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deepikabelwal9969
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DEEPIKA BELWAL

hi mera naam Deepika hai mai mumbai mai rahti hu mai ek social worker hu mujhe kavitaye लिखना singing karna cooking karna drawing karna bahut aacha lagta hai

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DEEPIKA BELWAL

कदम


दो - चार कदम चलते थे। कभी आज वो पहिये से भागे जा रहे हैं।
जो काम घंटों तक न होता आज वो सैकड़ों में करे जा रहें हैं।
जो न सुनते थे। कभी लाख बुलाने पर भी आज वो वक्त से पहले उठे जा रहें हैं।
जो बचते थे।कभी  धुप-छाया से आज वे कांटों पे चलें जा रहें हैं।
जो जिद्द करते थे कभी  हर चीज पाने की  आजे वे पाना   भुल से गए है।
जो कदम झुमते  थे कभी गली -मोहल्ले , बाग-बगीचे आज वे थम से गए हैं।
जो कदम  सरारत से भरे थे कभी वे आज संस्कारी बन गए हैं।
ये कदम ही तो हैं। जो मायके की दहलीज लाग कर आज ससुराल आ पहुंचे हैं।


          दीपिका बिट्टू

©DEEPIKA BELWAL कदम

#hills

कदम #hills

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DEEPIKA BELWAL

Shahrukh on Zero Movie देख बंदर तक्कदीर मेरी आरयन खान का पपा हूं। 
खबर खबर  हर नगर नगर हर एक जगह से निकला हूं। 
गुटखा छैनी  बेच कर मेंने अरबों खरबों कमाई हैं 
बच्चे ने मेरी दौलत को धुंए में उडाई हैं‌।
कितनी मेहनत करके मेंने हस्ती अपनी बनाने में
पर  बेटे   ने पल भर में ही सौहरत पाली कस्ती में

©DEEPIKA BELWAL
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DEEPIKA BELWAL

ढूंढा तुझे हिमालय में और कई चट्टानों में
नील गगन आकाश में और धरती पाताल में

नदीयों को भी  छान लिया सूरज से भी घाम लिया 
नक्षत्रों को भी परखा हैं  ग्रह मंडलों में घुम लिया

गीता ,कुरान,बाईबल  सारी अपने अंदर घोली हैं।
गुरु वाणी की हर एक वाणी भक्तजनों से बोली हैं।

होली दीवाली ईद में मैनैं तोहफ़े बटवा देता हूं।
चंद भीखारी भीखमंगों की झोलीयां भर देता हूं।

खुशहाली के लिए ही मैने मात पिता को त्यागा हैं।
पत्नी जी के हुकुम से उनको वृद्धा आश्रम डाला हैं।


इतना करने से भी मुझको न शांति है न शुकुन है।
रात कि नींद नहीं है। न भुख प्यास न चैन है।



   दीपिका बेलवाल उफ बिट्टू

©DEEPIKA BELWAL #Butterfly
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DEEPIKA BELWAL

मैं अकेली इस जीवन के पथ पर चलना मुझे अकेले हैं।
सगा न कोई साथी है। अपना बस नाम का रिश्ता हैं।
इस जग के रिश्तों से अच्छा आसमान का परिंदा हैं।
जो उड़े भले ही उच्चे गगन पर पर नजरें जमीं पर रखता हैं।
कद में छोटे रिश्तों को यहां व्यर्थ ही समझा जाता हैं।
भरा पीटारा हो धन दौलत का तो परायों को भी अपनाया जाता हैं।
दुर के ढोल सुहावने ये तो रिश्तों की ही व्याख्या है।
कोरोना काल ने दो गज दूरी से यह हमें समझाया है।
रिश्ते एक मोती की माला कच्चे धागे बांधी जाती है।
सौहरत दौलत का दम न हो धागे मैं तो ऐ छिनद छिनद बिखर जाती हैं।
धरती नापी जा सकती है लेकिन रिश्तों को नापना आशान नहीं 
व्यर्थ है इन रिश्तो में पढ़ना ये इन्सान हैं कोई भगवान नहीं

©DEEPIKA BELWAL रिश्ते

#Corona_Lockdown_Rush

रिश्ते #Corona_Lockdown_Rush

11 Love

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DEEPIKA BELWAL

Masti bhi  hai dhum bhi hai

Aaj Sam 5 baje se holi ka 
rangarang karykaram ka shidha
 parsaran shide bittu ke ghar kalsiya (walmara)se Live
छाई मतवालों की टोली
आई आई होली आई

©DEEPIKA BELWAL holi hai

holi hai

8 Love

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DEEPIKA BELWAL

#TheatreDay आज की  जिंदगी social media सी फेक है। 
 

सामने से सब साफ और पीठ पीछे  से सब  मुखोटे में कैद हैं।

©DEEPIKA BELWAL आज की जींदगी

#theatreday

आज की जींदगी #theatreday

18 Love

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DEEPIKA BELWAL

colores are most important in life because life is moody sometime i am happy & sometimes i am sad so colours spread verys happiness every time

©DEEPIKA BELWAL happiness

#colours

happiness #colours

12 Love

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DEEPIKA BELWAL

खुशी मुझे इस बात की है। कि


 बेटी बन कर आई हूं। नील गगन इस मंडल में हरियाली सी छाई हूं।
पंख नहीं है मेरे फिर भी परी हूं  मैं पापा की माना मां की मैं दुलारी हूं। 

आशा हूं । मैं उन आंखों की जिनके लिए मैं आई हूं। 
बगिया की मैं चंपा चमेली और आसमान का तारा हूं।


दीन दुखी या अपना पराया सबका मैं सहारा हूं।
कोमल कच्ची कली न समझो मैं अंगारों की ज्वाला हूं।

विरों की मैं मालूशाही और धिरों की रानी हूं।
वतन नाम न जात पात का पुछों हिंदुस्तान की बेटी हूं।

©DEEPIKA BELWAL

12 Love

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DEEPIKA BELWAL

हम भाग्यशाली हिंद के वासी हिंदी के रखवाले हैं।

 राज्य भाषा से राष्ट्र भाषा  का गौरव हिंदी को दिलाने आए हैं। 

 संगम अनेक भाषाओं का हैं।  हिंद में पर हिंदी सबकी जुबान हैं।

 जो जननी हैं। भारत  राष्ट्र की उससे उपजी हिंदी हैं। 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबको जोड़े हिंदी हैं।

मुंशी प्रेम की अमर कहानी पंत की मधुर कविता हिंदी जुबान से आती है।

हिंदी  एक मात्र भाषा हिंन्दुस्तान के घर घर में बोली जाती हैं।

         दीपिका ❤️ बिट्टटू #HindiDiwas2020
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DEEPIKA BELWAL

गुरु ज्ञान का वह दिया है। जो जीवन के सारे अंधकार मिटाता है। जैसे कुम्हार घड़े को किसान खेत को और चित्रकार एक सुंदर चित्र को आकार देता है। वैसे ही गुरु हमारे भविष्य को आकार देते हैं। वह एक सच्चे सारथी है। जो भवसागर से हमारी नैया पार लगाते हैं उनके आदर्शों में नेकी कर्म और मेहनत होती है। और संसार को चलाने  की निष्ठा होती हैं। उनकी गाथा का गुणगान सागर की गहराइयों से और आकाश की ऊंचाइयों से भी परे है। गुरु में मां की ममता पिता का दुलार और एक सच्चे मित्र की मूरत समाती है। वे एक प्रेरणा के स्रोत है जिनके सलाह से जीवन कठिन कठिनाईयों से भी पार हो जाता हैं।  वे जीवन का एक मसीहा है। जो हमारे वर्तमान की गाड़ी को भविष्य तक पहुंचा देते हैं। 

"गुरु के ज्ञान का  वर्णन जितना करू उतना कम हैं। 
*सब धरती कागज करूं,
 लेखनी सब बनराय ।।
सात समुंदर की मसि करूं,
गुरु गुण लिखा न जाय।।*

दीपिका की तरफ से मेरे सारे गुरुजनों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं💐🙏🏻 #Gurupurnima
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