फिर..
जिन्दगी के सफ़र तो बस अपने अपने ठिकानों पर ही जँचते हैं.

©Dharam #feelings kahani
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Dharam pippal


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